सबको शिक्षा-सुप्रीमकोर्ट से ही उम्मीद, गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश शिक्षा कमाई का जरिया नही को प्रभावी बताते हुये निर्णय का स्वागत किया है।अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा कि यह निर्णय ऐसे समय मे आया है जब देश के अधिकतर राज्यो में शिक्षा का बढ़ता व्यवसाईकरण अपनी चरम सीमा पर है। शिक्षा आम आदमी की पहुँच से दूर होकर एक विशेष वर्ग के लोगो के लिए सीमित होने का संदेश दे रही है शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर लगाम लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार चुप्पी साधे रखती है। सरकारो को देश के शिक्षण संस्थानों की फीस पर लगाम लगाने की चुप्पी का एक बड़ा कारण देश के बड़े बड़े उधोगपतियों और नेताओं का पैसा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षण संस्थानों में निवेश करना भी हो सकता है।देश के अभिभावकों को लगभग 100 साल बाद आई विपदा में भी शिक्षा जिसको समाज सेवा कहा जाता है के नाम पर निजी स्कूलों द्वारा लूटने के लिये अकेला छोड़ दिया गया जो यह अत्यंत चिंतनीय है की फीस नियंत्रण का जो निर्णय केंद्र सरकार को लेना चाहिए आज उस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट को लेने के लिए विवश होना पड़ा । सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्त रुख अख्तियार करते हुये मेडिकल कॉलेज और आंध्र प्रदेश सरकार पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया साथ ही इस रकम को 6 हफ्ते के अंदर रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए है। जीपीए के अनिल सिंह ने कहा कि कोर्ट का निर्णय शिक्षा कमाई का जरिया नही भविष्य में शिक्षण संस्थानों द्वारा की जा रही लूट पर लगाम लगाने में प्रभावी साबित होगा। केंद्र और राज्य सरकार शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर रोक लगाने में असफल है इसलिये सुप्रीम कोर्ट को देश की शिक्षा व्यवस्था को अपने आधीन लेकर कोर्ट के निर्णयों को राज्य राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये एक इम्पलीमेंटेशन बॉडी का गठन करना चाहिए जिससे कि शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर रोक लग सके एवम शिक्षा आम आदमी की पहुँच से दूर न जाने पाये ।