क्लास तक लाना ही नहीं क्लास में रोकना भी है, मेरठ- सूबे की सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों की तेजी से घटती संख्या को लेकर खासी परेशान है। सरकारी स्कूलों के प्रति खत्म होते जा रहे मोह को खत्म करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पहली से पंद्रह जुलाई तक चलने वाले विशेष अभियान के तहत सरकारी स्कूलों मेंं बच्चों के दाखिलों की संख्या बढाई जाएगी। महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा का आदेश है कि केवल दाखिले भर से काम नहीं चलने वाला। यह भी तय किया जाए कि जिन बच्चों को दाखिला कराया गया है वो सभी पूरे वक्त स्कूल में रूकेंगी भी। इसके लिए जो भी करना पड़े करो। इसमें किसी प्रकार की कोताही की कोई गुंजाइश नहीं है। जानकारों के अनुसार सभी स्कूलों में 01 से15 जुलाई तक नवीन नामांकन बढ़ाने और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 80% ठहराव के लिए स्कूलों में जागरूकता रैली निकाली जाएगी और संचारी रोगोँ से बचाव हेतु स्कूल में रैली निकालेंगे। टैबलेट दिए जा चुके हैं सिम दिया जा चुका है। महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा ने निर्देश जारी किए हैं कि बच्चों की उपस्थिति, और मिडे मील खाने वाले बच्चों की उपस्थिति प्रेरणा ऐप के माध्यम से शुरू करायें। उन्होंने कहा है कि स्कूल विजिट के दौरान ये कार्य भी देखे जाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी स्कूलों को अवगत कराया जाता है कि स्टेट लेवल से स्कूलों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है कि अक्टूबर में कितने स्कूल निपुण होने हैं, दिसम्बर में कितने स्कूल है, और फरवरी में कितने स्कूल निपुण होने हैं सूची भेजी जा रही हैं। इसी प्रकार से समस्त स्टाफ अपनी अपनी कार्ययोजना तैयार कर अपने अपने स्कूल को निपुण बनाएंगे। उन्हाेंने यह भी जानकारी दी कि उनके द्वारा किएगए निरीक्षण के दौरान कुछ स्कूल रुचि नहीं लेते हुए पाये गए ,ऐसा अब नहीं होना चाहिए सभी स्टाफ को हेड टीचर्स जिम्मेदारी दें। उनको समझायें कि अब लक्ष्य निर्धारित हो गए हैं, तय समय में अपने स्कूल को निपुण बनाना होगा वरना उस स्कूल की जिम्मेदारी तय होगी क्यों निपुण नहीं बन पाया स्कूल ब्लॉक स्तर पर मेरी भी जिम्मेदारी तय कर दी गई है। स्टेट लेवल से इसलिए पुनः सभी को याद दिलाया जा रहा है कि अपने अपने काम को पूर्ण निष्ठा से करेंगे कार्य करने वाले टीचर्स के साथ विभाग खड़ा है ,जो लोग कार्य नहीं करेंगे, उनके खिलाफ लिखित कार्यवाही की जाएगी। कोई भी प्रॉब्लम हो तो उसकी सीधे भी जानकारी महानिदेशक कार्यालय को दी जा सकती है।