ऋषभ- गुनाह अनेक कसूरवार एक

ऋषभ: साजिश नहीं तो और क्या कहें
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ऋषभ- गुनाह अनेक कसूरवार एक, मेरठ सदर के जैन समाज ने शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए बड़े जतन से जिस ऋषभ एकाडेमी को खड़ा किया, उसमें तत्कालीन सचिव रंजीत जैन के कार्यकाल में जो भी गवन घोटाले हुए हैं, उसके पीछे एक ही शख्स का नाम तमाम सरकारी एजेन्सियों की जांच के बाद सामने आया है। सरकारी एजेंसियां जो इस शख्स की क्रिया कलापों की जांच कर रही हैं, वो अभी जानबूझ कर इसका नाम जाहिर नहीं कर रही हैं। दरअसल ये तमाम जांच एजेन्सियां इस शख्स पर पूरा शिकंजा कसने के बाद ही इसका नाम समाज के सामने लाएंगी, तब तक ऋषभ के इस गुनाहगार को केवल अंडर ट्रेक रखा गया है, यानि इसकी प्रत्येक गतिविधि ट्रेक की जा रही है। जो भी घपले घोटले हुए हैं जो भी नुकसान पहुंचा है उसमें ऋषभ के इसी गुनाहकार का नाम सामने आ रहा है। खुद जांच ऐजेन्सियां इस बात को लेकर हैरत में कि सभी की जांच की बातें करने वाला तमाम अफसरों के यहां आए दिन डेरा डाल कर रखने वाला ऋषभ का गुनाहगार इतना शातिर भी हो सकता है। करोड़ों के गवन घोटाले में जो जेल में बंद हैं और जो जमानत पर बाहर हैं, जांच से पता चला है कि वो तो केवल मोहरे या कहें कठपुतली मात्र हैं। उनको गवन व घोटाली की तमाम राहें दिखाने वाला ऋषभ का यही असली गुनाहगार है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इसकी नजर किसी पर नहीं है और यह खुद सब पर नजर रखे हुए हैं, आरोपियों की पैरवी से लेकर समाज के पक्ष में आवाज उठाने वालों को डराने धमकाने तक इसी शख्स का नाम हर मामले में अब खुलकर सामने आ रहा है। हालांकि जिन अफसरों पर इसकी असलियत जाहिर हो गयी है, उनके पास कार्रवाई के डर से इसने फटना भी बंद कर दिया है। ऋषभ एकाडेमी के इस गुनाहगार पर तमाम जांच एजेन्सियां लगातार नजर रखे हैं। जो भी गुनाह इसने ऋषभ को नुकसान पहुंचाने के लिए किए हैं, उनका हिसाब होगा।

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