अफसरों के लिए आसान नहीं गंभीर होना, गाजियाबाद के डीपीएस सरीखे ब्रांडेड कान्वेट स्कूल में आरटीई के तहत गरीबों के दाखिले कराने के लिए किसी भी अफसर का पहले गंभीर होना जरूरी है। प्रशासन को चलाना और अफसर का गंभीर होना दो अलग-अलग बातें हैं। गाजियाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट गंभीर सिंह ने यह साबित कर दिया कि यदि पब्लिक के प्रति गंभीर हो तो कोई आरटीई क्या कोई भी काम दुश्वार नहीं। गंभीर सिंह सरीखे अफसर के लिए जितने भी शब्द कहे जाए कम हैं। जब शब्द कम पड़ जाते हैं तो फिर केवल साधुवाद ही दिया जाता है। साथ ही यह भी कि गंभीर सिंह का यह वकार यूं ही बना रहे। प्रशासन के गंभीर सिंह ऐसे ही अफसरों की वजह से सिस्टम की हनक कायम है। सिटी मजिस्ट्रेट ने साबित कर दिया कि सिस्टम से ऊपर कोई भी नहीं है, भले ही वो डीपीएस ही क्यों न हो। गंभीर सिंह पहुंच गए तो जिस डीपीएस के आरटीई के नाम पर गेट तक नहीं खुला करते थे, वो घुटनों पर ही नजर नहीं आया बल्कि जो बच्चे डिजर्व करते थे, उनको एडमिशन भी दिया गया। आरटीई के दाखिलों के लिए दो लिस्ट जारी हुई थी जिसमे 29 बच्चों का दाखिला होना था लेकिन स्कूल ने 5 महीने बीत जाने के बाद एक भी बच्चे का दाखिला नहीं लिया गया। लेकिन साबित हो गया कि अफसर यदि गंभीर हैं तो सिस्टम के आगे किसी की कोई बिसात नहीं। लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था, प्रधानाचार्या ने टालने का पूरा प्रयास किया, लेकिन जब सामने अफसर गंभीर हो तो फिर किसी प्रकार की और किसी की भी कलाकारी नहीं चलती। गंभीर सिंह बेहद सीरियस थे। फोर्स साथ लेकर आए थे। ऐसा लगता था कि आज परिणाम जरूर निकलेगा। इन बच्चों को सौभाग्य रहा कि सिटी मजिस्ट्रेट गंभीर सिंह का सीरियस होना उनके काम आ गया। इसके लिए जीपीएस की सीमा त्यागी, राजीव त्यागी समेत पूरे गाजियाबाद व इन सभी बच्चों ने गंभीर सिंह का आभार जताते हुए ऐसे ही सीरियस रहने का आग्रह किया है।