जांच को तमाशा बनाने वालों की खैर नहीं, मुख्य मंत्री, मुख्य सचिव व विभागों के प्रमुख सचिव के आदशों पर होने वाली जांचों को तमाश बनाने वाले जिला स्तर के अधिकारियों की खैर नहीं। ऐसे अधिकारी मुख्य सचिव के रडार पर हैं और उन पर कार्रवाई की तलवार भी लटक रही है। शासन के आदेश पर होने वाली जांचाें को तमाशा बनाने वाले अधिकारियों को नसीहत व चेतावनी देते हुए सबसे पहले 8 फरवरी 2018 को एक पत्र जारी किया गया था। मुख्य सचिव ने दो टूक कहा है कि आईजीआरएस पर आने वाली शिकायतों को जांच के नाम पर मखौल न बनाया जाए।
इन अफसरों को दी थी हिदायत
शासन के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव कुमार के हस्ताक्षर से जारी किए गए 8 फरवरी 2018 के पत्र में उत्तर प्रदेश शासन के सभी प्रमुख सचिवों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, विभागाध्यक्षो व कार्यालयध्यक्षाें को हिदायत दी गयी थी कि शासन के आदेश पर होने वाली जांचों को मखौल न बनाया जाए। पत्र में कहा गया कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों की शासन स्तर से जो जांच के आदेश दिए जाते हैं उन जांचों को उसी अधिकारी व कर्मचारी को संदर्भित कर दिया जाता है, जिसके बारे में शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दिए जाते हैं।
जांच में यह किया जाए
मुख्य सचिव के पत्र में यह भी हिदायत दी गयी थी कि जिस भी अधिकारी व कर्मचारी के विरूद्ध जांच के आदेश दिए जाएं, उसकी जांच उससे कम से कम एक पद ऊपर के अधिकारी से करायी जाए ताकि न्याय की नर्सैगिकता बनी रहे। जांच प्रक्रिया पर कोई शक शुबहा न रहे। निष्पक्ष जांच करायी जा सके। जिस भी अधिकारी व कर्मचारी के विरूद्ध जांच करायी जा रही है, जांच अधिकारी उससे स्पष्टीकरण प्राप्त करें। यदि जरूरी समझें तो जांच में आरोपी अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाए। निलंबन सरीखी कार्रवाई की जाए।
सबसे ज्यादा बदनाम बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय
आईजीआरए पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों की जांच व निस्तारण के मामले में मेरठ के संदर्भ में यदि बात की जाए तो सबसे ज्यादा बदनाम बीएसए कार्यालय है। बीएसए कार्यालय को लेकर आईजीआरएस पोर्टल पर जो भी शिकायतें पहुंच रही हैं, उनके निस्तारण के नाम पर आमतौर पर खेल से ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है। इस मामले में सबसे ज्यादा बदनाम बीएसए कार्यालय का लिपिक प्रदीप बंसल को लेकर की जाने वाली शिकायतें है। आरोप है कि प्रदीप बंसल को लेकर आईजीआरएस पोर्टल पर जाने वाली जितनी गंभीर शिकायतें हैं, वैसा किसी अन्य मामले में होता तो अब तक संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को कई बार निलंबित किया जा चुका होता।
लंबी है आरोपों की लिस्ट
-मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने के बाद टंकण परीक्षा का पास न किया जाना।
-महिला टीचरों के द्वारा गंभीर व भ्रष्टाचार संबंधित आरोप।
-फर्जी कागजों के आधार पर एक महिला टीचर की नौकरी बचाने का प्रयास।
-आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप।
-परीषदीय स्कूलों में नियुक्तियों में गंभीर धांधली व भ्रष्टाचार के आरोप
सूत्र बताते हैं कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों की जांच कर निस्तारण के नाम पर खेल को लेकर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में जिस नाराजगी का इजहार किया है, उसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार शिक्षा विभाग बताया जा रहा है।