सात सौ करोड़ की उधारी-कैसे हो उगाही, करीब सात सौ करोड़ की उधारी की उगाही करना पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन के लिए मुसीबत बना हुआ है। सात सौ करोड़ की इस उधारी में केवल घरेलू उपभोक्ता और नलकूप यानि जो उधारी किसानों पर बकाया है, सिर्फ वो शामिल है। इसमें कामर्शियल उगाही यानी इडस्ट्रीज शामिल नहीं हैं। इसको उगाही करना रेत में सूई तलाशने सरीखा साबित हो रहा है। यह रकम मेरठ और बागपत दोनों जनपद को मिलाकर है। इस बड़ी रकम की उगाही के लिए पीवीएनएल अफसर तमाम कवायदें कर रहे हैं। लेकिन काम इतना आसान भी नहीं है। इसके लिए तमाम कवायदें की जा रही है कि किसी प्रकार से यह बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा कराई जा सके।मेरठ जनपद की यदि बात की जाए तो यहां पर करीब सात लाख उपभोक्ता हैं, इसके इतर बागपत में करीब तीन लाख उपभोक्ता हैं।
लखनऊ का जबरदस्त प्रेशर
मेरठ व बागपत के उपभोक्ताओं पर साम साै करोड़ की इस बड़ी रकम की उगाही के लिए लखनऊ से लगातार प्रेशर बना हुआ है। बीते सप्ताह लखनऊ में हुई प्रदेश भर के पावर अफसरों की समीक्षा बैठक में सबसे ज्यादा जोर रिकबरी मसलन राजस्व बढाने पर दिया गया। दो टूक कह दिया गया कि यदि बिजली चाहिए तो रिकबरी बढ़ाई जाए। इतना ही नहीं शत प्रतिशत रिकबरी के सख्त निर्देश दिए हैं। रिकबरी मे कमी को लेकर कोई साफ सफाई मंजूर नहीं यह तमाम अंचलों के एमडी को बता दिया गया है।
वक्त मिलते ही फोन घुमाओ
रिकबरी बढाने के लिए लखनऊ ने पावर अफसरों को वक्त मिलते ही फोन घुमाने की हिदायत दी है। मेरठ व बागपत जनपद में मिलाकर कुल दस लाख उपभोक्ता हैं। रिकबरी में इजाफ करने के लिए लखनऊ ने पीवीएनएल को फोन घुमाओ स्कीम दी है। इसके तहत पावर स्टेशनों के स्टाफ को जिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं जमा किया है उनको लगातार काल कर बिल जमा करने का आग्रह करने को कहा गया है। इस काम में पावर स्टेशन के एसडीएओ से लेकर लाइन मैन तक की जिम्मेदारी तय की गयी है। साथ ही यह भी फीड बैक मांगा गया है कि कितने उपभोक्ताओं का काल किया गया है। फोन घुमाओ अभियान मे पावर स्टेशन के सभी कर्मचारियों के शत प्रतिशत योगदान का आग्रह किया गया है।
मुसीबत कम नहीं
सात सौ करोड़ की रिकबरी के लिए जो अभियान लखनऊ ने जारी किया है उसमें भी कम सिरदर्दी और मुसीबत नहीं है। दरअसल हो यह रहा है कि जिनको भी पीवीएनएल की उधारी जमा करने के लिए पावर का स्टाफ जिन्हें काल करता है उनमें से ज्यादातर नंबर या तो रांग बताए जाते हैं या फिर स्वीच ऑफ आते हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि केवल फोन घुमाने तक की बात होती तो भी गनीमत थी, रांग नंबर और स्वीच ऑफ के अलावा कई ऐसे भी मामले हैं कि भारी भरकम बिल के वाले कुछ केसों में लोग संपत्ति बेचकर चले गए हैं। कुछ मामलों में किराएदार घर खाली कर चले गए हैं। हालांकि जिन मामलों में किराएदार बगैर बिल जमा कराए घर खाली कर चले गए हैं उनमें तो संपत्ति मालिक से रिकबरी का विलप्ल खुला है, लेकिन काम इतना आसान भी नहीं है,
यह कहना है चीफ इंजीनियर का
पीवीएनएल चीफ इंजीनियर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि रिकबरी के लिए फोन घुमाओ अभियान जोरशोर से चलाया जा रहा है। रिकबरी बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसके लिए प्रयास जारी हैं।
यह कहना है व्यापारी नेता का
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल का कहना है कि यह बात सही है कि बिजली जलाई है तो बिल तो देना होगा ही, लेकिन सूबे की सरकार को महंगाई के इस दौर में उपभोक्ताओं का कुछ ख्याल करना चाहिए। बिजली की दरें कम होनी चाहिए। यूपी में सबसे ज्यादा दरें हैं।