वेस्ट में चुनाव सुरक्षा ऐजेंसियां अलर्ट

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वेस्ट में चुनाव सुरक्षा ऐजेंसियां अलर्ट, लोकसभा चुनाव से पहले वेस्ट यूपी सुरक्षा व शांति तथा कानून व्यवस्था को लेकर सुरक्षा ऐजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। दरअसल इसकी बड़ी वजह पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी आईएसआई के गुर्गे सतेन्द्र सरीखों की गिरफ्तारी मानी जा रही है। रूसी दूतावात में तैनात मेरठ के सतेन्द्र की गिरफ्तारी कोई इकलौती नहीं है। इस माह केवल सतेन्द्र की गिरफ्तारी नहीं की गयी है। इससे पहले 16 अगस्त 2023 को यूपी एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने शामली के गांव मोमिनपुरा से आईएसआई एजेंट कलीम को पकड़ा है. एसटीएफ टीम पाक जासूस कलीम को मेरठ लेकर आई और फिर पूछताछ में कलीम ने किए कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. उसने पूछताछ में बताया कि पांच दिन पहले ही पाकिस्तान से भारत आया था और अवैध असलहों को इकठ्ठा करके अलग अलग इलाको में सप्लाई करता था। इससे पूर्व करीब नौ साल पहले मेरठ एसटीएफ ने आईएसआई को सेना की गोपनीय सूचना लीक करने के आरोप में एक जवान सुनीत कुमार को गिरफ्तार किया था जो  फौजी फेसबुक की मदद से एक युवती के जरिए सेना की महत्वपूर्ण सूचनाएं पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजता था। पुलिस ने उसके पास से हार्डडिस्क, लैपटॉप और पेन ड्राइव बरामद की है। यह गिरफ्तारी उससे पूर्व आईएसआई एजेंट आसिफ अली के निशानदेही के बाद हुई थी।फौजी सुनीत कुमार ने चौंकाने वाली जानकारी एसटीएफ और सेना की इंटेलीजेंस को दी। उसने बताया कि सेना में भर्ती होने के करीब तीन महीने पहले उसकी दोस्ती फेसबुक पर एक विदेशी महिला से हुई थी। मौजूदा समय तक फेसबुक पर चैट और मोबाइल कॉल से संपर्क में रहा है। वह लड़की उससे सेना के बारे में जानकारी ले रही थी। पाकिस्तानी खुफिया ऐजेन्सी आईएसआई के लिए काम करने वाले गद्दारो की यदि बात की जाए तो यह सिलसिला यूं तो काफी पुराना है लेकिन मेरठ में बड़ी कार्रवाई अगस्त 2014 में सालों तक कथित रूप से   आईएसआई से जुड़े आसिफ की मेरठ से गिरफ्तारी से हुई मानी जा रही है। तब सुरक्षा ऐजेंसियाें ने  मेरठ सहित पश्चिमी उतर प्रदेश में फैलते आईएसआई के नेटवर्क की ओर फिर से इशारा किया था । पहले भी कई बार ऐसे लोग पकड़े जा चुके हैं, मगर नई चिंता यह है कि अब आईएसआई और आतंकी संगठन ऐसे लोगों से संपर्क बढ़ा रहे हैं, जो खुद को परेशान और पीड़ित महसूस करते हैं। उन्हें रुपयों का लालच देकर देशद्रोह के लिए तैयार किया जा रहा है। दरअसल इस गिरफ्तारी से

दो महीने पहले पूर्व दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किए गए दो संदिग्ध आतंकियों ने भी इसका खुलासा किया था कि मुजफ्फरनगर दंगे के पीड़ित संपर्क में थे। आतंकी सुभान भी मुजफ्फनगर के लोगों से जुड़ा था। इसके अलावा आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) की गतिविधियां भी मेरठ और मुजफ्फरनगर में बताई जाती हैं। स्लीपर सेल्स भी यहां सक्रिय हैं। आतंकी दिल्ली, आगरा, बनारस और जयपुर के अलावा मेरठ भी घूमकर गए थे।

वहीं, पश्चिम की बेल्ट से पूरी तरह वाकिफ रहे इकबाल काना और अब्दुल करीम टुंडा ने भी यहां आईएसआई की जड़ें जमाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी । एनसीआर में नकली करेंसी, मादक पदार्थ, असलहों की खेप खपाने में इन आतंकियों और उनके गुर्गों ने सक्रिय भूमिका निभाई। पाकिस्तान भागने के बाद उसने अपने खास लोगों को इसकी जिम्मेदारी दे दी। वर्तमान में इकबाल आईएसआई का कमांडर बताया जाता है। पुलिस अफसर भी मानते हैं कि यह खेल अभी भी चल रहा है। 

आसिफ, कलीम व सतेन्द्र की गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी

मेरठ। पहले आसिफ, फिर कलीम और अब सतेन्द्र की गिरफ्तारी को सुरक्षा ऐजेंसियों के लिए भले ही बड़ी कामयाबी माना जा रहा हो, लेकिन असली चिंता लोकसभा चुनाव और वेस्ट यूपी का माहौल है। वहीं दूसरी ओर यह भी सुनने में आय है कि आसिफ  मेरठ के अलावा मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, बागपत, शामली, हापुड़ और गाजियाबाद में भी आसिफ ने कुछ लोगों से संपर्क साध रखा था।

आसिफ अली के पास से मिले दस्तावेज से साबित होता है कि मेरठ ही नहीं पश्चिम यूपी सब एरिया मुख्यालय के अधीन आने वाली सैन्य छावनियों में उसकी गहरी घुसपैठ थी। आसिफ सैन्य जानकारी जुटाने में माहिर था और सेना में कार्यरत लोगों से उसके संपर्क थे।

सैन्य सूत्रों की मानें तो सेना के अंदर खुसपैठ बनाने की कवायद और सक्रियता आसिफ अली ने बीते पांच से छह सालों में बढ़ा दी थी। आसिफ के पास से बरामद किया गया सैन्य यूनिट ले-आउट और अहम दस्तावेज बगैर गहरी घुसपैठ के नहीं पाया जा सकता। सैन्य सूत्रों के अनुसार निश्चित तौर पर या तो आसिफ ने खुद उस इंफेंट्री डिवीजन की सैन्य यूनिट का भ्रमण किया होगा या फिर उसे किसी सेना से जुड़े व्यक्ति ने ले-आउट तैयार करके दिया होगा। दोनों ही सूरतों में यह काम बगैर घुसपैठ और सैन्य यूनिट में संपर्क के संभव नहीं है।

आसिफ से मिली जानकारी और बरामद दस्तावेज से सवाल खड़ा होता है कि सेना के अंदर कौन है जो इस एजेंट के लिए काम कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि आसिफ के संपर्क में सैन्य यूनिट के लोग थे। सेना के अंदर ऐसे लोगों को तलाश करना सेना के लिए बड़ी चुनौती है। सेना के लिए चिंता और जांच का विषय है कि आठ साल से आईएसआई के लिए काम कर रहा आसिफ अब तक मेरठ समेत पश्चिम सब एरिया मुख्यालय की अन्य छावनियों के कितने अहम दस्तोवज सीमा पार भेज चुका है।

आठ साल से आईएसआई के संपर्क में रहाआठ साल से आसिफ आईएसआई के संपर्क में था। स्थानीय खुफिया विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। आईबी और मिलिट्री इंटेलीजेंस ने उसे रडार पर लिया तमाम हकीकत सामने आ गयीं थीं।  वहीं दूसरी ओर अब  मेरठ में आईएसआई एजेंट सतेंद्र के पकड़े जाने के बाद एक बार फिर से पुलिस से लेकर अन्य जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। माना जा रहा है कि वेस्ट यूपी के और लोग भी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई एजेंटों के संपर्क में हो सकते हैं। मेरठ में पकड़े गए आईएसआई एजेंट का शामली से कुछ दिन पूर्व ही पकड़े गए आईएसआई एजेंट कलीम और तहसीम से तो कोई संपर्क नहीं था। इसका पता लगाने के लिए पुलिस और एसटीएफ भी आईएसआई एजेंट सतेंद्र से पूछताछ कर सकती है। शामली की यदि बात की जाए तो यहां के लोगों के पाकिस्तान में बैठे आईएसआई एजेंटों के संपर्क में रहने की बात सामने आ चुकी है।

25 वर्ष में पकड़े जा चुके हैं 18 आईएसआई एजेंट 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का नेटवर्क बहुत पुराना है। 25 वर्ष के भीतर 18 आईएसआई एजेंट अब तक गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें 16 स्थानीय हैं जबकि दो बाहरी हैं।    पिछले ढाई दशक की बात करें तो अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक पाकिस्तानी और दूसरा जम्मू कश्मीर का आईएसआई एजेंट पकड़ा गया है। बाकी आईएसआई एजेंट मेरठ और आसपास के जिलों के रहने वाले हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं, जिनमें हनी ट्रैप के जरिए भारतीयों को फंसाकर गोपनीय जानकारियां हासिल की गई हैं।

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