210-B कैंट अफसरों की इनसाइड स्टोरी, कैंट बोर्ड मेरठ की बुधवार की मुनादी ने बंगला 210-B के जख्मों को एक बार फिर हरा कर दिया। हालांकि जो कुछ हो रहा है उसको लेकर भी कैंट बोर्ड की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, खुद बोर्ड के स्टाफ की मानें तो यह केवल उछल कूद भर है, होना कुछ नहीं है। 210-B की जो इनसाइड स्टोरी है, उसमें कैंट प्रशासन अफसरों जिसमें रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन अफसर भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। 210-B में अवैध निर्माणों की शुरूआत साल 1993 से मानी जाती है। लंबी कानूनी प्रक्रिया व सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि 210-B मे कोई रातों रात इतने बड़े अवैध निर्माण नहीं कर लिए गए। इसकी सभी रजिस्ट्री कोर्ट ने निरस्त कर दीं। साथ ही अवैध निर्माण को अपराधिक कृत्य माना गया। जो आदेश दिया गया उसके दो पार्ट थे। पहले पार्ट में कैंट प्रशासन के साल 1995 से लेकर जो अफसर 2916 कार्रवाई होने तक तैनात रहे, उन सभी पर कार्रवाई और सैकेंड पार्ट में 210-B के सभी अवैध निर्माण ध्वस्तकरण। इस संबंध में तत्कालीन रक्षा मंत्रालय को हाईकोर्ट ने आदेशित किया था, लेकिन 210-B की मलाई खाने वाले अफसरों ने कोर्ट के आदेश का पहला पार्ट दफन कर दिया। इस गुनाह में मंत्रालय के अफसरों से लेकर कैंट के मेरठ अफसर तक शामिल रहे। इंजीनियरिंग सेक्शन के प्रभारी पीयूष गौतम 2014 में आदेश होने के बाद भी आठ साल तक फाइल पर कुंडली मारे बैठे रहे। यह भी पता चला है कि तत्कालीन अवर अभियंता श्रीकृष्ण अवतार गुप्ता ने भी अपनी पत्नी के नाम से प्लाट ले रखा था, जो शिकायत होने के बाद में बेच दिया गया। अदालती आदेश की बात की जाए तो 1995 से जो सीईओ तैनात रहे उनमें एसएस पुजारी, एके श्रीवास्तव, हरीश प्रसाद, केजेएस चौहान, जेएस माही, केसी गुप्ता, एसएस चहल, पुरूषोत्तम लाल शामिल हैं। इस मामले हाईकोर्ट में कंटेम्पट दायर की गई थी जो ध्वस्तीकरण का आधार बना। ज्यादातर अफसर रिटायर्ड हो चुके हैं। अब बड़ा सवाल यही है कि मौजूदा इंजीनियरिंग सेक्शन प्रभारी एई पीयूष गौतम व सीईओ ध्वस्तीकरण कराएंगे या फिर मुनादी..मुनादी..। उल्लेखनीय है कि न्यूज ट्रेकर ने पीआईएल की खबर पूर्व में लगाई थी, जिसका यह साइड इफैक्ट माना जा रहा है।