अफसर जो ठहरे-कायदे कानून इन पर लागू नहीं

अफसर जो ठहरे-कायदे कानून इन पर लागू नहीं
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अफसर जो ठहरे-कायदे कानून इन पर लागू नहीं, मेरठ/ सूबे की योगी सरकार के जितने भी कायदे कानून हैं वो केवल निरीह पब्लिक के लिए हैं आरटीओ (संभागीय परिवहन कार्यालय) के अफसरों पर योगी सरकार के ये कायदे कानून लागू नहीं होते। भले ही जिस गाड़ी में वो चलते हैं उसका प्रदूषण खत्म हो गया हो, टैक्स भी एक्सपायर हो चुका हो और परमिट की मियाद भी पूरी हो चुकी हो, क्योंकि वो आरटीओ सिटी की कुर्सी पर बैठते हैं और टैक्सी नंबर की इनोवा में चलते हैं, इसलिए जिस इनोवा गाड़ी में वह चलते हैं उसमें ये तमाम खामियां होने के बाद भी चालान की हिम्मत पीटीओ या खुद आरटीओ इसलिए नहीं जुटा पाएंगे क्योंकि वह आरटीओ अफसरों की बिरादरी का हिस्सा जो ठहरे।
बात की जा रही है आरटीओ सिटी की इनोवा गाड़ी नंबर यूपी-15-ईटी-3246 की। यह एक टैक्सी नंबर गाड़ी है। इस पर फ्रंट पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखवाया गया है। छत पर नीली लाल बत्ती लगी है। लेकिन एतराज या सवाल इन दोनों पर कतई नहीं है। सवाल महज इतना भर है कि जिस गाड़ी से आरटीओ सिटी चलते हैं उस गाड़ी का प्रदूषण एक्सपायर हो चुका है, परमिट भी खत्म हो चुका है और टैक्स जिस मियाद तक का जमा था वो मियाद भी पूरी हो चुकी है। और भी तफसील से समझा देते हैं।
इनोवा गाड़ी नंबर यूपी-15-ईटी-3246 बीते 24 जून 2019 को अशरफ अली के नाम रजिस्टर्ड हुई। इस इनोवा का प्रदूषण 13 फरवरी 2024 को एक्सपायर हो गया। टैक्स वैलिडिटी अप टू 31 अक्तूबर 2021 तक थी वो भी खत्म हो चुकी और जो परमिट इसको जारी किया गया था उसकी भी मियाद 22 जून 2024 को पूरी हो गयी। यह सब हम नहीं बल्कि जो एप गाड़ियों की सेहत का हाल मापने के लिए बनाया गया है वो कह रहा है। प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं, परमिट नहीं और टैक्स भी एक्सपायर इसके बाद भी इस गाड़ी का चालान पीटीओ प्रवर्तन या आरटीओ के कोई दूसरे सक्षम अधिकारी केवल इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि टैक्सी नंबर इस गाड़ी में महकमे के अफसर चलते हैं। या फिर यह मान लिया जाए कि योगी सरकार के जो भी कायदे कानून हैं वो केवल आम आदमी के लिए है जो टैक्स भी भरता है और जो चालान काट दिया जाता है वो भी भरता है। आरटीओ अफसरों की जहां तक बात है तो उनकी गाड़ी का चालान कौन करेगा। वो तो खुद को शायद खुदा समझे बैठे हैं…

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