No one guilty-पेपर लीक-युवाओं की बर्बादी

No one guilty-पेपर लीक-युवाओं की बर्बादी
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No one guilty-पेपर लीक-युवाओं की बर्बादी, नई दिल्ली:  गुजरात मे अरसे से भाजपा की सरकार है और सालों से बीते करीब 2013 से वहां परीक्षा पेपर लीक का सिलसिला लगातार जारी है. हैरानी इस बात की नहीं कि पेपर लीक हाे रहे हैं. हैरानी इस बात की है कि पेपर लीक की बात तो सरकार मान रही हैं, लेकिन दोषी किसी को नहीं माना जा रहा है. युवाओं के भविष्य से इससे बड़ा औ भद्दा दूसरा मजाक और क्या हो सकता है. इसको सिस्टम की निर्लजता क्यों ना का जाए. जो भी युवा इस पेपर लीक की कीमत चुका रहे हैं उनका भविष्य तो बर्बाद हो चुका है. वो ओवर ऐज हो चुके हैं. सिस्टम की खामियां का खामियाजा भुगतने काे मजबूर है. उस पर तुर्रा यह है कोई कसूरवार नहीं.  11 पेपर लीक हुए हैं इनमें करीब दो सौ को आरोपी माना गया, लेकिन युवाओं को बर्बाद करने के मामले में आज तक किसी भी एक को सजा नहीं दिलायी जा सकी. अब इसको युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ ना बताएं तो और क्या बताएं. भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में मोदी की एक गारंटी कहती है कि ‘हमने सरकारी भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया है. अब, हम इस कानून को सख्ती से लागू करके युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को कड़ी सजा देंगे.’ इससे ठीक पहले, फरवरी 2024 में केंद्र सरकार ने ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पास किया था. यह कानून युवाओं के साथ देश भर में हो रहे फ़रेब का आईना है. पेपर लीक के कारण परीक्षा ही निरस्त नहीं होतीं, बेशुमार उम्मीदवारों की उम्मीदें भी टूट जाती हैं. एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक की  रिपोर्ट से साफ है कि बीते  पिछले पांच वर्षों में पेपर लीक के कारण 15 राज्यों में 41 भर्ती परीक्षाएं रद्द हुईं, जिससे 1.4 करोड़ आवेदकों को गहरा झटका लगा. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे हिंदी-भाषी राज्यों में यह घटनाएं जन-स्मृति का हिस्सा बनी हुई हैं, लेकिन भाजपा के ‘मॉडल’ राज्य गुजरात में स्थिति उतनी ही बदतर है.

11 पुलिस केस, 201 आरोपी, चयन बोर्ड अध्यक्ष का इस्तीफ़ा  

भाजपा-शासित गुजरात ने फरवरी 2023 में सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक के लिए एक विधेयक पारित किया था. यह कानून पेपर लीक के ‘संगठित अपराध’ के लिए अधिकतम 10 साल की कैद और कम से कम 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान करता है. सदन में विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने स्वीकार किया था कि राज्य में पिछले 11 वर्षों में पेपर लीक के 11 प्रकरण हुए हैं. इसके परिणामस्वरूप  201 आरोपियों के खिलाफ 11 मामले दर्ज हुए और 10 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया.  गुजरात में पेपर लीक की जड़ें बहुत गहरी हैं और भाजपा शासन से जुड़ी हैं. ये कड़ियां दो प्रमुख जगहों पर आकर मिलती हैं-  गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी), वह संस्था जो तमाम सरकारी भर्तियों के इम्तिहान करवाती है, और अहमदाबाद की सूर्या ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस जहां से कई पेपर लीक होने का आरोप हैं. 2021 का हेड क्लर्क पेपर लीक प्रकरण पिछले दशक में गुजरात का सबसे कुख्यात भर्ती घोटाला है. इसने सत्ता को हिला दिया और जीएसएसएसबी के तत्कालीन अध्यक्ष और भाजपा नेता असित वोरा को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफ़ा देने पर बाध्य कर दिया था.

क्या था मामला?

बेहिसाब पेपर लीक  

कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी का दावा है कि पिछले दशक में सरकारी नौकरी से जुड़ी 14 परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हुए हैं:

2013: जीपीएससी मुख्य अधिकारी भर्ती परीक्षा
2015: तलाटी भर्ती परीक्षा
2016: गांधीनगर, मोडासा, सुरेंद्रनगर जिले में जिला पंचायत द्वारा आयोजित तलाटी भर्ती परीक्षा
2018: टीएटी-टीचर परीक्षा
2018: मुख्य सेविका परीक्षा
2018: नायाब चिटनिस परीक्षा
2018: एलआरडी-लोक रक्षक दल
2019: गैर-सचिवालय क्लर्क
2020: सरकारी भर्ती परीक्षाएं (कोरोना काल)
2021: प्रधान लिपिक
2021: डीजीवीसीएल विद्युत सहायक
2021: सब ऑडिटर
2022: वन रक्षक
2023: जूनियर क्लर्क

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