खेतों को रौंद रहे भूमाफिया, अवैध कालोनियां काटने के लिए तमाम भूमाफिया खेतों को रौंदकर हरियाली का कत्ल करने पर उतारू हैं। मेरठ में जिस तेजी से कंकरीट का जंगल फैल रहा है उसके चलते लगता है कि आने वाले कुछ ही सालों में मेरठ के चाराओं जो हरे भरे खेत नजर आते थे साथ ही जंगल दिखाई देता था, भूमाफियाओं की कारगुजारी के चलते वो सभी हरे भरे मैदान अवैध कालोनियों की बदलौत खड़े होने वाली कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो जाएगे। यहां के बाशिंदे प्राण वायु को तरसेंगे। जिन इलाकों में शहर की घनी आबादी से लोग सुबह के वक्त मार्निंग वॉक के लिए जाते हैं उन तमाम आउटर्स में इन दिनों अवैध कालोनियों की बाढ़ आयी हुई है। हरियाली को लील लिया जा रहा है। शहर के आसपास जितने भी खेत होते हैं उन सभी में सब्जियां उगायी जाती हैं वो इसलिए की शहर की मंड़िया खेतों के करीब होती हैं। तडके तडक किसान अपने इन खेतों से सब्जी निकालकर मंड़ियों में ले जाते हैं। लेकिन आने वाले कुछ सालों में लोंगों को न तो हरी भरी ताजी सब्जी मिलेगी और न ही मार्निंग वॉक पर आने वालों हरियाली मयसर होगी। क्योंकि जिनकी डयूटी हरियाली की हिफाजत कर शहर में अवैध रूप से तेजी पनप रहे कंकरीट के जंगलों पर जेसीबी चलवाने की है, मेरठ विकास प्राधिकरण के वो अफसर इन दिनों बजाए भूमाफियाओं पर कठोर कार्रवाई के ऐसा नजर आता है कि हरियाली को तबाह व बर्बाद करने वालों के खुद ही मददगार बने हुए हैं। हरियाली को ट्रेक्टर चलवाकर रौंदा जा रहा है। वहां तेजी से मिट्टी का अवैध खनन कराकर उसकी भराई करायी जा रही है और अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं।
दिल्ली एनसीआर में रोक के आदेश गर्द में
वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए एनजीटी व केंद्र सरकार ने पूरे एनसीआर क्षेत्र में सभी प्रकार के निर्माण संबंधी कामों पर रोक लगायी है।ऐसा इसलिए किया गया है ताकि निर्माण साइटों पर जो धूल दिन भर उड़ती है वो न उड़े। इन दिनों जबरदस्त कोहरा व सर्दी पड़ी है। जिसके चलते एयर क्वालिटी इंडैक्स धड़ाम है। एयर क्वालिटी को सुधारने के लिए ही मेरठ समेत पूरे एनसीआर इलाके में सभी प्रकार के निर्माणों पर रोक के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन अवैध निर्माणाें को आश्रय दे रहे मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों को सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक के आदेशों से कोई सरोकार हो, ऐसा नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे ठोस कारण भी हैं वो ये कि अवैध कालाेनियों में केवल निर्माण संबंधित काम ही नहीं कराया जा रहा है। जितनी भी अवैध कालोनिया हैं उनमें निन्यानवें फीसदी खेतों में काटी गई हैं। खेतों में काटी जाने वाली कालोनियों से पहले खेत में भराव कराना होता है। इस भराव के लिए भी जो मिट्टी प्रयुक्त होती है वो भी खेतों में अवैध खनन करने के बाद ही लायी जाती है। जहां अवैध खनन किया जाता है, वहां भी दिन भर धूल का गुबार उठाता रहता है। धूल का यह गुबार ही वायु मंडल में धुलकर प्रदूषण पैदा करता है। लेकिन भूमाफिया अपने लाभ के लिए प्रदूषण फैलाकर अवैध कालोनी काट रहे हैं उनकी बात तो समझ में आती है। अवैध कालोनियों के खिलाफ मेरठ विकास प्राधिकरण एक्शन मोड में आने में क्यों देरी कर रहा है, यह बड़ा सवाल है वो भी तब जब एनजीटी व केंद्र ने सभी प्रकार के निमार्णों पर रोक लगायी है। मेरठ में निर्माण कार्य पर रोक तो दूर की बात एमडीए के कुछ अफसर ही अवैध कालोनियों का काम करा रहे हैं।
एमडीए के सभी जोन हैं बदनाम:
अवैध कालोनियों की यदि बात की जाए तो एमडीए का कोई भी जोन ऐसा नहीं जहां अवैध कालोनी न काटी जा रही हों। किला रोड की यदि बात करें तो एक छोटे से एरिया में ही करीब दर्जन भर अवैध कालोनी काटी जा रही है। मवाना रोड पर भी खेतों को रौंदकर भूमाफिया अवैध कालोनी काट रहे हैं। अम्हेडा व मिनाक्षीपुरम इसके बड़े सबूत हैं। रूडकी रोड से सटे लावड रोड पर अन्य भूमाफियाओं को हरे भरे खेतों को रौंदने का न्यौता देने का काम रामा कुंज अवैध मार्केट खेत में बनाने वाले दौराला के भूमाफिया ने दिया है। लावड रोड इलाका भी अवैध कालोनियों के लिए बदनाम इलाकों के लिए याद किया जाएगा। यहां हालात बद से बदत्तर बना दिए गए हैं। बागपत रोड से सटे भोला रोड इलाके में खुद को भाजपा के रोहटा मंडल का पदाधिकारी बताने वाला भूमाफिया अवैध कालोनी काट रहा है। बागपत रोड इलाके में भी अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। एमडीए के अन्य जोनों का भी ऐसा ही बुरा हाल है न कोई देखते वाला और न ही कोई रोनके टोकने वाला। अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई की बात तो सोचना भी बेमाने हो गया है।
नहीं मिलता जवाब:- शहर दिन रात काटी जा रही अवैध कालोनियों को लेकर एमडीए प्रशासन या फिर जोन के अधिकारियों से सवाल किया जाता है तो वो मौन साधना में लीन नजर आते हैं। इक्का दुक्का मामले में जवाब दिया जाता है कि वहां काम रूकवाने के आदेश किए गए हैं, लेकिन जब उन्हें बताया जाता है कि किला रोड पर दोनों ही भूमाफिया लगातार काम जारी रखे हुए हैं तो इसके बाद उनकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिल पाता है।