NEET के बाद अब NEXT क्यों, जब नीट की परीक्षा पास कर ली तो फिर नेक्सट के नाम पर नई व्यवस्था क्यों लागू की जा रही है। एमबीबीएस में जब एडमिशनल लिया था उस वक्त ऐसा कुछ नहीं बताया गया था। यदि कुछ ऐसा था तो सभी बताया जाना चाहिए था। अब नई-नई चीजें बीच पढ़ाई के क्यों थोपी जा रही हैं। यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है, इसलिए विरोध तो बनता है भले ही वो डाक्टर्स डे का ही दिन क्यों न हो। एनएमसी की यह व्यवस्था किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं हैं। डॉक्टर्स डे के अवसर पर मेडिकल स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन कर अपना गुस्सा निकाला। मेरठ में शनिवार को लाला लाजपतराय स्मारक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्र नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की ओर से आयोजित नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) के विरोध में उतरे। बता दें कि एनएमसी ने एमबीबीएस नेक्स्ट (नेशनल एग्जिट टेस्ट) को लागू कर दिया है। इसके विरोध में मेडिकल स्टूडेंट्स ने प्राचार्य दफ्तर के सामने सेंकडों की संख्या में हाथों में तख्तियां लेकर विरोध जताते हुए नारे लगाए। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सौ सीट हैं। 2019, 2020,2 021 और 2022 में दाखिला पाए छात्र और छात्राओं ने इसका खुलकर विरोध किया। उनका तर्क था कि जब एडमिशन हुआ था तब ऐसी कोई शर्त नहीं थी। केवल नीट क्वालिफाई जरूरी था। वहीं 2019 और 2020 में प्रवेश पाने वाले एमबीबीएस के स्टूडेंट्स ने कहा कि कोरोनाकाल में पहले ही उनके सामने पढाई में काफी चुनौती थीं, लेकिन अब ये नेक्सटऔर उनपर थोपा जा रहा है। स्टूडेंट्स अपना डर भी जाहिर करते हैं कि अगर इस नेस्ट के टेस्ट में असफल हुए तो ऐसे स्टूडेंट्स को अतिरिक्त समय भी अपनी मेडिकल की पढाई में देना होगा। कहा कि कॉन्सेप्ट तक भी क्लियर नहीं है कि इसका टेस्ट कब होगा। एनएमसी ने फैसला लिया है कि अब एमबीबीएस के छात्रों को नेक्सट परीक्षा देनी होगी। इसके बाद ही एमबीबीएस फाइनल इयर के छात्रों को डिग्री मिलेगी। तभी छात्रों को मेडिकल प्रैक्टिस की परमिशन दी जाएगी। अगर छात्र नेक्सट में फेल हो जाते हैं तो उन्हें यह डिग्री नहीं मिलेगी। बिना नेक्सट परीक्षा के एमबीबीएस पूरा नहीं होगा। मबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए क्वालिफाईंग परीक्षा के तौर पर होगा। एलोपैथिक डॉक्टर्स के लाइसेंस के लिए भी यह मेंडेटरी होगा। . एफएमजी और डॉक्टर्स जो देश में किसी भी पीजी पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें इस परीक्षा के माध्यम से गुजरकर ही जाना होगा।
.नेक्सट-1 में पास होने के लिए सभी 6 पेपर्स में 50% (100 में 50) की आवश्यकता होगी (जो नीट पीजी के लिए प्रतिशत नहीं है)
. नेक्सट अधिकारिता प्राप्त करने तक, पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नीट पीजी का उपयोग पिछले बैचों के लिए जारी रहेगा (इसे एनएमसी द्वारा निर्धारित किया जाएगा)
. एनएमसी द्वारा निर्धारित किसी भी महीने (मई या नवंबर आदि) में नेक्सट आयोजित किया जाएगा
. नेक्सट 1 में कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन एमबीबीएस पाठ्यक्रम के “सामेल होने” के 10 साल के भीतर उम्मीदवार को नेक्सट के दोनों चरणों में से पास होना होगा।
. उम्मीदवार नेक्सट 2 के पास होने के बाद ही पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अपने स्कोर को सुधारने के लिए नेक्सट 1 दे सकते हैं।
. उम्मीदवार को 50% प्रतिशत उत्तीर्णता मानदंड के साथ सभी 6 पेपर्स में पास होना होगा। यदि उम्मीदवार पहले प्रयास में किसी विषय में पास नहीं हो सकता है, तो उसे उस विषय के लिए 6 महीने बाद नेक्सट – 1 देना होगा। उसके बाद ही उसे नेक्सट – 1 में “पास” माना जाएगा और उसे इंटर्नशिप शुरू करने की अनुमति मिलेगी।
. नेक्सट – 1 के स्कोर को 5 साल के लिए मान्य माना जाएगा ।यदि उम्मीदवार स्कोर सुधारने के लिए नेक्सट – 1 दे रहा है, तो नेक्सट – 1 का स्कोर (जो उम्मीदवार द्वारा अंतिम दिया जाएगा) पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए मान्य रखा जाएगा।