यात्री शेड नाम भर रह गया निगम का

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यात्री शेड नाम भर रह गया निगम का,

खोखों में तब्दील हो गए करोड़ों कीमत के यात्री शेड

-यात्रियों के बैठने के लिए लगायी कुर्सी तक उखाड़ कर ले गए
-खोखों में बिक रहे हैं चाय, पान-बीड़ी व सिगरेट, तंबाकू, स्मैकियों के बन गए हैं ठिकाने
मेरठ
करोड़ों रुपए खर्च कर पूरे महानगर में लगाए गए यात्री शेड खोखों में तब्दील हो गए हैं। दरअसल महानगर में सिटी बस सेवा समेत दूसरी रोड ट्रांसपोर्ट सेवा का प्रयोग करने वाले यात्रियों के लिए बसों का इंतजार करने के लिए इन यात्री शेडों का निर्माण कराया गया था। सिस्टम का यह जितना अच्छा प्रयास था व पहल थी, उससे ज्यादा इसकी दुर्दशा अफसरों की लापरवाही के चलते करा दी गयी। हालत इतने बदत्तर हो गए हैं कि इन यात्री शेडों की कोई सुध तक लेने वाला नहीं। तमाम यात्री शेड या तो खोखों में तब्दील कर दिए गए हैं या फिर उनका हुलिया ही बिगाड़ कर रख दिया गया है।
कमाई के थे साधन यात्री शेड
जितने भी यात्री शेड लगवाए गए थे, नगर निगम को अच्छे खासे राजस्व की आमदनी होती थी। शुरूआत में जब यात्री शेड बनकर तैयार हो गए थे तो शहर के कई नामी शिक्षण संस्थानों व बडेÞ अस्पतालों के विज्ञापन इनके जरिये किए जा रहे थे। बाकायदा लाइटनिंग कराकर इन विज्ञापन पटों को सजाया जाता था। इवनिंग व मार्निंग वॉक करने वाले अक्सर इन यात्री शेडों पर आकर बैठा करते थे। महानगर वासियों ने नगर निगम प्रशासन की इस पहल को खूब सराहा था। लेकिन अब इनकी हालत देखकर मलानत भेज रहे हैं। लोगों का यहां तक कहना है कि पब्लिक के टेक्स के पैसे को कैसे ठिकाने लगाया जाता है यह कोई निगम अफसरों से सीखे।
कुर्सी कर दी गयी गायब
जिन यात्री शेडों का यह जिक्र किया जा रहा है यात्रियों के बैठने के लिए उनमें कुर्सियां लगायी गयी थीं ताकि बस लेट होने पर यात्रियों को इंतजार करने में कोई असुविधा न हो। सबसे ज्यादा इनका फायदा मेडिकल, हापुड़ रोड इमलियान, जीआईसी के बाहर बस का इंतजार करने वाले यात्री उठाया करते थे। लेकिन कुछ ही समय बाद इन यात्री शेडों की कुर्सियां तक गायब कर दी गयीं। नशे के शौकीन यात्री शेडों में लगा दूसरा सामान उखाड़ कर ले गए।
अफसरों ने नहीं ली सुध
पूरे महानगर में करोड़ों की लागत से लगाए गए इन यात्री शेडों की बुरी गत और जो कुर्सी सरीखा जो सामान इनमें लगाया गया था उसके गायब होने की सुूध लेने की फुर्सत कभी अफसरों को रही हो ऐसा याद नहीं पड़ता। एक दो नहीं ज्यादातर यात्री शेडों में लगायी गयी कुर्सियां लोग उखाड़कर ले गए। लेकिन इसकी चोरी की कहीं रिपोर्ट दर्ज करायी गयी हो, ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली।
पान-बीड़ी के खोखोें में तब्दील
महानगर के तमाम यात्री शेड अफसरों की लापरवाही के चलते अब पानी बीड़ी के खोखों में तब्दील हो चुके हैं। कुछ स्थानों पर तो इनमें चाय की दुकान खोल दी गयी हैं। साथ ही पान-बीड़ी सिगरेट वहां बेची जा रही हैं। यात्री शेड देखकर ऐसा लगता है मानों किसी खोखे में आकर बैठ गए हों। जिन यात्री शेडों को पान-बीड़ी का खोखा बना दिया गया है, उनके आसपास गंदगी का अंबार भी लगा रहता है। पानी बीड़ी बेचने वाले खोखे बना दिए गए यात्री शेडों की साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखते।
स्मैकियों का ठिकाना
महानगर के कई यात्री शेड ऐसे भी हैं जिनका सामान स्मैक सरीखा नशा करने वालों ने अपने शौक पूरा करने के लिए बेच दिया है। इन यात्री शेडों में स्मैक सरीखा नशा करने वाले दिन भर पसरे देखे जा सकते हैं। इसके अलावा कुछ यात्री शेड रात को खासतौर से सर्दी के इस मौसम में खाना बदोशों के रात गुजराने का ठिकाना बन जाते हैं।

अच्छी खासी योजना को लगा दिया पलीता

भाजपा के वरिष्ठ युवा नेता व नगर निगम मेरठ के पार्षद अनुज वशिष्ठ का कहना है कि एक अच्छी योजना को नगर निगम प्रशासन के अफसरों की लापरवाही ने पलीता लगा दिया। करीब आठ साल पहले पच्चीस लाख की लागत से एक यात्री शेड का निर्माण कराया गया था। अब यात्री शेड का नाम भर बाकि रह गया है।

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