बिक गया आबूलेन का निशात

निशात: क्या हुआ एई-जेई से जवाब तलब का
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बिक गया आबूलेन का निशात,

मेरठ के आबूलेन स्थित ओल्ड ग्रांट के बंगला नंबर 189 जिसमें सब डिविजन ऑफ साइट के चलते निशान सिनेमा, वाहनों की पार्किंग, कैंटीन आदि बनायी गयी, उसकी उक्त तमाम चीजें बिक चुकी हैं। शहर के दो सिनेमा हाल निशात व हापुड़ रोड इमिलयान स्थित गुलमर्ग को लेकर दीपक सेठ नाम के शख्स का नाम तब अक्सर लिया जाता था। अब इसको लेकर किसी विनोद अराेरा या फिर सुभाष सपरा नाम के शख्स की चर्चा आम है। यहां तक सुना जाता है कि सपरा आदि की मार्फत शहर घंटाघर स्थित अप्सरा सिनेमा को तोड़कर वहां शापिंग कांप्लैक्स बनाने वालों से संभवत इसका सौदा हो गया है। इसके साथ ही किसी एसआर ग्रुप का भी नाम लिया जा रहा है। हालांकि विनोद अरोरा, सपरा या एसआर ग्रुप को लेकर कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी है। कौन हैं ये लोग और करीब एक करोड़ों की आंकी जा रही संपत्ति आबूलेन स्थित अरसे से बंद पड़े निशात सिनेमा हाल को लेकर इनका नाम कैसे जोड़ा जा रहा है। यह वाकई हकीकत है या फिर शोशा!

ऐसे लिखी गयी निशांत कांड़ की पठकथा

कैंट बोर्ड: होते-होते रह गया था निशांत कांड। एक अरब से ज्यादा की संपत्ति आबूलेन स्थित ओल्ड ग्रांट के बंगले के कांड़ की पूरी तैयारी कर ली गई थी। भारत सरकार की इस संपत्ति को खुर्दबुर्द करने की साजिश की पठकथा को जिस प्रकार से  कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन ने  लिखा था, उसके चलते चूक की कहीं से कहीं तक कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई थी। मुटेशन को पूरी सावधानी बरतते हुए किसी प्रकार के चेज ऑफ परपज, सब डिविजन ऑफ साइट व अवैध निर्माण न होने की रिपोर्ट लगाई गयी, लेकिन रिपोर्ट लगाने वाले इंजीनियरिंग सेक्शन के एई व जेई की यह कारगुजारी कैंट बोर्ड मेरठ के   सीईओ  ज्योति कुमार की निगाहों से छिपी नहीं रह सकीं,  सो तब सीईओ ने  जवाब तलब कर लिया था। पांच दिन में उनसे जवाब मांगा था। लेकिन वह पांच दिन आज तक पूरे नहीं हो सके।  ओल्ड ग्रांट का यह बंगला जिसमें निशात सिनेमा हाल भी मौजूद है, जीएलआर में किन्हीं भार्गव बंधुओं के नाम दर्ज है। साल 2002 में भार्गव बंधु एंड परिवार ने इसको खुर्दबुर्द करने की तैयारी कर ली थी। कथित फर्जी फ्री होल्ड पेपर पेश कर हिन्दुस्तान लीज एंड कंस्ट्रक्शन के किसी सुभाष सपरा के नाम बैनामा कर दिया था। उस वक्त कैंट बोर्ड के सीईओ केजेएस चौहान थे। उन्होंने अदालत का सहारा लिया। जिसके बाद बैनामा निरस्त हुआ। सबसे बड़ी बात निशात की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के मामले में पूर्व में तत्कालीन रक्षा सचिव को अदालत की अवमानना का दंड़ झेलना पड़ा था। विधि विशेषज्ञों की राय है कि यदि बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के अफसरों की साजिश कामयाब हो गयी होती तो एक अरब से ज्यादा कीमत की भारत सरकार की यह संपत्ति खुर्दबुर्द होने से फिर कोई नहीं रोक सकता था। निशात सिनेमा हाल तो तोड़कर भव्य कांप्लैक्स बनाने का प्लान था। इसके लिए रिपोर्ट की एवज में भारी भरकम लेनदेन की भी चर्चा आम है। यह भी पता चला है कि इस संपत्ति के पिछले हिस्से में कैंट बोर्ड का जो खत्ता है, लेनदेन में उसको हटावा देने की शर्त भी शामिल की गई थी। लेकिन कारगुजारी सीईओ ने पकड़ ली और निशांत कांड टल गया था। हालांकि एक बार फिर वहां पर काम शुरू की बात सुनने में आ रही है, लेकिन यह संवाददाता इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।

कैंट बोर्ड के एई-जेई का जवाब तलब, जिस दौरान निशात सिनेमा कांड़ की स्क्रिप्ट  सीईओ  ज्योति कुमार ने पकड़ ली थी तब उन्होंने इसको लेकर  मेरठ कैंट बोर्ड के सीईओ ने एई व जेई  का जवाब तलब किया था।  तब भी केवल इतना ही पता चला था कि  निशात सिनेमा बिक गया है, किसने खरीदा यह स्पष्ट नहीं, इसके बिकने की चर्चा आम रही। सिनेमा हाल को ताेड़कर कांप्लेक्स बनाए जाने की बात आज भी कही जाती है। यह काम भले ही कुछ विलंब हो गया हो लेकिन इसकी पटकथा लिखी जा चुकी है। जानकारों की मानें तो पटकथा में बड़ी मदद कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन से मिली। दरअसल निशांत सिनेमा की संपत्ति जीएलआर में  किन्हीं भार्गव भाइयों के नाम से 189 रविन्द्रपुरी के तौर पर दर्ज है। इसमें प्रस्तावित कांप्लैक्स की राह के कांटे साफ करने के लिए कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की रिपोर्ट में यहां अवैध निर्माण, चेज आफ परपज और सब डिविजन ऑफ साइट को लेकर क्लीनचिट दे दी गई है, जबकि याद रहे कि उक्त तमाम बातों को लेकर कैंट बोर्ड मेरठ का संबंधित पक्ष से हाईकोर्ट में अरसे से वाद लंबित है। कैंट एक्ट में सबसे संगीन माने जाने वाले पीपीई एक्ट के तहत भी वाद लंबित है। इन सबके बावजूद इंजीनियरिंग सेक्शन की क्लीनचिट का दिया जाना वाकई किसी खेल से कम नहीं, लेकिन बताया जाता है कि सीईओ कैंट की नजर से इंजीनियरिंग सेक्शन के एई पीयूष गौतम, जेई अवधेश यादव व पूर्व में  बर्खास्त ड्राफ्टमेन राहुल का यह खेल छिपा नहीं रह सका। सीईओ की पैनी  नजरों ने फाइल में की गई तमाम खामियों को केवल पकड़ा ही नहीं बल्कि तत्काल जवाब तलब भी कर लिया। शहर घंटाघर स्थित अप्सरा सिनेमा की तर्ज पर ही निशात में भी कांप्लैक्स की बात सुनने में आ रही है। इस सारे खेल का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि निशात सिनेमा के बाहर एक घड़ी साज से मुटेशन के नाम पर छह लाख में सौदा किए जाने की भी चर्चा आम है।

सीईओ ज्योति कुमार ने टाला घोटाला

मेरठ कैंट के आबूलेन स्थित निशात सिनेमा कांड पर करोड़ाें की इस संपत्ति को खुर्दबुर्द करने की जो साजिश रची गयी थी उसको टालने का काम वर्तमान सीईओ ज्योति कुमार ने किया। उनकी वजह से ही करोड़ों रूपए की संपत्ति के नाम पर किया जाने वाला खेल अभी तक रूका हुआ है।

 

 

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