PMO से आयी जांच में डीईओ का खेल, मेरठ छावनी के माल रोड से सटे बीआई लाईन बंगला नंबर-45 के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से आयी जांच में बजाए सत्य तथ्याें से अवगत कराने के डीईओ *(रक्षा संपदा कार्यालय) ने खेल कर दिया। पीएमओ में जिस शख्स से शिकायत भेजी थी, उसका कहना है कि लगाए गए आरोपों के संबंध में उनके पास तमाम मजबूत साक्ष्य मौजूद हैं। उक्त बंगल को लेकर उनकी शिकायत पर जो जांच पीएमओ से आयी उसमें वह पूरा सहयोग करने को तैयार थे। इस बात को उन्होंने डीईओ कार्यालय से पीएमओ के यहां से आयी जांच को लेकर जिस अधिकारी का फोन काल आया था उसको भी बता दिया था, लेकिन इसके बावजूद बजाए सही तथ्यों की जानकारी लेने के डीईओ कार्यालय ने जांच के नाम पर लीपापोती कर दी।
गंभीर है मामला:
जानकारों का कहना है कि कोई भी जांच यदि पीएमओ से आती है तो संबंधित अधिकारी के लिए सही तथ्यों से अवगत कराना अनिवार्य व उसके दायित्व का पार्ट होता है। और जहां तक बीआई-लाइन-बंगला-45 की बात है, जिसका यहां जिक्र किया जा रहा है, वह रक्षा मंत्रालय के आधीन आने वाले डीईओ कार्यालय से संबंद्ध है। रक्षा मंत्रालय देश के हाईप्रोफाइल मंत्रालय में सबसे टॉप पर है, इसके बावजूद यदि डीईओ कार्यालय के स्तर से पीएमओ से मांगी गयी जानकारी को लेकर बजाए सही साक्ष्य से अवगत कराने के यदि जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है, जैसा कि इस मामले के शिकायतकर्ता राजीव कुमार पुत्र नंद किशोर गुप्ता निवासी 214 गंज बजार, मेरठ कैंट का आरोप है तो मामला वाकई गंभीर बन जाता है और इतना ही नहीं जांच पीएमओ से आये इस मामले की जांच करने वाले डीईओ के अफसर खुद जांच के दायरे में आ सकते हैं। ऐसे मामलों के विशेषज्ञ माने जाने वाले एक शख्स की माने तो यदि राजीव कुमार जिनकी शिकायत पर यह जांच की जा रही है, वो एक पत्र पीएमओ को डीईओ कार्यालय से की गई जांच को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए पीएमओ को भेज दें तो मामला गंभीर हो जाएगा।
यह है पूरा मामला:
मेरठ छावनी के बीआई-लाइन-बंगला-45 को लेकर राजीव कुमार द्वारा भेजी गयी शिकायत पर पीएमओ के यहां से जाे जांच आयी है, उसमें शिकायकर्ता का आरोप है कि वह ओल्ड ग्रांट की शर्तों के अनुसार वह स्वयं इस बंगले के आधे हिस्से के मालिक हैं। इसके संबंध में साक्ष्य के तौर पर राजीव कुमार रजिस्टर्ड बैनामे के कागजात दिखाते हैं। उनका आरोप है कि कैंट बोर्ड मेरठ का पूर्व सदस्य अनिल जैन जो भू-माफिया प्रवृत्ति का शख्स है तथा बंगला-45 में जो विक्रय पत्र में साधे का साझीदार है वह कैंट प्रशासन के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों से मिलकर भारत सरकार की करोड़ों रुपए कीमत की इस जमीन में अवैध रूप से अपने नाम मुटेशन कराकर इसकी जमीन को खुर्दबुर्द करना चाहता है। ऐसा करने से रोकने के लिए राजीव कुमार एक पत्र विगत 11 जुलाई 2022 को रक्षा संपदा अधिकारी को भेजे जाने की भी जानकारी पीएमओ को भेजे गए पत्र में देते हैं। साथ ही आग्रह करते हैं कि उक्त बंगले में उनके स्वामित्व के अधिकार की प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर से रक्षा की जाए। राजीव कुमार ने यह भी जानकारी दी कि बीआई लाइन बंगला-45 जिसका रजिस्टर्ड बैनाम हो जाने के बाद वह कानूनी आधे के मालिक हैं, विगत 13 दिसंबर 2022 को राष्ट्रपति व रक्षा मंत्रालय में ब्रिगेडियर बरहात उपेश-ब्रिगेडियर डब्लूकेएस (एलडब्लू एंड ई) कमरा नंबर 327 ए-विंग सेना भवन 1-एचक्यू, ऑफ एमओडी (आर्मी) डीएचक्याू, पीओ न्यू दिल्ली के समक्ष सरेंडर कर दिए जाने की जानकारी दी थी। इस तथ्य को अवगत कराने के लिए राजीव कुमार ने एक पत्र पीएमओ के अलावा राष्ट्रपति कार्यालय को विगत 16 मार्च 2023 को भेजा था। इन्हीं तमाम तथ्याें की जांच की जानी थी।
जांच स्वयं जांच के दायरे में :
मेरठ छावनी के बीआई लाइन बंगला-45 के आधे के कानूनी मालिक राजीव कुमार ने जो जिन तथ्यों की जानकारी दी है उसके बाद उक्त बंगले के संबंध में पीएमओ से जो जांच डीईओ कार्यालय के स्तर से की गयी बतायी गयी है, वह जांच खुद जांच के दायरे में है। उसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि शिकायतकर्ता को जांच अधिकारी ने अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका नहीं दिया। जबकि राजीव कुमार के पास तमाम साक्ष्य उक्त जांच के संबंध में मौजूद हैं जिससे पीएमओ कार्यालय को सही तथ्यों से अवगत कराया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिसके चलते डीईओ कार्यालय की जांच पर ही जांच की बात खुद शिकायतकर्ता कह रहे हैं।
वर्जन
इस संबंध में डीईओ कार्यालय का पक्ष जानने के लिए जब कार्यालय के सीयूजी नंबर पर काल किया तो अनेक बार कोशिश किए जाने के बाद भी काल रिसीव नहीं की गयी। इस संबंध में डीईओ का मोबाइल नंबर आउट आफ रेंज जाता रहा।