सड़ा कर रख दी कमांडर की सल्तनत, स्वच्छ कैंट के नारे के नाम पर दीवारें पोतने वाले वाले मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन की कारगुजारी से कैंट बोर्ड अध्यक्ष व कमांडर की सल्तन माने जाने वाला छावनी का इलाका गंदगी से बज-बजा रहा है। गंदगी की यदि बात की जाए तो पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कैंट बोर्ड प्रशासन कितना सजग है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बोर्ड अध्यक्ष व कमांडर सरकारी आवास के चंद कदम की दूरी पर स्थित जीपीओ खत्ता गदंगी से बज बजा रहा है। यह खत्ता छुट्टा पशुओं की चारागाह बन गया है। यहां चौबीस घंटे छुट्टा गो वंश व स्ट्रीट डॉग खत्ते की गंदगी को इधर-उधर दूर तक फैलाते हुए देखे जा सकते हैं। कई बार तो यहां डंप किए जाने वाले कूड़े-कचरे में मृत पशु भी होते हैं। इन मृतक पशुओं की वजह से उठने वाली सड़ाध आसपास रहने वालों खासतौर से इस इलाके में स्थित फौज के बड़े अफसरों के परिवारों के सदस्यों को न परेशान करती हो यह हो नहीं सकता। लेकिन इसके बाद भी लगाता है कि कैंट बोर्ड प्रशासन खासतौर से स्वच्छ भारत और स्वच्छ कैंट के नारों से छावनी की दीवारों को रंगवाने वालों को कोई सरोकार नहीं रह गया है। दरअसल इस गंदगी से उन्हें दो चार नहीं होना पड़ा है। कैंट बोर्ड प्रशासन की इस कारगुजारी का सबसे बुरा असर यह हुआ कि जो लोग मार्निंग वाॅक लिए वाया माल रोड इस ओर से होकर जाते थे, उन्होंने अब इस ओर आना तो दूर मार्निंग वॉक पर ही आना बंद कर दिया। कैंट बोर्ड की प्रतिष्ठा के लिए इससे बुरी कोई दूसरी बात हो ही नहीं सकती। शहर के एक बड़े गुड कारोबारी नरेश प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि कैंट बोर्ड का माल रोड से सटा जीपीओ का इलाका पूर्व के अफसरों के दाैर में उनके व उनकी सेहत के लिए सबसे मुफीद हुआ करता था, लेकिन अब लगता है कि कैंट बोर्ड के अफसरों को पब्लिक रेस्पाॅस जैसी चीजों से कोई सरोकार नहीं रह गया है। पब्लिक फीड बैंक पर ही साल 2019 मेरठ कैंट बाेड को तीसरा स्थाना मिला था, लेकिन अब इसे बदनसीबी कहा जाएगा कि इसके लिए जिम्मेदार अफसरों की कारगुजारियों की वजह से अब गिरकर 27वें पायदान पर पहुंच गया है। तो यह मान लिया जाए कि कैंट बाेर्ड के नहीं रखीद सके अवार्ड।