ना अपील ना दलील क्लीनचिट, 22-बी ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में कसूरवार टहराए गए बोर्ड कर्मियों पर कार्रवाई के इतर उन्हें क्लीनचिट देने का खेल कर दिया गया है। जिसके चलते कहा जा रहा है कि अब मेरठ कैंट बोर्ड के प्रशासन के अध्यक्ष/कमांडर व सीईओ सरीखे उच्च पदस्थ अफसर केवल प्रिसिंपल डायरेक्टर मध्य कमान ही नहीं बल्कि रक्षा मंत्रालय से भी खुद को ऊपर मान रहे हैं। ऐसा कहने के पीछे ठोस कारण भी है। मामला बहुचर्चित व कैंट प्रशासन के अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की जीती जागती इबारत मेरठ छावनी के बाउंड्री रोड स्थित होटल 22-बी को ट्रेड लाइसेंस जारी करने के आरोपी अफसरों से जुड़ा है। याद रहे कि शिकायतों की लंबी फेरिस्त के बाद रक्षा मंत्रालय ने पीडी मध्य कमान को जांच के लिए निर्देश दिए थे। पीडी के निर्देश पर डायरेक्टर डा. डीएन यादव मेरठ आए थे और जांच की थी। उसी दौरान बंगला 22 बी जिसमें अवैध होटल बना दिया गया है, में कैंट के तमाम अफसरों की कारगुजारी डीएन यादव ने पकड़ी थी। यह पूरा मामला 22-बी के होटल को ट्रेड लाइसेंस जारी किए जाने से जुड़ा था। जिस 22 बी के अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए था, उसको ट्रेड लाइसेंस जारी कर दिया गया। इस गुनाह के हमाम में कैंट प्रशासन के तमाम अफसरों को डीएन यादव ने बेपर्दा कर दिया था। जिसकी गूंज रखा मंत्रालय तक सुनाई दी थी। बाद में कमांडर ने आरोपी तमाम कसूरवार ठहराए गए अफसरों सेनेट्री सेक्शन हेड विनय त्यागी, अभिषे अलग-अलग कार्रवाई की थी। लेकिन 22-बी ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में जिन्हें कसूरवार ठहराया गया था। उन तमाम अफसरों को अब क्लीन थमाने का खेल कर दिया गया है। क्लीनचिट प्रकरण के सामने आने के बाद बोर्ड के अध्यक्ष/कमांडर व सीईओ के इस निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर स्टाफ में भी खासी सुगबुगाहट है। गुनाहगार ठहराए गए अफसरों को क्लीनचिट देने के लिए बोर्ड प्रशासन के उन अफसरों ने खेल कर दिया, जिन्होंने कार्रवाई की थी। और खेल भी ऐसा किया कि किसी भनक तक नहीं लगे, लेकिन अब यह उजागर हो गया है। दरअसल हुआ यह कि कैंट बोर्ड की 23 फरवरी की बैठक में बगैर किसी ऐजेंडा के आरोपियों को राहत का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। 22-बी को ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में डीएन यादव की जांच में कसूरवार ठहराए गए तमाम बोर्ड कर्मियों को क्लीनचिट दे दी गयी। बात केवल क्लीनचिट की होती तो भी गनीमत थी। क्लीनचिट से पहले ना तो किसी अपील न दलील की तक की जरूरत नहीं समझी गयी। सीधे क्लीनचिट का फरमान जारी कर दिया गया। जानकारों की मानें यह मामला सीबीआई के संज्ञान में लाया जा रहा है। जहां बोर्ड अध्यक्ष से लेकर सभी जिम्मेदार पर कार्रवाई संभव है।