सेलरी व सस्पेंशन के सवाल पर बबाल, कर्मचारियों की सेलरी और सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेक्टर योगेश यादव के सस्पेंशन में बोर्ड में बबाल हो गया है। सीईओ से पूछा गया है कि संविदा तो संविदा नियमित की भी सेलरी क्यों नहीं दी जा रही है। योगेश यादव प्रकरण में न तो पीडी न ही डीजी से कोई निर्देश उसके बाद भी इंस्पेक्टर जैसे अधिकारी पर सस्पेंशन जैसी बड़ी कार्रवाई इसके पीछे मुख्य वजह क्या है। और जहां तक सेलरी की बात है तो संविद स्टाफ के एकाउंट में सीधे सेलरी जाए और जो ठेकेदार का कमिशन बनता है वो उसे दिया जाए। वाया ठेकेदार संविदा की सेलरी की प्रथा एकदम गलत है। इस बात को भी एक सिरे से खारिज कर दिया गया कि लेबर कमिश्नर की कोर्ट में सेलरी का मामला चल रहा है। हिदायत दी गयी कि लेबर कमिश्नर की कोर्ट में जो मामला विचाराधीन है उसको सेलरी बांटने से न जोड़ा जाए। इसका असर यह हुआ की कर्मचारियों को बैंक एकाउंट नंबर, पैन कार्ड आदि दफ्तर में जमा करने को कह दिया गया है। अब योगेश यादव के सस्पेंशन की बात। सीईओ से पूछा गया है कि क्या पीडी या डीजी के यहां से कोई जांच आयी है। जहां तक सब एरिया मुख्यालय से पत्र को आधार बताया जा रहा है तो कोई भी लेटर यदि वहां जाएगा तो सब एरिया मुख्यालय तो वो पत्र कैंट बोर्ड को ही फारवर्ड करेगा। फिर जिसने शिकायत की है वो शख्स कौन है, कहां रहता है, मोबइल नंबर क्या है। केवल यह कह देना की सीईओ के नाम पर पैसे मांगे गए हैं और सबूत न देना सस्पेंशन जैसी कार्रवाई का आधार नहीं बन सकता। दूसरी बात जिस मामले में शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने को मोटी रकम ऑफर की गयी। सीसीटीवी फुटेज सबूत के तौर पर दिए गए हैं उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं। वैसे भी विभाग के बिजिलेंस के ठोस सबूत के बाद ही सस्पेंशन सरीखी कार्रवाई के निर्देश हैं। मेरठ कैंट बोर्ड में यह हो क्या रहा है।क्या तमाश चल रहा है। सवाल तो है।