22B-अंधेरे में रखा या उजाले का डर, मेरठ छावनी स्थित बंगला 22B जिसको ट्रेड लाइसेंस की गूंज पीएमओ से लेकर डीजी डिफेंस, पीडी मध्य कमान तक सुनाई दी। डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव को मेरठ के लिए दौड़ा दिया गया, अब उसको ट्रेड लाइसेंस के अर्ध सत्य की बात कर ली जाए। प्रकरण में चार कसूरवार माने गए इंजीनियरिंग सेक्शन के एई व जेई, सेनेट्री सेक्शन हेड व जेई चारो का समान कसूर लेकिन सजा का हकदार केवल अभिषेक गंगवार, बाकि को फटकार के नाम पर केवल पुचकार। यह तो रहा बोर्ड और सदस्यों का मसला। अब बात की जाए लाइसेंस प्रक्रिया की। सफाई दी जा रही है कि अंधेरे में रखकर ट्रेड लाइसेंस जारी करा लिया गया, लेकिन सवाल पूछा जा रहा है कि अंधेरे में रखा गया या फिर सत्य के उजाले से डर लगा। सच तक पहुंचने का प्रयास ही नहीं किया। 2016 से सील 22B की 7 रिट हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए यथास्थिति के आदेश किए। इस सच तक पहुुंचने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। किस ने 22B की सील खुलवाई क्या आज तक यह जानने का प्रयास किया गया। पंकज जौली के पुत्र कुंज जौली के नाम से ट्रेड लाइसेंस का आइडिया बोर्ड के लिए विभीषण बने किस स्टाफ का है।सील तोड़कर अवैध हो्टल चलवाने में मदद कर भारत सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि पहुंचाने का गुनाहगार कौन है। सबसे बड़े और कैंट बोर्ड तथा भारत सरकार के सीक्रेट कसूरवार कोर्ट में बोर्ड की ओर से लीगल मामलों की पैरवी करने वाले व तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक चुप क्यों रहे। सीईओ तक क्यों नहीं लीगल मामले देखने वालों ने सच के प्रकाश को पहुंचाया। सरकुलर एजेंडा जारी करा कर जानबूझ कर हाईकोर्ट के सच को अंधेरे में रखने का गुनाहगार बोर्ड का कौन सा कर्मचारी है और सबसे बड़ी बात 2016 में ट्रेड लाइसेंस जारी कराने के लिए पंकज जौली की ओर से हाईकोर्ट में पहले रिट दायर की जाती है, फिर वापस ले ली जाती है। 5-5-2018 को ट्रेड लाइसेंस की अर्जी तत्कालीन सीईओ द्वारा निरस्त की गयी। इस सच पर किसने झूठ का पर्दा कैसे डाला गया। इस सच को जानने की कौशिश की गयी क्या। (सच अगले अंक में उजागर करेंगे हम)