मवेशियों के निशुल्क उपचार को कैंप

मवेशियों के निशुल्क उपचार को कैंप
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मवेशियों का निशुल्क उपचार,  सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोधोगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ ने बरेली के ब्लॉक भोजीपुरा के अट्टा पट्टी शुमाली गांव में एक आधुनिक पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। इसका आयोजन इफ्को द्वारा वित्तपोषित परियोजना “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेयरी पशुओं में सचल पशु चिकित्सा सेवाए” तथा इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड, गुरुग्राम के सहयोग से कृषि विवि के कुलपति डा. आर. के. मित्तल के मार्गदर्शन में किया गया। पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. विजय सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय और इफ्को ने एक अनूठी पहल की है जिसमें एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से पशुचिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों में पशुस्वास्थ्य शिविर लगाये जाते हैं इसी क्रम में बरेली में पशुपालकों की माँग पर यह शिविर लगाया गया है। परियोजना के प्रभारी डा. अमित वर्मा ने कहा कि शिविर में नि:शुल्क पशु चिकित्सा निदान एवं उपचार, कीड़ों की दवा वितरण, पशुओं में अल्ट्रासाउंड मशीन से बाँझपन जाँच, खनिज मिश्रण, गर्भाधान हेतु दवाओं का वितरण शिविर में सम्मलित अनुसूचित जाति के किसानों के पशुओं की चिकित्सा भारत सरकार के खुरपका मुंहपका केन्द्र, मेरठ तथा इफ्को टोकियो जनरल इनशुरेन्स लिमिटेड के सहयोग से किया गया। पशुधन की उत्पादकता में सुधार के लिए पशु प्रबंधन के विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर सलाह देकर जागरूक किया गया। शिविर के दौरान भूख में कमी, बुखार, परजीवी रोग, बांझपन, रिपीट ब्रीडर पशुओं से पीड़ित 150 से अधिक पशुओं का उपचार किया गया और उन्हें उन्नत पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की गई। शिविर में बीमार पशुओं का घर-घर जाकर इलाज करने और जरूरतमंद किसानों को पशु स्वास्थ्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर पेशेवर सलाह भी दी गई। शिविर में पशुचिकित्सा महाविद्यालय के विषय विशेषज्ञों की टीम में डा. अमित कुमार, डा. अमित वर्मा, डा. अरबिंद सिंह, डा. अजित सिंह, डा. आशुतोष त्रिपाठी, डा. नरेश चन्द्र, डा. अफरोज, डा. सत्येन्द्र, डा. शुभम उपस्थित रहे। इस अवसर पर भारत सरकार के खुरपका मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डा० अमित कुमार ने पशुपालकों को खुरपका एवं मुंहपका बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण की सलाह देते हुए प्रसार सामग्री का वितरण भी किया। आयोजन में पशुचिकित्सा अधिकारी डा. दीपा राणा ने सक्रिय योगदान दिया ।

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