बद इंतजामी के वायरस की चपेट में जिला अस्पताल, गरीब मरीजोें इलाज की एक मात्र उम्मीद प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ इन दिनों बद इंतजामी के वायरस की चपेट में आ गया है। या यूं कहें कि सिस्टम चलाने वालों ने मरीजों को जिस जिला अस्पताल के सहारे छोड़ा हुआ है, पहले उस जिला अस्पताल की खुद की बीमारियों का यदि इलाज कराएं तो यह मरीजों से ज्यादा जिला अस्पताल के लिए मुफीद साबित होगा। स्वास्थ्य विभाग इन दिनों संचारी रोगों तथा डेंगू व मलेरिया की रोकथाम के अभियान के नाम पर तमाम दावे कर रहा है, लेकिन जिला अस्पताल के ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट की यदि बात की जाए तो जिला अस्पताल ही संचारी रोगों व डेंगू व मलेरिया को फैलाने का केंद्र बना हुआ है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल और डफरिन यानि महिला अस्पताल की जो हालात बनी हुई है उसके चलते मरीजों के साथ आने वाले तिमारदारों के जिला अस्पताल में आने के बाद खुद बीमार होने का खतरा बना हुआ है। जहां तक नजर जाती है बद इंतजामी का आलम नजर आता है। लगता है कि इस बद इंतजामी को सुधारने के बजाए सिस्टम खासतौर से जिला अस्पताल को मेनटेन करने के जिम्मेदारों ने अस्पताल को उसके हाल पर छोड़ दिया है। अब यदि बद-इंतजामी की बात हो रही है तो उस पर भी एक नजर डाल लेते हैं।
मच्छरों गंदगी व मच्छरों का बसेरा
जिला अस्पताल स्थित मलेरिया वार्ड जाने के लिए आमतौर पर मरीज व उनके तिमारदार डफरिन से होकर जाना आसान समझते हैं, लेकिन इसकी एंट्री गेट पर चारों ओर फैली गंदगी और कीचड़ मलेरिया व जानलेवा डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लिए बेहद मुफीद साबित हो रहे हैं। यहां का हालात देखने से लगता है कि सबसे ज्यादा तो मच्छर यहीं पर पैदा हो रहे हैं।
पर्चा काउंटर संचारी अभियान पर भारी
जिला अस्पताल के पर्चा काउंटर पर उमड़ी मरीजों व तिमारदारों की भीड़ संचारी यानि जो रोग एक दूसरे से फैलते हैं, उसके रोकथाम के लिए चलाए जा रहे अभियान पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। पर्चा काउंटर देखकर ऐसा लगता है मानो यहां शाहरूख खान की जवान फिल्म के टिकट मिल रहे हों। भीड़ का आलम यह है कि पर्चा बनवाने वालों के कंधे छील रहे हैं।
तिमारदार ढो रहे मरीज-वार्ड बॉय नदारद
जिला अस्पताल में सबसे बुरा हाल उन मरीजों का है जो खुद अपने पांव पर चलकर डाक्टर के पास या डाक्टर पास से वार्ड में अपनी बेड तक नहीं जा सकते। यह काम अस्पताल के वार्ड बॉय के जिम्मे होता है, लेकिन पूरे अस्पताल का भ्रमण कर लिया, कहीं भी किसी भी जगह कोई वार्ड बॉय किसी मरीज को सहारा देता नजर नहीं आया। मरीजों के स्ट्रेचर खींचने का काम तिमारदार खुद कर रहे थे।
लावारिस हालात में मरीज
अस्पताल परिसर में ग्राउंड जीरो पर कई मरीजों को देखकर तरस आ गया। ऐसे मरीज असहाय व लावारिस अवस्था में नजर आ रहे थे। दरअसल मरीजों को छोड़कर उनके तिमारदार या तो पर्चा काउंटर पर गए थे या फिर दवा लेने के लिए काउंटर पर लाइन में लगे थे। एक मरीज की हालत बेहद नाजुक थी। उसके जिस्म पर पट्टियां लिप्टी थीं। दर्द से वो बेहाल था। कुछ मरीज अवसाद में दीखे।
हाउस फुूल वार्ड
बुखार तथा दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों से वार्ड पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ नजर आया, लेकिन मरीजों की संख्या के अनुपात में जितना स्टाफ वार्ड में होना चाहिए था वो नहीं दिखा। अपनी पहचान छिपाते हुए मरीजों ने शिकायत की कि यदि कोई जरूरत होती है तो डाक्टर व नर्स सरीखे स्टाफ का घंटों इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने अव्यवस्था की शिकायत की।
बीमारियों की बिक्री
अस्पताल में जहां दवा काउंटर है, वहीं पर एक शख्स खाने का सामान बेचता दिखाई दिया। दवा काउंटर के पास पत्थर की बैठने वाली बैंच पर इस शख्स ने खाने के सामान को रखकर मरीजों व तिमारदारों के बैठने की इस जगह को खोखा नुमा दुकान में तब्दील कर दिया था। यहां खाने का जो सामान रखा हुआ था उस पर मक्खियां भिन भिना रही थीं। खाने के सामान के साथ बीमारी बेची जा रही थीं।
यह कहना है कि प्रमुख अधीक्षक का
जिला अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. ईश्वरी देवी ने दावा किया कि सब ठीक है। मरीजों को पूरा इलाज मिल रहा है। दवाओं व डाक्टरों की कोई कमी नहीं है।