प्लीज! काशी टोल प्लाजा से नहीं

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प्लीज! काशी टोल प्लाजा से नहीं,

काशी टोल पर मुसीबत भरा सफर

-मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे के काशी टोल पर लगता है लंबा जाम-
-फास्टटेग के खराब सेंसरों की वजह से टोल पर जाम में फंसती हैं गाड़ियां-
मेरठ/पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाने वाले मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस वे को एनएचएआई अफसरों की बद-इंतजामी ने बदनामी का पलीता लगा दिया है। एक्सप्रेस वे के परतापुर के काशी टोल प्लाजा पर अफसरों की परले दर्ज की बद-इंतजामी और उपकरणों का सही रखरखाव न होने की वजह से आए दिन टोल पर जाम लगता है। यहां से गुजरने वाले वाहनों से काशी टोल पर भारी भरकम टोल वसूला जाता है, लेकिन भारी भरकम टोल वसूलने वाले अफसरों का यहां की चीजें दुरूस्त करने की ओर कोई ध्यान नहीं रह गया है। काशी टोल ज्याद पुराना हीं है। कुछ ही साल पहले इसके पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन के बाद शुरू किया गया था, इसके शुरू होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब वाया देहरादून व उत्तराखंड से मेरठ होकर दिल्ली व देश के दूसरे राज्यों की ओर जाने वाली गाड़ियों को जाम के झाम का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अफसरों की बद-इंतजामी के चलते अब काशी टोल पर ही हर वक्त जाम लग रहा है। एक से पौन घंटे तक गाड़ियों का जाम में फंसे रहना यहं आम बात हो गई है। काशी टोल पर लगाने वाले लंबे जाम में फंसने वाली गाड़ियों के मुसाफिर एनएचएआई के उन अफसरों को कोसते हैं जिनके हाथों टोल प्लाजा के इंतजाम का जिम्मा है।
दावों की निकाल रहे हवा
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे को लेकर केंद्र सरकार खासतौर से सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जो दावे करते हैं उन दावों की हवा निकालने का काम काशी टोल प्लाजा के अफसर कर रहे हैं। पूर्व में चुनाव के दौरान मेरठ में जनसभा को पहुंचे सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ने दावा किया था कि मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस वे मोदी सरकार का वेस्ट यूपी व उत्तराखंड के लोगों को सबसे बड़ा तोहफा है, घंटों का सफर मिनटों में पूरा हुआ करेगा। मेरठ से दिल्ली की दूरी महज 35 से 40 मिनट की रह जाएगी। इस प्रकार का दावा करने वाले नितिन गड़करी को यह नहीं पता था कि उनके ही महकमे की अफसर उनके दावों की हवा निकालने का काम काशी टोल पर करेंगे। इन अफसरों को इस बात का भी खौफ नहीं रहा कि काशी टोल प्लाजा पर बद-इंतजामी का मतलब सीधे-सीधे पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट की आलोचनाओं के हवाले करना है और ये अफसर ऐसा ही कर रहे हैं। काशी टोल के अफसरों को इस बात से कोई सरोकार नहीं रह गया है कि यहां से होकर गुजरने वाली गाड़ियों में देश के तमाम राज्यों से आने जाने वाली गाड़ियां भी शामिल होंती हैं। इनमें महाराष्ट, गुजरात, राजस्थान तथा देश के अन्य ऐसे ही दूरदराज के राज्यों के इलाकों की गाड़ियां काशी टोल से होकर गुजरती हैं, लेकिन टोल का पार करने से पहले आने जाने में उन्हें यहां लगाने वाले जाम की मुसीबत का सामना करना पड़ता है। काशी टोल से होकर रोजाना गुजरने वाले कुछ लोग तो अब कहने लगे हैं कि इस टोल पर लगने वाला जाम अब लाइलाज हो गया है। जाम की मुसीबत से मुक्ति दिलाने के बाए यहां तैनात अफसरों ने लगता है कि तय कर लिया है कि जो भी इस टोल से होकर गुजरेगा उसको हार हाल में जाम की वजह से पैदा होने वाली मुश्किल में धकेलना है और ऐसा भाी किया भी जा रहा है।
शो-पीस बनकर रह गए हैं सेंसर
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने जब टोल से गुजरने वाली गाड़ियों के लिए फास्टैग सिस्टम शुरू किया तभी मंत्री नितिन गड़करी ने वादा किया था कि अब किसी भी टोल पर रूकने की जरूरत नहीं होगी। टोल प्लाजा पर लगा सेंसर जो भी गाड़ी वहां से गुजरेगी उससे आटोमेटिक टोल की रकम आॅन लाइन काट लेगा। सड़क परिवहन मंत्री के एलान के बाद जिनकी गाड़ियों में फॉस्टैग नहीं लगा था, तभी ने गाड़ियों में फास्टैग लगवाने में तेजी दिखाई, लेकिन फास्टैग लगाने वाले बाद भी मुसीबत तो उन गाड़ी वालों के लिए खड़ी हुई जो वाया मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे के काशी टोल से होकर गुजरते हैं। जिन सेंसरों के बूते नॉन स्टाफ जर्नी का वादा सड़क परिवहन मंत्री ने किया वो तो अक्सर खराब ही रहते हैं। इन खराब सेंसरों की वजह से ही यहां दोनों ओर लंबा जाम लगता है। मुसीबत तो यह है कि जाम के दौरान जो लेन रिजर्व या कहें वीआईपी के लिए रखी जाती है, उससे भी गाड़ियां नहीं निकाली जातीं।
सवालों से भागते अफसर बोले नो प्रोबलम
काशी टोल पर इंतजाम संभालने का दम भरने वाले अफसरों से जब इसको लेकर सवाल किया तो वो टोल से दो दो ग्यारहा हो गए। यहां तक कि उन्होंने अपना नाम तक नहीं बताया। जब इस संवाददाता ने कहा कि मीडिया से हैं और खबर लिखकर सड़क परिवहन मंत्री को टैग करेंगे तो बोले नो प्रोबलम।
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