22B-कैंटोनमेंट हाॅस्पिटल भी पीछे नहीं, बाउंड्री रोड मेरठ स्थित हाईकोर्ट के आदेश पर फाइलों में सील बंगले में बने आलिशान होटल से निकली मेहरबानियों की गंगा में केवल कैंट बाेर्ड प्रशासन ही नहीं बल्कि कैंटोनमेंट हास्पिटल के आरएमओ व टैक्निशियन सरीखों ने भी डुबकी लगायी।
आम आदमी को मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए जहां कई माह चक्कर लगाने पड़ते हैं, वहीं 22B-की मेहरबानियों के अहसान तले दबे कैंट बोर्ड सेनेट्री सेक्शन हेड और कैंटोनमेंट हॉस्पिटल के आरएमओ डा. असीम रस्तौगी की वजह से महज चंद घंटों में कुश जौली का मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट बना जाता है। लेकिन यह मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट व इसे जारी करने वाले भी सवालों के घेरे में हैं। बकौल एडवोकेट संदीप पहल ने यह माना कि सेटिंग गेटिंग थी, जिसके चलते 16 जून 2022 को अप्लाई के बाद आनन-फानन में फिटनेस सर्टिफिकेट थमा दिया गया। उनका कहना है क्या ब्लड टेस्ट व संचारी रोग की जांच की गई। ऐसे मामलों से जुड़े कैंट बोर्ड के सेक्शन हेड ही अभी तक बदनाम थे, लेकिन अब इसमें नया नाम कैंटोनमेंट हाॅस्पिटल का भी जुड़ गया है, जिसके प्रशासनिक अधिकारी सीईओ कैंट बोर्ड ज्योति कुमार होते हैं। लैब टैक्निशियन सुभाष वर्मा और एक्सरे टैक्निशियन दुष्यंत कुमार से पूछताछ के बाद ही सच्चाई सामने आ सकती है। कैँट की धारा 277 के तहत फिटनेस के लिए उक्त तमाम जांचें अनिवार्य हैं। प्रक्रिया की यदि बात की जाए तो आवेदक को सेनेट्री हेड से स्लिप मिलती है। इस स्लिप कैंटोनमेंट हास्पिटल में लेकर जाना होता है। वहां अन्य जांचों के अलावा खून की जांच होती है। इन तमाम जांचों में यदि पूरी जल्दबाजी दिखाई जाए तो भी कम से कम सात दिन का वक्त तो लगता ही है, लेकिन 22B के मेहरबानियों तले दबे अधिकारियों ने इतना वक्त नहीं लगने दिया और आनन-फानन में कुश जौली को फिटनेस थमा दिया। 22B की मेहरबानियों की यदि बात की जाए तो यहां से निकली गंगा में गोता लगाने वाले कैंट अफसरों को लेकर नए-नए खुलासों का सिलसिला अभी तो लंबा चलता नजर आता है।