47 करोड़-क्यों जल्दी में निगम अफसर, मेरठ नगर निगम अफसरों को सीएम ग्रिड योजना के तहत मिलने वाले 47 करोड़ ठिकाने लगाने की बहुत जल्दी है। शायद यही वजह है कि पब्लिक का हित देखे बगैर आनन-फानन में ठेका दे दिया। ठेका उस रोड पर दिया गया है जहां बहुत जल्द मैट्रो का काम शुरू किया जाना है। मैट्रो का कम शुरू होने तय है और यह भी तय है कि 47 करोड़ जिस सीएम ग्रिड योजना के तहत बनने वाली सड़क के नाम पर खर्च किए जाने हैं वो उपयोगी साबित नहीं होंंगे।
लगता है कि नगर निगम के अफसरों को सीएम ग्रिड के नाम पर 47 करोड़ ठिकाने लगाने की जल्दबाजी है। योजना शानदार है इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन इस योजना के तहत जो रोड चिन्हित की गई है उसको लेकर जरूर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि शीघ्र ही जिस रोड पर मैट्रो का काम शुरू होना है, उसकी तैयारी अंतिम चरण में है, वहां इतनी बड़ी रकम को इन्वेस्ट करने की निगम अफसरों को इतनी जल्दबाजी क्यों है। महानगर के तमाम सड़कें है जहां सीएम ग्रिड योजना के तहत शानदार सड़क बनायी जा सकती है। इसको लेकर शहर के कुछ आरटीआई एक्टिविस्ट व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज उठायी है। इस संबंध में कमिश्नर से मिलने की बात सामाजिक कार्यकर्ता व संयुक्त गढ़ रोड व्यापार समिति के विपुल सिंहल ने बतायी है।
उन्होंने बताया कि सीएम ग्रिड योजना के अंतर्गत गांधी आश्रम चौराहे से तेज गढ़ी चौराहे तक सड़क चौड़ीकरण एवं यूटिलिटी शिफ्टिंग हेतु मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम के तहत यह कार्य मैसर्स जीत कंस्ट्रक्शन द्वारा पूर्ण किया जाएगा तथा इस कार्य की समय सीमा 15 माह है। महामंत्री विपुल सिंघल ने मौजूद अधिकारियों से इस कार्य की ड्राइंग मांगी जिसे वह उपलब्ध नहीं करा सके। ठेकेदार जीत कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि गुरप्रीत सिंह से ड्राइंग मांगे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें अभी ड्राइंग उपलब्ध नहीं कराई गई है, उन्हें मात्र ठेका हुआ है, ड्राइंग आने पर वह बता सकेंगे कि किस प्रकार कार्य किया जाएगा। अभी तक गांधी आश्रम चौराहे से तेज गढ़ी चौराहे के बीच में आने वाले खोखा व्यापारियों के विस्थापन करने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। पूर्व में भी नई सड़क किनारे पर बुलडोजर द्वारा हटाए गए फूल वालों का मुकदमा अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है । फूल वाले व्यापारियों को अभी तक विस्थापित नहीं किया गया है। इस क्षेत्र में प्रभावित/ लाभान्वित होने वाले व्यापारियों को पहले इसकी संपूर्ण जानकारी दी जाए। उसके उपरांत ही यहां पर कार्य किया जाए। कार्य भी इस प्रकार होना चाहिए कि वह समय सीमा में हो तथा 100 -100 मीटर के चरणों में हो ताकि इस क्षेत्र का संपूर्ण व्यापार प्रभावित न हो। इस मार्ग पर प्रभावित होने वाले सभी व्यापारी को सूचना न देने के अभाव में सभी व्यापारी इकठ्ठा होकर आवश्यकता हुई तो धरना प्रदर्शन भी कर सकते हैं।