सखी संइया तो..महंगाई डायन

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सखी संइया तो..महंगाई डायन, सखी संइया तो खूब ही कमात है महंगाई डायन खाए जात है। कुछ ऐसा ही हाल आज कल की गृहस्वामिनियों यानि आपके घर परिवार की होम मिनिस्टर का है। किचन की थाली का साइज महंगाई लगातार लील रही है। लगातार बढ़ती महंगाई से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है। स्थिति यह है कि हर माह किसी न किसी खाद्य पदार्थ के दाम तेजी से बढ़ जाते हैं। ऐसे में एक मध्यवर्गीय परिवार के पूरे माह का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। पिछले छह माह में घरों के खर्चे औसतन 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।  छह माह पहले जो घरेलू एलपीजी सिलिंडर 603 रुपये का था, सब्सिडी खत्म होने से अब उसमें 100 रुपये की वृद्धि हो गई है। इसी तरह पेट्रोल और डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं जबकि कच्चे तेल की कीमतों में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है। वहीं दालों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। इसके अलावा खाद्य तेल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी से लोग परेशान हैं। हाल ही में खाद्य तेलों के दाम प्रति लीटर 30 से 35 रुपये तब बढ़ गए हैं।चंडीगढ़ में पेट्रोल का रेट 82.58 रुपये प्रति लीटर रहा। पेट्रोल-डीजल के रेट में बढ़ोतरी कई महीने से जारी है।   पंकज गुप्ता ने बताया कि पहले बाल कटवाने पर 50 रुपये खर्च होते थे।  अब  100 रुपये लग जा रहे हैं। वहीं अब ऑटो का किराया भी सीधे 20 रुपये हो गया है।   मीना जोशी का कहना है कि कोरोना महामारी में कई लोगों की नौकरी चली गई है। लगातार महंगाई बढ़ने से मासिक खर्च चलाना तक मुश्किल हो गया है। 15 से 20 हजार रुपये में अब का खर्च कैसे चलेगा,। आईबीआई के चेयरपर्सन डॉ. सतीश वर्मा का कहना है कि गृहस्थी चलाने में दो चीजें महत्वपूर्ण होती हैं। एक इनकम और दूसरे खर्चे। पहले कई चीजों पर सब्सिडी सीधे मिलती थी। उसके बाद खाते में भेजने का प्रावधान किया गया। अब सब्सिडी लगभग खत्म ही कर दी गई है। जो भी महंगाई कोविड के बाद बढ़ी वह व्यापारी अपनी हानि को पूरा करने के लिए बढ़ा रहे हैं।

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