कैसे होगी पढ़ाई टीचर तो बनवा रहे वोट, टीचर स्कूलों में पढ़ाने की बजाए, मेरठ में अब अब बीएलओ की भूमिका में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं। ये आधार कार्ड को वोटर कार्ड से जाेड़ने का काम में लगे हैं। इससे स्कूलों में पठन-पाठन का माहौल बिगड़े तो बिगड़े, इससे जिला प्रशासन को कोई मतलब नहीं। प्रशासन का तर्क है कि यह काम राष्ट्रहित में जरूरी है। वहीं बीएलओ डयूटी के चलते स्कूलों में पठन-पाठन का माहौल बेपटरी हो चला है। बच्चों की परीक्षा भी होती हैं। अब इसे यह कैसे क्लियर करेंगे इस बात का संकट इनके सामने खड़ा हो गया है। क्योंकि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर तो बीएलओ की ड्यूटी में व्यस्त हो गए हैं। हैरानी इस बात की है कि लिखित में कुछ आदेश नहीं, सब मौखिक आदेश पर करना पड़ रहा है।
बच्चों की पढाई का क्या:
जब टीचर की डयूटी वोट बनाने के काम में लगा दी गयी है तो सवाल पूछा जा रहा है कि स्कूल में बच्चाें की पढाई और जो बच्चे खासतौर से पढाई में अपने उस विषय में कमजोर हैं जिसको पढाने वाली टीचर की डयूटी बीएलओ बनाकर लगा दी गयी है उनका क्या होगा। इसको लेकर इस संवाददाता ने कई स्कूल प्रधानाचार्य से जब सवाल किया ताे नाम न छापे जाने की शर्त पर बताय कि पढाई तो प्रभावित होनी है, लेकिन यह उस सिस्टम को सोचना चाहिए जो डयूटी लगा रहे हैं। रही स्कूल में बच्चाें पढाई की बात तो एडजेस्ट तो करना पडेंगा ही।
बीएलओ सुपरवाइजर की ड्यूटी :
वोटरसूची को आधार कार्ड से जोड़ने की ड्यूटी में जिले के टीचरों की बतौर बीएलओ सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई गई है। टीचरों को उनके स्कूल से ही बीएलओ लगाया गया है, जहां वे घर-घर जाकर लोगों का ब्यौरा जुटा रहे हैं। दोपहर 2 बजे छुट्टी के बाद चिलचिलाती धूप में जाने पर कामकाजी लोग घर पर नहीं मिलते है, इस अड़चन को देखते हुए अध्यापकों अपने काम को सिरे चढ़ाने के मौखिक निर्देश भी दे दिए गए हैं।
कितनी वोट रोज बना रहे हैं:
जिन टीचरों की डयूटी वोट बनाने के काम में लगा दी गयी है बच्चों की पढाई काे छोड़कर वो प्रतिदिन कितनी वोट बना रहे हैं। कितने घर कवर कर रहे हैं। क्या सारा काम सही प्रकार से निष्पादित किया जा रह है। यह एक बड़ा सवाल है, जिसका उत्तर तभी मिल कसेगा जब वोट बनाने का अभियान पूरा हो जाएगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो जो टीचर इस काम में लगा दिए गए हैं उनकी स्कूल वापसी का बच्चों का इंतजार लंबा हो सकता है।
शिक्षक संघ है नाराज:
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि शिक्षकों की भारी कमी है। वर्तमान में नगर क्षेत्र के शिक्षक राज्य सरकार की योजना, समाजवादी पेंशन का सर्वे डोर टू डोर जाकर कर रहे हैं। शिक्षकों से 10 वर्षीय जनगणना, दैवीय आपदा राहत कार्य एवं निर्वाचन के समय मतदान ड्यूटी के अतिरिक्त अन्य गैर शैक्षणिक कार्य करवाया जा रहा है। इसके बाद बीएलओ का कार्य कराना उचित नहीं है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराये जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। शिक्षक संघ के संयुक्त मंत्री अनुज शर्मा ने बताया कि कई साल पहले से शिक्षक संघ इसका विरोध करता आ रहा है।
लाचार हैं जिला स्तर के अफसर:
टीचरों की वोट बनाने में डयूटी को लेकर इस संवाददाता ने कई अधिकारियों से सवाल किया, लेकिन जवाब में आफ दा रिकार्ड उन्होने माना कि टीचरों को इसमें लगाना मुनासिब नहीं, लेकिन आदेश लखनऊ के हैं चुनाव आयोग के हैं, इसलिए उनका अनुपालन करना जरूरी है। इसको लेकर सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए जो लखनऊ में बैठकर पढाई करा रहे टीचरों की डयूटी का फरमान जारी करते हैं।