एमडीए की भू-माफियाओं को खुली छूट

एमडीए की भू-माफियाओं को खुली छूट
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एमडीए की भू-माफियाओं को खुली छूट,  शहर के तमाम बड़े भू-माफियाओं के गॉफ फादर बने मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ अफसर केवल अवैध कालोनियां काटने वाले भू-माफियाओं के मददगार ही साबित नहीं हो रहे, बल्कि उन्होंने भ-माफियाओं को प्राधिकरण के संसाधनों की लूट की खुली छूट भी दे दी है। इससे अंदाजा लगा लीजिए कि नेताओं-भू-माफियाओं-अफसरों का यह गठजोड़ कितना मजबूत है और सिस्टम पर किस प्रकार से भारी पड़ा है। बीते शनिवार को गंगानगर इलाके की एक छोटे से विरोध प्रदर्शन ने अवैध कालोनियां काटने वाले नेक्सस और एमडीए के कुछ भ्रष्ट अफसरों के संगठित होकर काम करने वाले सिस्टम को बेपर्दा कर दिया।

ऐसे हुई कारगुजारी उजागर:

दरअसल हुआ यह कि गंगानगर डी ब्लॉक में एडीए की पुरानी अधिकृत कालोनी है। एमडीए की इस अधिकृत कालोनी से सटाकर एक भूमाफिया ने अवैध कालोनी काट दी। यह तो सर्वविदित है कि किसानों से हरे भरे खेत खरीद कर उनमें अवैध कालोनियां काटने वाले भू-माफियाओं का इन अवैध कालोनियां से सराेकार तभी तक होता है जब तक उनके सारे फ्लैट ठिकाने नहीं लग जाते, मसलन बिक नहीं जाते। एक बार सभी फ्लैट बिके नही कि उसके बाद भू-माफिया अपनी कालोनी की ओर आकर भी नहीं झांकते। ऐसा ही गंगानगर डी ब्लाक स्थित एमडीए की कालोनी से सटाकर काटी गयी अवैध कालोनी के साथ भी हुआ। लोगों ने इस अवैध कालोनी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए।

एप्रुव्ड बताकर गरीबों का ठगा:

आसपास के लोगों की मानें तो अवैध कालोनी को एप्रुव्ड बात कर भू-माफिया ने लोगों काे ठगने का काम किया। उन्होंने इस कालोनी में महंगे प्लाट खरीद लिए। यहां उल्लेखनीय है कि अवैध कालाेनियों में कभी भी सीवरेज सिस्टम भू-माफिया नहीं देते हैं। ऐसा ही इस कालोनी के साथ भी हुआ। इसमें सीवरेज सिस्टम नहीं दिया गया था। बताया जाता है कि जिन लोगों को इस कालोनी को एमडीए से एप्रुव्ड बताकर प्लाट बेचे गए जब उन्होंने सीवरेज सिस्टम को लेकर सवाल किया तो भू-माफिया ने इस जोन के तत्कालीन एमडीए के स्टाफ से सांठगांठ कर ली। इस सांठगांठ के बाद हुआ यह कि अवैध कालोनी के सीवर के पाइप को एमडीए के डी-ब्लाक गंगानगर स्थित कालोनी के सीवर लाइन में डाल दिया गया। पिछले करीब दस साल से एक पतली लाइन अवैध कालोनी के सीवर की एमडीए की कालोनी के बड़े सीवर में डाल दी गयी, लेकिन जब अवैध कालोनी के सारे प्लाट बन और बिक गए तो वहां सीवरेज सिस्टम को लेकर हाय तौबा मची। उसके बाद किया ये कि अवैध कालोनी का एक बड़ा सीवर पाइप एमडीए की विकसित कालोनी के सीवर पाइप में डाल दिया गया। हैरानी ताे इस बात की है कि शिकायत किए जाने के बाद भी एमडीए के अफसर टस से मस होने को तैयार नहीं। लोगों ने बताया कि पूर्व में एडीए उपाध्यक्ष व सचिव से इस कारगुजारी की शिकायत की जा चुकी है। शिकायत के बाद भी एमडीए से यहां कोई झांकने तक नहीं आया।

संसाधनों की लूट की छूट

जो कुछ गंगानगर में एमडीए की विकसित कालोनी में किया गया है, ऐसा ही नहीं इस मामले में यह इकलौती कालोनी है, पूरे महानगर में ऐसी कालोनियां की भरमार है, जहां अवैध कालोनी काटने वाले भू-माफिया समीप स्थित एमडीए के संसाधनों का यूज कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी एमडीए के स्टाफ को नहीं होती है, जानकारी भी होती है और एमडीए के संसाधनों को  किस प्रकार से यूज किया जाना है, यह रास्ता भी स्टाफ ही बताता है।

कालोनी भूमाफिया की सड़क सरकारी:

शहर के बागपत रोड इलाके  वाले एमडीए जोन की यदि बात की जाए तो बागपत रोड पर अवैध कालोनियाें की भरमार है। इस जोन में जितनी भी अवैध कालोनियां काटी गयी हैं उनसे से एक में भी सीवरेज सिस्टम नहीं दिया गया है। दरअसल अवैध् कालोनियों में सीवरेज सिस्टम का मेरठ में दस्तूर ही नहीं है। बगैर सीवरेज सिस्टम और पानी की टंकी के ही अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। लेकिन बागपत रोड की अवैध कालोनियों की यदि बात की जाए तो तमाम अवैध कालोनियों से निकलने वाला पानी बजाए नालियों में बहने के बागपत रोड पर मेन रोड पर बहाया जा रहा है। यहां सीमेंट गोदाम के आसपास का इलाका इसके लिए खासा बदनाम है।

धारा न्यूज कर चुका है खुलासा:

बागपत रोड की तमाम सीवरेज सिस्टम विहिन अवैध कालोनियां का कच्चा चिट्ठा धारा न्यूज पूर्व में प्रमुखता से खोल चुका है। धारा न्यूज के खुलासे के बाद काफी हो-हल्ला भी मचा था। कालोनी क्योंकि प्रभावशाली लोगों की थी, इसलिए खबर आने के अगले ही दिन वहां एमडीए और नगर निगम के अफसर दलबल के साथ पहुंच गए थे, लेकिन इन अफसरों ने सीवर सिस्टम न होने पर बजाए भू-माफिया की खबर लेने के बस इतना किया कि कालोनी से निकलने वाली पानी की निकासी सरकारी नाले से लिंक कर दी।

पार्किंग स्पेस बगैर कांप्लैक्स:

भू-माफिया केवल सीवरेज सिस्टम विहिन अवैध कालोनियां ही नहीं कट रहे हैं बल्कि शहर के जोन-ए-3 सरीखे इलाकों में जो अवैध कांप्लैक्स बनाए जा रहे हैं वहां तमाम मानकों को पैरों तले कुचला जा रहा है। नियमानुसार किसी भी कांप्लैक्स को बनाने के लिए वहां सबसे पहले फायर एनओसी होना जरूरी है तथा इससे भी ज्यादा जरूरी काम काप्लैक्स में जितनी भी दुकानें बनायी जा रही हैं उसके अनुपात को देखते एु पार्किग स्पेस का दिया जाना शामिल है। लेकिन जोन-ए-3 में असलम नाम शख्स जो अवैध कांप्लैक्स बना रहा है, उसने तो अपने कांप्पलैक्स के आगे दुकानों के अनुपात में पार्किंग स्पेस तो दूर की बात रही, वहां पर इतना भी स्पेस नहीं छोड़ा है कि दो चार दो पहिया वाहन भी खड़े किए जा सकें। जो अवैध कांप्लैक्स बनाया जा रहा है उसको मेन रोड से सटाकर बनाया गया है। ऐसा नहीं कि इस अवैध कांप्लैक्स में जो लोग दुकानें लेंगे उनके पास ग्राहक नहीं आएंगे। ग्राहक भी आएंगे और उनके वाहन भी कांप्लैक्स के आगे ही पार्क होंगे। ग्राहकों के वाहनों के अलावा जो व्यापारी यहां कारोबार के लिए दुकानें खरीदेंगे उनकी भी गाड़ियां अवैध कांप्लैक्स के आगे ही खड़ी होंगी, लेकिन जहां गाड़ियां पार्क की जाएंगी वो जमीन सरकारी यानि सड़क होगी। इस कांप्लैक्स के लिए सड़क ही पार्किंग मे तब्दील करा दी जाएगी।

श्रीराम प्लाजा पर आज तक कार्रवाई नहीं:

अवैध कालोनी का मामला हो या फिर अवैध कांप्लैक्स का मामला हो जैसा की एमडीए के रूडकी रोड जोन बी में देखा जा सकता है। जोन बी में मोदीपुरम फ्लाई ओवर के समीप श्रीराम प्लाजा के नाम से अनिल चौधरी निवासी दौराला ने कांप्लैक्स बनाया। इसका नक्शा भी एमडीए से पास कराया गया। लेकिन नक्शे में जो जगह वाहनों के पार्किंग के लिए दर्शायी गयी थी, उस जगह को भी अनिल चौधरी दुकानें बनाकर बेच डाली। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी एमडीए को नहीं है। जानकारी भी है और यह भी सच है कि जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। रूडकी रोड स्थित श्रीराम प्लाजा आज भी अनिल चौधरी और एमडीए  स्टाफ के गठजोड़ की गवाही दे रहा है। सोफीपुर के हिन्दू शमशान के समीप रामा कुंज अवैध मार्केट इसका जीता जागता प्रमाण है।

वर्जन

इसको लेकर जब एमडीए के बड़ा अफसरों से सवाल किया तो उन्होंने बजाए सीधा उत्तर देने के मामला जानकारी में नहीं है। जानकारी लेने के बाद ही इस संबंध में कुछ कहा जा सकता है, कहकर काल डिस्कनेक्ट कर दी।

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