रैपिड का 25 किमी वायाडक्ट पूरा, 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के आधे हिस्से यानि 41 किमी के दायरे में पिलर्स का निर्माण पूरा हो गया है। इसके साथ ही, प्रायोरिटी सेक्शन को मिलाकर इस कॉरिडोर में अब तक 25 किमी तक के क्षेत्र में वायाडक्ट का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है। इस पूरे कॉरिडोर में 2800 पिलर बनाए जाने हैं जिसमें से 1700 पिलर्स बनकर तैयार हो गए हैं। आरआरटीएस कॉरिडोर का 70 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड है, जिसके लिए पिलर बनाए जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। 41 किमी के क्षेत्र में जो पिलर्स तैयार हो चुके हैं उनपर लॉन्चिंग गेंट्री (तारिणी) द्वारा वायाडक्ट का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए अब तक अलग-अलग स्थानों पर 24 लॉन्चिंग गेंट्री लगाई जा चुकी है। इन लॉन्चिंग गेंट्री के द्वारा अब तक निर्मित 25 किमी के वायाडक्ट में, 16 किमी से अधिक वायाडक्ट का भाग प्रायोरिटी सेक्शन में निर्मित किया गया है। कॉरिडोर पर स्टेशनों का निर्माण कार्य भी तेज़ी से हो रहा है और कुछ स्टेशनों का काम प्लेटफॉर्म लेवल तक पहुंच चुका है। 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है। इस कॉरिडोर का 17 किलोमीटर का भाग प्रायोरिटी सेक्शन है जिसमें 5 स्टेशन हैं, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो। प्रायोरिटी सेक्शन में आने वाले स्टेशनों और डिपो का निर्माण आगामी कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। वर्तमान में, यहां वायाडक्ट पर ट्रैक बिछाने, सिग्नलिंग और ओएचई लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। गुजरात के सावली में निर्मित भारत की प्रथम आरआरटीएस ट्रेन के आगमन के लिए दुहाई डिपो में ट्रैक्स आदि बनकर तैयार हो चुके हैं तथा ट्रेन के परिचालन एवं रखरखाव की तैयारी की जा रही है। जल्द ही प्रायोरिटी सेक्शन में आरआरटीएस ट्रेन का ट्रायल रन शुरू हो जाएगा। एनसीआरटीसी ने निर्माण स्थलों में और उसके आसपास व्यापक प्रदूषण नियंत्रण उपाय करते हुए निर्माण की गति को बनाए रखा है।