मेरठ समेत चालिस की छुट्टी तय, उत्तर प्रदेश कांग्रेस आला कमान ने मेरठ समेत सूबे के चालिस जनपदों में जिला व शहर कांग्रेस बदले जाने के फैसले पर मोहर लगा दी है। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जिन जनपदों में जिला व शहर कांग्रेस बदले जाने हैं उनकी लिस्ट फाइनल है, उसको केवल जारी किया जाना बाकि है। माना जा रहा है कि संभवत इस माह की 19 तारीख तक यानि एआईसीसी अध्यक्ष के चुनाव के बाद कभी भी जारी किया जा सकता है। मसलन जहां चेंज किया जाना है, वहां जिला व शहर का नया अध्यक्ष कौन होगा, इसकी जानकारी दी जाएगी। वहीं दूसरी ओर पीसीसी सूची को लेकर पुराने कांग्रेसी ही नहीं बल्कि युवा कांग्रेसियों में जबरदस्त नाराजगी है। युवाओं का कहना है कि उनको कंसीडर नहीं किया गया यह समझ में आता है, लेकिन मेरठ में किशन कुमार किशनी, विनोद मोंगा, अशोक त्यागी, आदित्य शर्मा, चौ. यशपाल सिंह, डा. प्रेम प्रकाश शर्मा, पंड़ित नवनीत नागर, खेमचंद पहलवान, दीपक शर्मा, राकेश मिश्रा सरीखे जो कांग्रेस की पहचान माने जाते हैं, उनकी अनदेखी के पीछे क्या वजह है। या फिर यह मान लिया जाए कि अब देश की सबसे पुरानी पार्टी में एआईसीसी व पीसीसी के लिए पेमेंट करनी होगी।किशन कुमार किशनी, विनोद मोंगा, अशोक त्यागी, आदित्य शर्मा, चौ. यशपाल सिंह, डा. प्रेम प्रकाश शर्मा, पंड़ित नवनीत नागर, खेमचंद पहलवान सरीखे कांग्रेसियों को जब घर बैठा दिया जाएगा तो फिर पार्टी कार्यालय चंदन भवन पर पहले जैसी रौनक की उम्मीद की भी कैसे जा सकती है। चंदन भवन पर आयोजित होने वाले तमाम कार्यक्रमा फिर अपने गिनती के समर्थकों के भरोसे ही करने होंगे। यदि ऐसा ही चलता रहा तो फिर कांग्रेस के नाम पर कार्यकर्ताओं के हुजूम की बात तो सोचना भी बेमाने होगा। ना तो निष्ठावान समर्पित कार्यकर्ता जुटेंगे ना ही पहले सरीखा कांग्रेसियों को हुजूम जो चंदन भवन से लेकर जीमखाना और बच्चा पार्क तक नजर आता था वो कभी भविष्य में नजर आएगा। आयोजन के नाम पर केवल कार्यालय के कमरे में सामने लायक ही कांग्रेसी जुटाए जा सकेंगे। वहीं दूसरी ओर पीसीसी का आधार यदि मैंबर बनाना है तो पीसीसी के नाम पर जिन्होंने मैंबर बनाने का दावा किया है, उनके मैंबरों की सूची, मोबाइल नंबर व एट्रेस जिला व शहर संगठन के कार्यालय के सूचना पट पर साया यानि जारी किए जाएं ताकि जो आपत्ति कर रहे हैं उनका मुंह बंद किया जा सके, लेकिन नाराज कांग्रेसियों का कहना है ऐसा नहीं होगा, क्योंकि संगठन के नाम पर केवल धंधा किया जा रहा है। पार्टी के प्रति परिश्रम के बजाए पेमेंट देखी जा रही है।
चर्चा में है शांति फार्म हाउस की शादी: जब से पीसीसी की लिस्ट जारी की गई है तब से मेरठ कांग्रेस में पोल खोल की होड़ लगी है। इसीक्रम में विधानसभा चुनाव से पहले शांति फार्म हाउस में आयोजित एक विवाह समारोह खासी चर्चा में है। सुनने में आया है कि इस विवाह समारोह का सारा खर्चा कार्यकर्ताओं ने उठाया। खाने से लेकर दहेज के तमाम सामान तक का इंतजाम कार्यकर्ताओं से करा लिया गया। हींग लगा न फिटकरी और रंग भी चौखा आया। कांग्रेसियों का साफ कहना है कि पहले भी ऐसा होता आया है और यदि पुराने कांग्रेसियों की अनदेखी नहीं रूकी तो आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। यह तो आला कमान को साेचना है कि लोकसभा चुनाव से पहले जिस संगठन की तस्वीर बनाने की कोशिश है को प्रिंट करना है या फिर तस्वीर में एक-एक रंग को बड़े करीने और मेहनत से भरना है ताकि देखने वाले देखते रह जाएं और कहें हां वाकई बनाने वाले ने मेहनत की है। वर्ना जो हालत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुई है, उससे भी बदत्तर हो सकती है।