शांतिधारा का सौभाग्य गौरव जैन को, श्री 1008 शान्तिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर जी असौडा हाउस मेरठ पर पर्वराज पर्यूषण पर्व प्रथम उत्तम क्षमा धर्म के दिन का शुभारम्भ बडे हर्षोंल्लास पूर्वक प्रारम्भ हुआ। सौधर्म इंद्र एवं स्वर्ण झारी से शांतिधारा का सौभाग्य गौरव जैन को मिला, प्रक्षालन करने का सौभाग्य सुरेश जैन को मिला एवं रजत झारी द्वारा शांति धारा का सौभाग्य नीरज जैन शुभम जैन राजपियुष, अग्रिम प्रासुक को मिला। पंडित सिद्धांत शास्त्री ने णमोकार महाअर्चना विधान कराया। आचार्य जिन सेन स्वामी ने भी भक्तों से भक्ति मांगी है जो परंपरा से मोक्ष का कारण है। उत्तम क्षमा पर सोनिया ने बताया कि क्षमा ही तो वह शक्ति है। जीवन में क्षमा का दीपक जलाए रखोंगे तो क्रोध तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड पायेगा। क्षमा भी एक ऐसा ही दीपक जिससे जीवन के अंधेरे को दूर कर सकते हैं। प्रायः क्रोधरूपी अग्नि भभक उठती है और यह अग्नि न जाने कितने व्यक्तियों एवं वस्तुओं को अपनी चपेट में लेकर जला, झुलसा देती है। इस क्रोध पर विजय प्राप्त करने का श्रेष्ठतम उपाय क्षमा-धारण करना ही है और क्षमा-धर्म को प्राप्त करने का अच्छा उपाय है कि आदमी हर परिस्थिति को हँसते-हँसते, यह विचार कर स्वीकार कर ले कि यही मेरे भाग्य में था। पर्युषण पर्व का प्रथम ,उत्तम क्षमा, नामक दिन, इसी कला को समझने, सीखने एवं जीवन में उतारने का दिन होता है। मंगलज्योति परमेष्ठी एवं शांतिनाथ भगवान की आरती हुई। तत्वचर्चा एवं प्रश्नमंच कपिल जी द्वारा कराया गया। वीर नवयुवती संघ की संपदा संस्कृति मुस्कान शिल्पी कनिका द्वारा पर्यूषण पर्व पर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी गई। सभी बच्चों में भगवान पाश्र्वनाथ पर फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता हुई जिसमे सभी ने बहुत आकर्षक प्रस्तुतिया दी। जिन्हें देखकर सभी ने बच्चों का उत्साह वर्धन किया। सभी को पुरूस्कृत किया गया। आद्विक, भूमि, भावेश, ऐशनि, आरना, आर्जवी, आसथा, आर्जव आदि बच्चों ने खूब मस्ती की। अन्त में अरिहन्नत जय¬ जय की स्तुती से सभा का समापन हुआ। सहयोग में विपिन, मनोज, नवीन, रमेश, राकेश, नमन, प्रतीक, आभा, पूनम, मोनिका, आदि शामिल रहे।