कैसे रूकेगा भ्रष्टाचार-छह साल बाद भी अटकी है जांच

कैसे रूकेगा भ्रष्टाचार-छह साल बाद भी अटकी है जांच
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संभागीय खाद्य नियंत्रक मेरठ कार्यालय के निलंबित बाबू राहुल भूषण गौड़ को शुक्रवार को एडीजे ईसी एक्ट कोर्ट से अंतरिम जमानत खारिज होने पर जेल भेज दिया गया। राहुल भूषण के खिलाफ 2017 और 2018 में गंगानगर थाने में सरकारी अनाज की कालाबाजारी करने के दो मुकदमे दर्ज हुए थे। राहुल भूषण गौड़ को बीते एक साल में दो बार सस्पेंड करने के बाद फिलहाल गाजियाबाद ऑफिस से अटैच किया गया था।गंगानगर थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 258/2017 में डीएम की अनुमति के बाद पिछले साल चार्जशीट दाखिल की गई थी। पुलिस और प्रशासन के अफसरों की मेहरबानी से राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ चार्जशीट की कार्रवाई लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई थी। 2018 में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 86 में भी राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल है। शुक्रवार को एडीजे ईसी एक्ट की अदालत में 2017 में दर्ज मुकदमे में राहुल भूषण गौड़ की जमानत पर सुनवाई थी। पिछले दिनों एसीजेएम प्रथम ने मामले की सुनवाई करते हुए राहुल भूषण गौड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद एडीजे ईसी एक्ट कोर्ट में अपील करने पर उसे अंतरिम जमानत मिल गई थी। शुक्रवार सुबह सुनवाई के वक्त राहुल भूषण गौड़ को हिरासत में लिया गया। बाद में उसकी जमानत याचिका रद्द किए जाने का आदेश अदालत ने पारित किया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है। 2018 में अनाज की कालाबाजारी के मुकदमे में भी राहुल भूषण गौड़ की जमानत पर आगामी दिनों में सुनवाई होनी है।

एक साल में दो बार हुए निलंबित
राहुल भूषण गौड़ बीते एक साल में दो बार निलंबित हो चुके हैं और वर्तमान में भी निलंबित होकर गाजियाबाद ऑफिस से अटैच थे। सितंबर 2022 में फूड कमिश्नर के आदेश पर उनका निलंबन किया गया था। बाद में विभाग में बाबुओं की कमी का हवाला देकर उनको बहाली दी गई और फिर संभागीय खाद्य नियंत्रक ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद उन्हें प्रमोशन देकर वरिष्ठ सहायक बना दिया। इस मामले की जांच भी अभी जारी है।

100 करोड़ से ज्यादा हैंडलिंग, ट्रांसपोर्ट टेंडर मामले में भी चल रही जांच
भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच और शिकायतों के दौरान कुछ महीने पहले राहुल भूषण गौड़ और दीपक वर्मा को फूड कमिश्नर के आदेश पर बलिया जिले में ट्रांसफर किया गया था, लेकिन दोनों बाबू विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। जिसके बाद दोनों गैर हाजिर हो गए। यही नहीं यूपी के दूरस्थ जिले में तैनाती से बचने के लिए संभागीय खाद्य नियंत्रक ने उन्हें सस्पेंड करके गाजियाबाद में अटैच कर दिया था। राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ 100 करोड़ से ज्यादा के हैंडलिंग, ट्रांसपोर्ट टेंडर मामले में भी अनियमितता की जांच जारी है। यह टेंडर पिछले साल किए गए थे।

यह था मामला
वर्ष 2017 में संभागीय खाद्य नियंत्रक विभाग ने कालाबाजारी का एक ट्रक अनाज और दो ट्रक चावल का पकड़ा था। विभागीय जांच में सामने आया था कि यह कालाबाजारी राहुल भूषण गौड़ द्वारा की जा रही है। विभाग ने गंगानगर थाने में राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ सरकारी खाद्यान्न की कालाबाजारी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद कालाबाजारी का दूसरा मुकदमा उनके खिलाफ वर्ष 2018 में हुआ था। अन्य मामलों में अभी जांच चल रही है।

मेरठ के गंगानगर चौकी के समीप सितंबर 2017 में काला बाजारी के लिए तीन ट्रकों में भर कर ले जाए जा रहे चावल गेहूं पकडे गए थे, लेकिन तीन साल बाद भी कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंच सकी। इस मामले को लेकर अब एक शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजी गई है। सीएम को इस मामले से अवगत कराने का प्रयास किया जाएगा।

इस मामले की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। सबसे हैरानी भरा खुलासा को उन ट्रकों को लेकर हुआ है जिनसे यह माल भेजा जा रहा था। ट्रक संख्या एचआर-55एच-1535 इसमें 145 बोरे गेहूं पकड़ा गया। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि ये सुधा के नाम से आरटीओ गुड़गांव में रजिस्टर्ड है।

इस नंबर का रजिस्टेÑशन 20 मई 2008 को मारुति सुजुकी वैगनार एलएक्स आई के नाम पर है। ट्रक संख्या पीबी-29-एच-9404- जिससे 200 बोरे चावल पकड़ा गया था वह नंबर पूरे भारत में किसी भी आरटीओ के यहां रजिस्टर्ड नहीं हैं। तीसरा ट्रक पीबी-29एल-9147 जिससे 200 बोरे चावल पकड़ा गया था वह नंबर बलजीत सिह के नाम रजिस्टर्ड है।

फरीदकोट पंजाब में 25 फरवरी 2011 को इस अशोक लीलेड का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इससे साफ है कि पकडे जाने पर किसी भी संभावित कार्रवाई से बचने के लिए फर्जी नंबर प्लेट लगाकर खाद्यान काला बाजारी की जाती थी।

पुलिस को दिया झूठा शपथपत्र काला बाजारी की थाना गंगानगर में एफआईआर के बाद खुद की फंसी गर्दन निकालने के लिए इस मामले में झूठे शपथ पत्र तक दाखिल किए गए। एक राशन डीलर फरीद अली की ओर से पुलिस के जांच अधिकारी को जो शपथ पत्र दिया गया उसमें कहा गया कि उक्त खाद्यान्न उसकी दुकान का है। बाद में राशन डीलर ने उक्त शपथ पत्र भी वापस ले लिया। उसका कहना था कि आरएफसी के अफसरों ने ही उससे झूठा शपथ पत्र दबाव डाल कर दिलवाया था।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस मामले में जांच कर रहे पुलिस के अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल हैं। तीन साल बीतने को आए, लेकिन जांच किसी नतीजे तक नहीं पहुंचायी जा सकी। सुनने में आया है कि इस मामले में एफआर की तैयारी कर ली गई थी। सुनना यह भी जाता है कि करीब डेढ़ लाख में सौदा भी तय हो गया था, लेकिन सीक्रेट लीक हो गया। जिसके चलते पांव पीछे खींचने पड़ गए। इस पूरे मामले में तमाम अफसरों की भूमिका पर भी सवाल हैं।

ये था पूरा मामला

17 अगस्त 2017 को तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार के निर्देश पर मवाना रोड गंगानगर पुलिस चौकी के समीप घेराबंदी कर तीन ट्रकों से ले जाए जा रहे गेहूं व चावल पकडेÞ गए थे। यह माल आरएफसी के रजपुरा ब्लॉक खाद्य गोदाम केंद्र मेरठ तृतीय से लाया रहा था।

इन्होंने मारा छापा

मंडलायुक्त के निर्देश पर छापे मारे करने पहुंचने वाले आरएफसी अफसरों में खुद तत्कालीन आरएफसी पंकज चतुर्वेदी, संभागीय खाद्य वितरण अधिकारी दिनेश चंद मिश्रा, जिला खाद्य वितरण अधिकारी प्रवीण प्रकाश श्रीवास्तव व जिला खाद्य विपणन अधिकारी बागपत अजीत प्रताप सिंह भी शामिल रहे। बागपत के जिला खाद्य वितरण अधिकारी को शामिल करने के पीछे का मकसद ताकि पादर्शिता बनी रहे। मामले की जांच तत्कालीन डीसी फूड अनिल कुमार दूबे को सौंपी गई।

इनके खिलाफ की गई एफआरआर

गेहूं की काला बाजारी मामले में जिनके खिलाफ एफआईआर की गई। उनमें गोदाम प्रभारी राहुल गौड़ व चपरासी हिमांशु शामिल थे। डीसी फूड की जांच में जिनकी भूमिका पर सवाल खडेÞ किए गए उनमें तत्कालीन आरएफसी पंकज चतुर्वेदी, संभागीय खाद्य वितरण अधिकारी दिनेश चंद मिश्र, जिला खाद्य वितरण अधिकारी पीके श्रीवास्तव शामिल रहे।


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