विधायक पर भारी कैंट बोर्ड की तैयारी, टावर ठेकेदार से दोस्ती निभाने को कैंट बोर्ड मेरठ का स्टाफ किसी भी हद तक जाने पर अमादा है। यहां तक कि सत्ताधारी भाजपा के जनप्रतिनिधियों की नाराजगी को भी ताक पर रख दिया है। इस सब के इतर ठेकेदार का टावर गलत जगह लगाने के लिए बोर्ड के स्टाफ के कुछ जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी को भी भुला देने से गुरेज नहीं। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यही कि ऐसा भी क्या है जो लालकुर्ती एसजीएम गार्ड के बजाए लालकुर्ती जामुन माेहल्ले के टंकी वाले पार्क में टावर लगवा कर मासूमों के खेलने के लिए इकलौती इस जगह को कैंट बोर्ड का स्टाफ मासूमों से छिन लेने पर उतारू है। टावर के लिए जब एसजीएम गार्डन की जगह मुकर्रर पहले से है तो फिर जामुन मोहल्ला में के टंकी वाले पार्क में टावर लगवाने की जिद पर क्यों अड़े हैं। होना तो यह चाहिए था कि मासूमों और उनके बचपन की खातिर यदि जरूरत पड़ती भी तो टावर को शिफ्ट कराने का काम किया जाता, लेकिन यहां तो ठेकेदार से दोस्ती निभाने के लिए सब कायदे कानूनों यहां तक कि टावर को लेकर जो आदेश बोर्ड ने जारी किए हैं उनको भी ठोकर मारने पर आमदा हैं। लेकिन यहां सवाल बोर्ड का स्टाफ क्या कर रहा है इस बात का नहीं, सवाल है कि कैंट बोर्ड मेरठ के अध्यक्ष व कमांडर, सीईओ और बोर्ड के एक मात्र मनोनीत सदस्य ठेकेदार के साथ हैं या फिर उनके साथ हैं जो गलत जगह यानि लालकुर्ती जामुन मोहल्ले के पार्क में टावर लगाने का विराेध कर रहे कैंट क्षेत्र के लोगों के साथ हैं। यदि कमांडर, सीईओ और मनोनीत सदस्य सभी ठेकेदार के साथ है तो फिर कैंट विधायक और कैंट बोर्ड की निवर्तमान उपाध्क्ष की नाराजगी का क्या। उन्होंने भी तो कैंट बोर्ड के स्टाफ द्वारा लगत जगह टावर लगाए जाने का विरोध किया है। या फिर यह मान लिया जाए कि विरोध हो या फिर जनप्रतिनिधियों की नाराजगी टावर ठेकेदार से दोस्ती इन सब पर भारी है। लेकिन एसजीएम गार्डन के पीछे जहां टावर के लिए जगह तय हुई है, वहां न लगाकर पार्क में टावर लगाने का विरोध करने वाले मासूमों को अभी भी कैंट बोर्ड कमांडर राजीव कुमार से पूरी उम्मीद है। उन्हें लगता है कि कमांडर कुछ भी लगत नहीं होने देंगे। अब यह तो वक्त बताएगा कि बोर्ड बैठक में लोग सही के साथ हैं या फिर ठेकेदार की दोस्ती की जीत होती है।