मंदिर के चुनाव कर दिए सबूत का पता नहीं

मंदिर के चुनाव कर दिए सबूत का पता नहीं
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मंदिर के चुनाव कर दिए सबूत का पता नहीं,

मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित प्राचीन श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के पंचों पर बड़ी मुसीबत आसन्न है। जिसके चलते आशंका जतायी जा रही है कि बचेगा कोई नहीं। यह बात अलग है कि पहले नंबर किस का आए। बारी-बारी से नंबर आएगा सभी का क्योंकि कानून से ऊपर कोई नहीं। कानून ने अपना काम शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर सबसे बड़ा और चौकाने वाला जो खुलासा करने जा रहे हैं कि वो यह कि पंचों का बनना उनकी मजबूरी बन गया था। मजबूरी कैसे बना इसका भी आज खुलासा लगे हाथों कर देते हैं। मजबूरी ऐसे बना कि यह तो सभी जानते हैं कि मंदिर जी की कमेटी कालातीत है। मंदिर में कितने करोड़ों का दान कौन दे रहा है, कितने किलो सोना आ रहा है, जब कमेटी ही कालातीत है तो किससे तो सदर जैन समाज हिसाब मांगे और जो तथाकथित या कहें फेंक चुनाव के नाम पर अब तक खुद को काविज किए थे, उन पर डिप्टी रजिस्ट्रार का लगातार शिकंजा कसता जा रहा था। शिकंजा भी ऐसा कि सरकारी मेहमान बनने की आशंका तक जतायी जाने लगी।

चुनाव से भागने का प्रयास नहीं तो और क्या

सदर जैन समाज की मानें तो नियम कायदे से होने वाले पारदर्शी चुनावों से भागने ओर मंदिर पर अवैध कब्जा बनाए रखने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां एक कागज पेश किया गया जिसमें  बताया गया कि 10 जुलाई 2018 को श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर समिति दुर्गाबाड़ी सदर मेरठ की आमसभा की बैठक रंजीत कुमार जैन की अध्यक्षता में हुई। मंत्री दिनेश जैन ने कार्यवाही पढ़कर सुनाई व चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा। मंदिर के बाहर सदस्यों की लिस्ट चस्पा कर सार्वजनिक कर दी गयी। 31 पदों के लिए नामांकन आए। वोटिंग हुई बहुमत से रंजीत जैन अध्यक्ष सुनील कुमार जैन वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पदम प्रकाश जैन कनिष्ठ उपाध्यक्ष, दिनेश कुमार जैन मंत्री, सौरभ जैन उप मंत्री, सतीाश चंद जैन भंडारी, मृदुल जैन कोषाध्यक्ष व ज्ञानेन्द्र जैन ऑडिटर चुने गए। सदस्य के रूप में राकेश कुमार जैन, सुशील कुमार जैन, अनिल कुमार जैन,  अनिल कुमार जैन, विकास जैन, विकास जैन,  नवीन कुमार जैन, विजय कुमार जैन, अजय कुमार जैन, प्रदीप कुमार जैन, अंकुर जैन, संजय कुमार जैन, अनुज जैन, नितिन जैन, अतुल कुमार जैन, संजय कुमार जैन, निकुंज जैन, याेगेन्द्र प्रकाश जैन, प्रियंका जैन, नीता जैन, संतोष जैन, प्रीति जैन व संतोष जैन चुने गए। वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील कुमार जैन ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। यह पत्र डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां दिया गया। इस पर रंजीत जैन, डीके जैन व अनिल कुमार बंटी समेत कुछ अन्य के साइन है। यह भी बताया गया है कि 10 जुलाई 2004, 10 जुलाई 2004, 10 जुलाई 2009, 10 जुलाई 2012, 10 जुलाई 2015 व 10 जुलाई 2018 को भी चुनाव करा लिए गए हैं। अत मंदिर की कमेटी का नवीनीकरण कर दिया जाए। नई कमेटी की कोई जरूरत नहीं है।

गले की बना है फांस

रंजीत जैन, दिनेश जैन व अनिल बंटी सरीखे साइन का इस आश्य का पत्र तो दे दिया लेकिन यह पत्र गले की फांस बन गया है। डिप्टी रजिस्टर पूछ रहे हैं है कि जिन चुनाव की बात की जा रही है उनकी प्रोसीडिंग कहां। वो रजिस्टर कहां है जिसमें सभी सदर जैन समाज के चुनाव में भाग लेने वाले सदस्यों से हस्ताक्षर किए हैं। चुनाव कराए हैं तो चुनाव अधिकारी किसी बने गया है। वो रजिस्ट्रार कहां है जिसमें चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा गया है। उस पर अन्य ने हस्ताक्षर किए। चुनाव का कोई वीडिया या फोटो जिसमें मतदान किया जा रहा हो। जब चुनाव कराए हैं तो कुछ तो सबूत होगा। या बगैर किसी लिखा पढ़ी या सबूत  के चुनाव कर दिए गए। डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो यह लैटर गले की फांस बन गया और यही फंदे की वजह भी बनेगा।

जरूरी नहीं मजबूरी थी

चुनाव के नाम पर किए गए खेल का खुलासा होने के बाद अब मजबूरी यह थी कि पहले तो यह कि जो कारगुजारी दिखा दी गयी है उससे कैसे पीछा छूटे दूसरी यह कि जो कुछ मंदिर में रहते हुए किया उसकी पर्दादारी कैसे हो। कैसे खजांची को बचाया जाए और कैसे खुद बचा जाए। सो तय किया गया कि मंदिर जी ने निकाली जाने वाली शोभायात्रा से पहले पंच बना दिए जाएं और इन पंचों का ही समाज मान लिया जाए और किया भी कुछ वैसा ही गया। शोभायात्रा की पूर्व संध्या पर पंच बना दिए गए। अनिल बंटी  आदि कुल पांच पंच बना दिए। सदर जैन समाज अब खुल कर कह रहा है कि पंचों की जरूरत नहीं थी बल्कि चुनाव के नाम पर खेल करने वाले व डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां जो पत्र चुनावों को लेकर दिया गया उसकी जांच आसन्न देखकर ही पंच बनाना मजबूरी बन गयी थी। पंच बनाकर एक तीर से कई निशान साधे गए। पहला तो यह कि खजांची मृदुल को क्लीनचिट। दूसरा मंदिर पर खुद बनाए रखना, लेकिन खुलासा हो गया। और खुलासा भी ऐसा हो गया कि अभी तो खुद को बचाने की पड़ी है। क्योंकि कानून की देवी की आंखों से पर्दा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने हटा दिया है और उनके हाथ में संविधान थमा दिया है। चुनाव हो या फिर मंदिर चलेगा तो संविधान के हिसाब से ही ।इसलिए तो सवाल सदर जैन समाज पूछ रहा है कि चुनाव करा दिए तो सबूत कहां हैं….

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