बंगलों की सेल-कैंट अफसर बेखबर

22B-अंधेरे में रखा या उजाले का डर
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बंगलों की सेल-कैंट अफसर बेखबर, मेरठ के छावनी इलाके में भारत सरकार या कहें जो बंगले रक्षा मंत्रालय की संपत्ति या आधीन माने जाते हैं उनकी खुलेआम खरीद-फरोख्त की जा रही है। भारत सरकार की संपत्ति इन बंगलों की करोड़ों में सेल लगी है। सुनने में आया है कि कुछ बड़े भूमाफियाें ने भी कुछ बंगले खरीद लिए हैं या उनकी नजर है। रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय और कैंट बोर्ड कार्यालय में ऐसे तत्वों की अच्छी खासी पैठ बताया जाती है। जो कुछ बंगलों के नाम पर कैँट में आला अफसरों की नाक के नीचे चल रहा सुना जाता है, रक्षा मंत्रालय द्वारा इसी जांच कराया जाना बेहद जरूरी है। हालांकि माना जा रहा है कि कैंट में बंगलों की खरीद फरोख्त की कुछ शिकायतों पर मेरठ में गोपनीय बिजिलेंस जांच भी करायी जा रही है, लेकिन कोई भी इसकी पुष्टि को तैयार नहीं। बताया जाता है कि इस प्रकार की जांचें बेहद सीक्रेट होती हैं और लोकल अफसरों को भनक तक नहीं लगने दी जाती। रिपोट सीधे डीजी डिफेंस को भेजी जाती है। वहीं दूसरी ओर मेरठ कैंट का बीआई लाइन इलाका इन दिनों बंगलों की खरीद फरोख्त को लेकर चर्चा में है। यहां बंगला 25बीआई लाइन की बात की जा रही है। रिकार्ड में यह बंगला एसएन लाल के नाम चढ़ा है। इस चर्चित बंगले पर एक पूर्व डीईओ ने कब्जा कर लिया था। मामला मिनिस्ट्री तक पहुंचने के बाद सेना ने आधा बंगला अधिग्रहित कर लिया। लेकिन कैंट बोर्ड में एक सजातिय सीईओ के होने के चलते बोद में इस बंगले को दोबारा कब्जा लिया। सेना ने जो हिस्सा अधिग्रिहित किया था, वह इस बंगला का हिस्सा ए-वन लैंड का है। इसकी कार्रवाई आज भी स्टेशन हेडक्वार्ट में लंबित सुनी जाती  है। बंगलों की खरीद फरोख्त को लेकर इन दिनों कैंट बोर्ड के एक बर्खास्त व डीईओ कार्यालय के एक रिटायर्ड कर्मचारी व पूर्व मैंबर खासे चर्चा में है। जानकारों की मानें तो 25बीआई लाइन को सदर के जौली स्टोर के स्वामियों ने करीब 12 करोड़ में खरीदा है। जौली स्टोर स्वामियों से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

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