तो क्या सपाइयों ने बना ली है दूरी, गैंगस्टर में फंसे पूर्व विधायक योगेश वर्मा से क्या सपाइयों ने दूरी बना ली है। या फिर यह मान लिया जाए कि बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए योगेश वर्मा को एक अरसा बीत चुका है, लेकिन इतने लंबे अरसे के बाद भी सपाई उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं। यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि गुरूवार को पूर्व विधायक नोटिस मिलने के बाद जब सफाई देने कलेक्ट्रेट में डीएम से मिलने पहुंचे तो उनके साथ सपा नेताओं की फौज तो दूर की बात रही सपा की लाल टोपी लगाए एक शख्स को देखने तक के लिए आंखें तरस गयीं। वहीं दूसरी ओर माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मददे नजर पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पॉलटिकल डेथ की तैयारी है। यह आशंका इसलिए भी जतायी जा रही है क्योंकि पूर्व विधायक ने स्वीकार किया कि लोकल राजनीति के चलते यह सब कुछ हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बसपा से पूर्व विधायक और सपा नेता योगेश वर्मा पर गुंडा एक्ट लगाने की तैयारी है। अखिलेश यादव के करीबियों में शामिल रहे योगेश वर्मा मेरठ की पूर्व महापौर सुनीता वर्मा के पति हैं। प्रशासन ने पुलिस के माध्यम से योगेश वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी करवाया है। इसी मामले में गुरूवार को पूर्व विधायक सफाई देने पहुंचे थे। बताया जा रहा है लगभग 2 महीने पहले से योगेश वर्मा पर गुंडा एक्ट की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके चलते डीएम के यहां रिपेार्ट आई थी। जिसमें योगेश वर्मा के आपराधिक गतिविधियों का पूरा चिट्ठा था। बता दें कि साल 2022 में जब विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास जारी किया गया था, तब योगेश वर्मा पर 31 मुकदमे दर्शाए गए थे। योगेश वर्मा की दौराला थाने में हिस्ट्रीशीट खुली थी, हालांकि कुछ बाद में उसे बंद कर दिया गया था। बाद में फिर उसे खोला गया। योगेश वर्मा बसपा के टिकट पर हस्तिनापुर से 2002 में चुनाव लड़े थे। 2007 में बसपा ने फिर उसी सीट से उन्हें उतारा और वह चुनाव जीत गए। 2017 में उनकी पत्नी बसपा के टिकट पर महापौर का चुनाव जीती थीं। बाद में योगेश ने सपा का दामन थाम लिया। योगेश को 2022 में सपा ने हस्तिनापुर मेरठ से टिकट दिया, मगर वह हार गए। डीएम दीपक मीणा का पूरे मामले पर कहना है कि पुलिस की तरफ से रिपोर्ट आई है। जो एडीएमई कोर्ट में चल रही है। जो मुकदमे हैं उसमें न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार सुनवाई हो रही है। 2022 के चुनाव के दौरान योगेश वर्मा परतापुर कताई मिल में मतदान के बाद जो ईवीएम रखी गई थी, उनकी सुरक्षा के लिए खुद दूरबीन लेकर खड़े हो गए थे।