सेना के बंगलाें में अवैध निर्माण

सेना में भर्ती परीक्षा 17 को
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सेना के बंगलाें में अवैध निर्माण, मेरठ। छावनी स्थित भारत सरकार की संपत्ति तमाम बंगलों में कैंट बोर्ड के कुछ भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी इन बंगलों को खुर्दबुर्द मसलन किसी प्रोपर्टी डीलर की तर्ज पर ले बेच ही नहीं रहे हैं बल्कि वहां अवैध निर्माण भी बड़े स्तर पर कराया जा रहे हैं। कैंट बोर्ड प्रशासन की लापरवाही के चलते जितने भी बंगलों को खुर्दबुर्द अब तक किए जा चुका हैं,  उन सभी में न केवल बड़े स्तर पर अवैध निर्माण कराए गए हैं, बल्कि इन तमाम बंगलों का पुराना स्वरूप भी बदल दिया गया है। जीएलआर में इन बंगलों का जो भूगोल दर्ज है कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की छत्रछाया में किए गए अवैध निर्माण के बाद इन तमाम बंगलों का हुलिया ही पूरी तरह से बदल दिया गया है। कुछ बंगले तो होटल व व्यवसायिक कांप्लैक्सों तथा कुछ विवाह मंडप में तब्दील करा दिए गए हैं। इन तमाम बंगलों में सब डिविजन आफ साइट, चेंज आफ परपज और अवैध निर्माण सरीखे कैंट अधिनियम में गंभीर समझी जाने वाली तमाम कारगुजारियां की गयी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कैंट बोर्ड प्रशासन के अफसरों की नींद टूटती नजर नहीं आ रही है। जहां तक कार्रवाई की बात है तो वो फाइलों में भले ही की गयी हों, लेकिन जमीनी स्तर पर किसी बंगले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। मेरठ छावनी के वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 210 -ए कैसल व्यू को विवाह मंडप में तब्दील कर दिया गया है। इस बंगले के एक बड़े ओपन हिस्से में भी एक ओर बड़ा हाल अवैध रूप से बना लिया गया है। सुनने में आया है कि इस अवैध हाल में बड़ी मदद कैंट बोर्ड के स्टाफ ने की है। बीसी लाइन स्थित बंगला 152 जिसको गंभीर का बंगला भी कहा जाता है, इस बंगले पर अब गंभीर एंड फैमली के बजाए जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे दयानंद गुप्ता के किसी करीबी रिश्तेदार का कब्जा है। उनके द्वारा कैंट बोर्ड के कुछ अधिकारियों की मदद से इस बंगले को खरीद लिए जाने की बात कही जा रही है। जिन अफसरों पर भारत सरकार के इस बंगले को खुर्दबुर्द करने के आरोप लग रहे हैं उन्हीं अफसरों पर इस बंगले में बड़े स्तर पर अवैध निर्माण कराने के भी आरोप लग रहे हैं। इस मामले में कैंट बोर्ड के एक पूर्व सदस्य का नाम बंगले का सौदा कराने से लेकर उसमें अवैध निर्माण कराने तक लिया जा रहा है। इस बंगले में अवैध निर्माण के पीछे कैंट बोर्ड के स्टाफ की भी भूमिका अहम बतायी जा  रही है। जानकारों का कहना है कि इन बंगलों में किए जाने वाले अवैध निर्माण का काम बंगलों की मरम्मत के नाम पर कराया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि भविष्य में यदि किसी बंगले को लेकर मंत्रालय में की जाने वाली शिकायत के बाद यदि सीबीआई सरीखी कोई कार्रवाई हो तो खुद की गर्दन को बचाया जा सके। इसी तर्ज पर सरकुलर रोड स्थित एक अन्य बंगला 276  में वर्तमान में व्हाउट हाउस के नाम से होटल रेस्टारेंट खोल दिया गया है। सरकुलर रोड के इस बंगले में चल रहा व्हाइट हाउस कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के भ्रष्टाचार का पर्याय बनकर रह गया है। इस बंगले में जब व्हाइट हाउस का अवैध निर्माण चल रहा था तो उस दौरान तत्कालीन सीईओ प्रसाद चव्हाण ने कई बार छापा मारा। अवैध निर्माण को सील किया गया। उसके बाद भी यदि बंगले में व्हाहट हाउस होटल रेस्टोरेंट बन जाता है तो इसको कैंट बोर्ड प्रशासन की कारगुजारी व भ्रष्टाचार न कहें तो और क्या कहें। हैरानी तो इस बात की है कि जिस बंगले को तत्कालीन सीईओ प्रसाद चव्हाण ने अपने कार्यकाल में छापा मरने के बाद सील करा दिया था, उसी बंगले में उन्हीं के कार्यकाल के दौरान न केवल दोबारा काम शुरू करा दिया गया बल्कि उक्त बंगले को भव्य आलिशान व्हाइट हाउस का भी नाम दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेरठ कैंट बोर्ड के अफसर अवैध निर्माण रोकने के नाम पर क्या खेल खेल रहे हैं। या फिर यह मान लिया जाए कि अवैध निर्माण के रास्ते बताने का काम करने में लगे हैं और इस एवज में लाखों रूपए का लेनदेन चल रहा है।  सीईओ साहव कृपा ध्यान दें।

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