राशन डकारने वाले अफसरों पर कार्रवाई कब

राशन डकारने वाले अफसरों पर कार्रवाई कब
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राशन डकारने वाले अफसरों पर कार्रवाई कब,

-थाना सिविल लाइन पहुंचे डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी देरी पर जतायी नाराजगी

-राशन घोटाले में तत्कालीन डीएसओ समेत करीब सौ के खिलाफ एफआईआर के हैं आदेश

-सिविल लाइन पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर केवल प्राइवेट अपरेटर शाहनवाज को भेजा है अभी तक जेल

– डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की शिकायत पर शासन ने कराई थी एसआईटी से जांच, हजारों अपात्रों के नाम पर डकार जा रहा था राशन
 मेरठ 

गरीबों के नाम पर निवाला डकारने वाले अफसरों के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी में देरी पर भाजपा के राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने शुक्रवार को थाना सिविल लाइन पहुंचकर कठोर लहजे में नाराजगी जतायी। उन्होंने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट और शासन के आदेश के बावजूद आरोपी अफसरों पर पुलिस का कार्रवाई ना किया जाना दुर्भाग्यूपर्ण हैं। डा. वाजपेयी के आने की सूचना पर सीओ भी थाना सिविल लाइन पहुंच गए थे। इस मामले में अभी तक पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर केवल डीएसओ कार्यालय के पूर्व प्राइवेट आपरेटर शाहनवाज केा ही गिरफ्तार कर जेल भेजा है। जबकि एसआईटी ने तत्कालीन डीएसओ समेत कई एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टरों के खिलाफ एफआईआर की संस्तुति की है।

डा. वाजेपयी की शिकायत पर हुई थी जांच

साल 2018 में डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की शिकायत पर ही शासन ने एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच करायी थी। जांच में एसआईटी ने बड़ी संख्या में करीब साठ हजार ऐसे राशन कार्ड पाए थे जिनमें यूनिट तो काट दी गयी थी, लेकिन काटी गयी यूनिटों के नाम पर तत्कालीन अधिकारियों की कथित मिलीभगत से राशन डीलर सरकारी गोदाम से राशन उठा रहे थे। आरोप लगा था कि गरीबों के नाम पर निवाले पर इस सामुहिक डकैती में सभी का हिस्सा था। दरअसल में मेरठ में बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड चलन में होने की शिकायत की थी। इससे भी बड़ा मामला यह था कि जिन राशन कार्ड की यूनिट काट दी गयी थीं उन कटी हुई यूनिटों पर भी संगठित रूप से किए जा रहे भ्रष्टाचार के चलते राशन उठाया जा रहा था। भाजपा नेता की शिकायत पर शासन ने एसआईटी का गठन कर दिया था। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाते हुए तथा कार्रवाई की संस्तुति कर शासन को रिपोर्ट भेज दी थी।

इनके खिलाफ है संस्तुति

साल 2018 के (अपात्रों के राशन कार्ड) फर्जी राशन कार्ड घोटाले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन डीएसओ विकास गौतम के अलावा एआरओ नरेन्द्र सिंह, पूर्ति निरीक्षक अजय कुमार, आशाराम व रविन्द्र कुमार के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की थी। डीएसओ के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कार्रवाई के बाद उन्हें खाद्यायुक्त कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था, लेकिन नरेन्द्र सिंह व अजय कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्या हुई यह स्पष्ट नहीं, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विभागीय कार्रवाई के अलावा मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 आईपीसी एवं धारा 13(1) डी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर विवेचना कराए जाने की भी संस्तुति की गयी थी। विभागीय जांच की संस्तुति इससे इतर थी। इस मामले में डीएसओ कार्यालय के निजी आपरेटर व अधिकारी ही नहीं बल्कि 63 राशन कार्ड डीलरों पर भी कार्रवाई की संस्तुति की थी।
यह था पूरा मामला

डीएम को कार्रवाई के निर्देश
सितंबर 2020 को इस मामले में एसआईटी की जांच के आधार पर तत्कालीन आयुक्त खाद्यान मनीष चौहान ने एक पत्र तत्कालीन डीएम मेरठ को भेजकर पूरे मामले का उसमें उल्लेख करते हुए एसआईटी ने जिनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए उन सभी पर कार्रवाई व मुकदमे के निर्देश दिए। डीएम कार्यालय से उक्त पत्र 21 सितंबर को एडीएम ई कार्यालय व डीएसओ कार्यालय को कार्रवाई की प्रत्याशा में भेजा गया था। यह बात अलग है कि इस मामले में डीएसओ कार्यालय के जिन अफसरों के खिलाफ मुकदमें की संस्तुति की गयी थी उन पर आज तक प्राइवेट आपरेटर की तर्ज पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका। आज पुलिस ने शाहनवाज को उसके घर पर दबिश देकर उठा लिया। यह दूसरा मौका है जब शाहनवाज की गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले भी एक बार उसको गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी क्यों

अपात्रों के नाम राशन कार्ड में जोड़कर उनके नाम से राशन डकारे जाने के मामले में जिनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी है उनकी अभी तक गिरफ्तारी का ना किया जाना दुर्भाग्यपूण है। इस संबंध में आज थाने पहुंचे थे। डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी राज्यसभा सांसद

सीओ ने लगायी फटकार

मामले में देरी को लेकर सीओ सिविल लाइन त्रिपाठी ने जांच अधिकारी को बुलाकर उन्हें फटकार लगायी। उन्होने कहा कि तीन साल पुराना मामला है। अभी तक जांच में यही नहीं पता कि कौन-कौन कसूरवार हैं।


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