ऋषभ की सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग

ऋषभ की सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग
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ऋषभ की सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग,

अपर जिला जज/स्पेशल जज विशेष न्यायालय में होगी अब आगे की सुनवाई

मेरठ। कैंट के वेस्ट एंड रोड मंदिर मार्ग स्थित ऋषभ एकाडेमी बनाम रक्षा संपदा अधिकारी को लेकर अपर सत्र न्यायधीश/स्पेशनल जज पोक्सो कोर्ट संख्या-1 की जज ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया है। इसके पीछे तकनीकि कारण बताए गए हैं। इस संबंध में जनपद न्यायधीश को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि इस प्रकार के मामले की सुनवाई केवल वहीं अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश कर सकते हैं जिनका कार्यकाल दस साल का कार्यकाल पूरा हो गया हो। लेकिन उनका कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है। इस पत्र के बाद जिला जल के कार्यालय से आदेश पारित हुआ है कि सिविल विधि वाद संख्या-770/2024 पार्श्वनाथ बनाम दिगंगर जैन समिति, अपर जिला न्यायधीश/स्पेशल जज पॉक्सो कोर्ट से वापस लेकर विधि अनुसार निस्तारण हेतु अपर जिला न्यायधीश/स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के यहां अंतरित किया जाता है। मसलन ट्रांसफर किया जात है। वहीं पर आगे की सुनवाई होगी।

डीईओ को दी सूचना

इस संबंध में रक्षा संपदा अधिकारी को भी अवगत करा दिया गया है। हालांकि विधि विशेषज्ञों की राय में यह मामला इतना बड़ा नहीं है जितना की इसको कुछ तत्वों ने तूल दे दिया है। मामला केवल रक्षा संपदा कार्यालय की कार्रवाई के खिलाफ जो स्टे हासिल है उसकी अवधि बढ़ाने भर का है। कानूनी जानकारों का मानना है कि कुछ अदालती कार्रवाई के उपरांत इस प्रकार के मामलों में स्थगन आदेश की अवधि बढ़ा दी जाती है। वैसे भी जहां तक ऋषभ की बात है तो यह संस्था चैरिटी के आधार पर संचालित की जा रही है। इसको लेकर भी मंत्रालय की गाइड लाइन है।

शिकायत में तकनीकि भूलें

इस मामले की शिकायत करने वालों ने कई तकनीकि भूलें कर दी हैं जिसके चलते उनका पक्ष कानून के जानकारी कमजाेर मानकर चल रहे हैं। दरअसल ऋषभ एकाडेमी को दुर्गाबाड़ी सदर स्थित जैन मंदिर से संबद्ध बताया गया है जबकि ऐसा नहीं है। ऋषभ के सचिव डा. संजय जैन ने इस बात को एक सिरे से खारिज कर दिया है। जो नोटिस अब तक गए हैं वो मंदिर समिति को भेजे गए हैं। यहां सबसे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि सदर दुर्गाबाड़ी जैन मंदिर की तो कोई समिति ही नहीं है। जो लोग समिति व पंच बनने का दम भर रहे थे उनके खिलाफ डिप्टी रजिस्ट्रार पहले ही पुलिस से कार्रवाई का आग्रह कर चुके हैं। मंदिर में जब कोई समिति ही नहीं है तो फिर मामले की पैरवी कौन करे और सबसे बड़ी बात यह कि ऋषभ अलग शिक्षण संस्था है जिसकी पुष्टि सचिव डा. संजय जैन कर चुके हैं। ऋषभ के बाकायदा डिप्टि रजिस्ट्रार की देखरेख में चुनाव हुए हैं। उसकी अपनी एक समिति है। इसके अलावा जिस प्रकरण को लेकर तूफान खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है वो मामला भी पुराना है। ये वही लोग बताए जाते हैं जो मंदिर पर अवैध रूप से काविज होने का अब तक असफल प्रयास कर चुके हैं।

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