NGT के नाम पर कार्रवाई बनी मजाक, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन के आदेश के नाम पर मेरठ विकास प्राधिकरण की कार्रवाई जहां मजाक बन कर रह गयी हैं, वहीं दूसरी ओर अवैध निर्माण रोकनेे के नाम पर इनकी कार्रवाई पर भी गंभीर सवाल पूछे जा रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के तमाम जोन प्रभारी कार्रवाई के नाम पर अवैध निर्माण रूकवा रहे हैं या फिर अवैध निर्माण कराने वालों को शह देकर कंकरीट का जंगल तैयार कराया जा रहा है। सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि जब तमाम जोन में भारी भरकम स्टाफ लगाया है। उन्हें सरकार मोटी सेलरी दे रही है फिर पूरा महानगर कैसे अवैध निर्माणों से बजबजा रहा है। लेकिन आज बात की जाएगी जोन डी में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन के आदेशों के नाम पर एक होटल के खिलाफ कार्रवाई को जेसीबी लेकर निकले एमडीए अधिकारियों की। अब कार्रवाई की यदि बात कर ली जाए तो एक बाहरी दिवार गिराकर कार्रवाई की इतिश्री कर ली गयी। क्या एनजीटी ने पूरा अवैध निर्माण ध्वस्त किए जाने की मनाही की है और कार्रवाई के नाम पर केवल बाहरी दीवार गिराने के आदेश जारी किए हैं, जैसा की मंगलवार को जोन डी में कार्रवाई के नाम पर कारगुजारी को अंजाम दिया गया। जेसीबी लेकर ताब देते हुए अवैध निर्माणों के खिलाफ निकलने वाले तमाम जोन अफसर और एमडीए के दस्ते की तमाम अवैध निर्माणों में कुछ ऐसी ही कहानी देखने को मिलती है। यदि ऐसा न होता तो मेरठ में अवैध निर्माणों की बाढ न आयी होती। जोन के अफसर केवल अवैध निर्माण ही नहीं करा रहे हैं आरोप है कि मेरठ विकास प्राधिरकण के उच्च पदस्थ अधिकारियों को बरगलाने का भी काम ये तमाम जेई व जोन प्रभारी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ पत्रकारों व आरटीआई एक्टिविस्ट की मानें तो कारगुजारियों की पोल पट्टी खोलने पर ये धमकाने से भी बाज नहीं आते। इसके इतर गरीब के झोपड़े पर जेसीबी चलाने में तनिक भी देरी नहीं की जाती। (BK Gupta)