कैंट बोर्ड कंगाल-अफसर मालामाल

अवैध निर्माण पर कैंट बोर्ड बेबस या..
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कैंट बोर्ड कंगाल-अफसर मालामाल, मेरठ कैंट बोर्ड की माली हालत इन दिनों बद से बदत्तर बनी हुई है। खजाने की खुशकी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हालात इतने ज्यादा नाजुक हैं कि स्टाफ की सेलरी भी समय पर नहीं मिल पाती है। लेकिन इससे इतर कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग समेत अन्य सेक्शन के स्टाफ की बात की जाए तो कुछ तो 22बी सरीखों की बदौलत बेहद मालामाल हैं। उनकी यदि संपत्ति की सीबीआई जांच करा दी जाए ताे चौंकाने वाले नतीजे निकल सकते हैं। शुरूआत करते हैं, मेरठ कैंट बोर्ड के दामन पर दाग साबित हो रहे 22बी की कहानी से जहां सब एरिया मुख्यालय ने आउट आफ बॉड फॉर ऑल रैंक  का नोटिस लगाते हुए तमाम फौजियों को वहां जाने की सख्त मनाही का नोटिस चस्पा कर दिया। कैंट बोर्ड का कड़ा पहरा था, लेकिन इसके बाद भी 22बी का अवैध निर्माण हो जाता है, वहां कारोबार भी शुरू कर दिया जाता है। यह सब तब हुआ जब हाईकोर्ट ने 22बी को सील के आदेश दिए थे। डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव की जांच में यह भी साफ हो चुका है कि कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग व सेनेट्री सेक्शन के कुछ स्टाफ की इसमें प्रमुख भूमिका रही है। पूरा मामला राजस्व हानि से जुड़ा है। कैंट एरिया में होटलों की भी कोई कमी नहीं है। कैंट एरिया में तीन दर्जन से अधिक होटल हैं, जिनमें अवैध निर्माण और चेंज ऑफ पर्पस है। ऐसे में इन होटल के बाहर भी ‘आउट ऑफ बाउंड फॉर ऑल रैंक के बोर्ड भी लग जाने चाहिए थे, लेकिन अभी तक इन पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।  मेरठ में आबूलेन मार्केट को कनॉट प्लेस की संज्ञा दी जाती है। ये पूरी मार्केट चेंज ऑफ पर्पज और अवैध निर्माण का शिकार हैं। वहीं सदर बोम्बे बाजार व शिव चौक सरीखे इलाके कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की पोल खेलने को पर्याप्त हैं। जहां 331 रंगसाज मोहल्ला में नक्शे के विपरीत निर्माण फिर भी इंजीनियरिंग सेक्शन के तमाम स्टाफ व अफसरों की हैरानी भरी चुप्पी, लोग सवाल तो उठा ही रहे हैं।

 

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