रोकने के बजाए करा दिया अवैध निर्माण

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रोकने के बजाए करा दिया अवैध निर्माण, कैंट बोर्ड मेरठ की बैठक में अध्यक्ष  राजीव कुमार ने आबूलेन स्थित रिहायशी बंगला जहां अवैध रूप से जय प्लाजा बना दिया गया है, उसमें चल रहे अवैध निर्माण को तत्काल रूकवाए जाने तथा आगे कोई निर्माण न होने देने की सख्त लहजे में हिदायत दी थी, लेकिन कैंट बोर्ड मेरठ के स्टाफ ने बजाए अवैध निर्माण पर नजर रखने के अवैध निर्माण कराने वालो को काम निपटाने की खुली छूट दे दी, नतीजा यह हुआ कि आबूलेन 182 जय प्लाजा में जो आधा अधूरा अवैध निर्माण था, उसे तेजी से काम निपटाते हुए पूरा कर दिया गया। वहां शानदार बड़े-बड़े हाल बना दिए गए हैं। बाकायदा शटर भी लगवा दिया गया है, शहटर के भीतर इन बड़े हाल को दुकानें या फिर किसी मल्टीनेशनल शोरूम में तब्दील किया जा सकता है। इन का स्वरूप व आकार देखकर एक एक हाल की कीमत कम से कम एक एक करोड से अधिक आंकी जा रही है। कैंट बोर्ड प्रशासन ने यह कारगुजारी तब दिखाई जब कैंट बोर्ड अध्यक्ष राजीव कुमार के जय प्लाजा के अवैध निर्माण पर पहरा बैठाने व आगे निर्माण न होने देने के सख्त आदेश थे। जय प्लाजा का यह अवैध निर्माण पूरा करा दिए जाने के साथ यह भी साफ हो गया कि कैंट बोर्ड के स्टाफ को बोर्ड के अध्यक्ष से नहीं बल्कि जय प्लाजा के मालिक से ज्यादा डर लगता है। यहां गौरतलब है कि आबूलेन स्थित आवासीय बंगला 182 में जितना भी और जो भी निर्माण है वह पूरी तरह से अवैध है। जय प्रकाश अग्रवाल नाम के बिल्डर ने समय-समय पर इसमें अवैध निर्माण कराए हैं। कई बार इनको रोका भी गया या कहें रोकने के नाम पर कैंट बोर्ड स्टाफ ने नौटंकी भी की। हालांकि कुछ अफसर सख्त मिजाज भी आए लेकिन इस सब के बीच बड़ी बात यह है कि इस इमारत में किए गए अवैध निर्माण कभी भी ध्वस्त नहीं  किए गए। यूं कागजो में ध्वस्तीकरण के आदेश हैं, लेकिन ध्वस्तीकरण के आदेशों पर भ्रष्टाचार की धूल जमी हुई परतें अब मोटी हो चुक हैं। जब कैंट बोर्ड अध्यक्ष के आदेशों के बाद भी फाइलों पर जमी परतें नहीं हटायी जा सकी तो फिर अंदाजा लगा लीजिए कि यहां अवैध निर्माण भला कैसे रोका जा सकता है।

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