अवैध कालोनी-भूमाफियाओं पर धन वर्षा

अवैध कालोनी-भूमाफियाओं पर धन वर्षा
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अवैध कालोनी-भूमाफियाओं पर धन वर्षा, मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट कर्मियों की वजह से केवल अवैध कालोनियों का जाल ही नहीं तेजी से बिछाया जा रहा है बल्कि सूबे की योगी सरकार को प्रति माह करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना भी लगाया जा रहा है। मेरठ विकास प्राधिकरण से बगैर कोई नक्शा पास कराए योगी सरकार के सारे कायदे कानून ताक पर रखकर जिस प्रकार से मेरठ में अवैध कालोनियों का जाल बिछाया जा रहा है वो आने वाले सालों में जब मेरठ महायोजना को जमीन पर उतारने का वक्त आएगा, उस वक्त तो मुसीबत का पहाड़ दिखाई देगा ही, लेकिन उससे पहले एमडीए के कुछ भ्रष्ट स्टाफ की कारगुजारियों के चलते सूबे की सरकार को भारी भरकम रकम का फटका लग चुका होगा। इसकी ठोस वजह  भी है। कालोनी काटने वाले यदि नक्शा पास कराएंगे तो उसकी एवज में एमडीए को राजस्व देना होगा,  लेकिन भूमाफिया बने बिल्डरों की सोच एकदम अलग है। वो सोचते हैं कि जब  यूं ही मसलन बगैर किसी राजस्व को दिए और कम खर्च में चोखा काम हो रहा है तो फिर एमडीए को रेवेन्यू देने की क्या जरूरत है। इसके अलावा यदि एमडीए से नक्शा पास कराने के बाद कालोनी काटेंगे तो वहां पानी की टंकी, सीवरेज सिस्टम, साफ सुथरी सड़क, पार्क सरीखी तमाम सुविधाएं देनी होगी। इसी मानसिकता के चलते अब तमाम बिल्डर भूमाफियाओं की तर्ज पर बगैर नक्शा पास कराए ही कालोनी काटने पर उतारू हैं।

अवैध कालोनियों को चोखा धंधा

अवैध कालोनियों का धंधा चोखा है ना हींग लगे ना फिटकरी और रंग भी चोखा आए। शायद इसीलिए भाजपा के कई नेता भी अवैध कालोनियों में हाथ आजमा रहे हैं। ऐसे ही एक नेता है जिनका मेट्रो प्लाजा में अच्छा खासा भोजनालय चल रहा है, लेकिन अवैध कालोनी के धंधे में हो रही धन वर्षा के चलते इस धंधे में हाथ आजम लिया। एमडीए के  जोन सी-2 में ढावा संचालक से बिल्डर बने शख्स की अवैध कालोनी पर दो बार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा चुकी है। लेकिन नेता जी एमडीए अफसरों पर भारी पड़ रहे हैं।  जिस कालोनी का यहां जिक्र किया जा रहा है  जब उस अवैध कालोनी का काम शुरू किया गया तो करीब आठ माह पहले एमडीए की जेसीबी मशीनें वहां जाकर गरजी थीं, अवैध कालोनी को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। एमडीए की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के कुछ समय बाद तक तो यह शख्स शांत रहा, लेकिन उसके बाद मौका मिलते ही इसने दोबारा से अवैध कालोनी में काम शुरू करा दिया। लेकिन एमडीए ने हिम्मत दिखाते हुए करीब एक माह पूर्व दोबार वहां जेसीबी मशीनें भेजकर ध्वस्तीकरण कर दिया। दो बार ध्वस्तीकरण किए जाने के बाद माना जा रहा था कि शायद दिल्ली रोड मोहद्दीनपुर की कालोनी का काम अब रोक दिया जाएगा। कालोनी काटने वाला शख्स पहले मेरठ विकास प्राधिकरण में नक्शे का आवेदन करेगा। प्राधिकरण से एप्रुवड कालोनी में जो कुछ होना चाहिए वो तमाम मनकों को पूरा करेगा, उसके बाद ही कालोनी पर काम शुरू किया जाएगा, लेकिन ऐसा  हुआ नहीं। एक माह पूर्व जिस जगह को एमडीए की जेसीबी मशीनें रौंदकर आयी थीं, उस जगह पर इन दिनों कालोनी काटने का काम जोरशोर से शुरू कर दिया गया है। वहां सड़क बनायी जा रही हैं। उसके लिए पूरी कालोनी के ऐरिया में रोडी बिछा दी गयी है। किसी भी दिन वहां कोलतार या फिर डामर बिछ जाएगा। डामर बिछने का मतलब अवैध कालोनी में भूखंड बिकने को पूरी तरह से तैयार हैं। इसके साथ ही चार दीवारी और अवैध कालोन में बिजली के खंबों को इंस्टालेशन काम भी शुरू हो जाएगा। कुल मिलाकर यदि हालात की बात की जाए तो भोजनालय या कहें ढावा चलाने वाले इस शख्स की अवैध कालोनी पूरी तरह से स्वरूप लेने से अब चंद कदम की दूरी पर है।

रियल एस्टेट के नाम पर काटी जा रही अवैध कालोनियां:- मेरठ की यदि बात की जाए तो इन दिनों शहर के तमाम धन्नासेठ अपने पुश्तैनी कारोबार को छोड़कर रियल स्टेट के काम में हाथ आजमा रहे हैं या यूं कहें कि खुलकर हाथ आजमा रहे हैं। हालांकि रियल स्टेट के नाम पर मेरठ में केवल अवैध कालोनियां ही काटी जा रही हैं। अवैध कालोनी काटने वाले बाकायद संगठित गिरोह की तर्ज पर काम रहे हैं। इनके इस गिरोह में कुछ भ्रष्ट अफसर, अपराधिक पृष्ठ भूमि वाले कुछ माफिया, सत्ता व संगठन में अच्छी खासी दखल रखने वाले नेता और कुछ ऐसे बिल्डर जो अवैध कालोनी के धंधे में अपनी काली कमाई को लगाकर उसको सफेद करने की हरसत रखते हों। ऐसे ही संगठित गिरोह चलाने वाले इन दिनों मेरठ में अवैध कालोनी काटकर बिल्डर बनने का शौक पाले हैं।

एमडीए अफसर भी पस्त:- ऐसी अवैध कालोनियां काटने वालों के आगे अब मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर भी पस्त नजर आते हैं। पहले ऐसा नहीं था। सूचना मिलते ही अवैध कालोनी को नेस्तनाबूत कर दिया जाता था, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदले हुए हैं। जानकारों का कहना है कि इसका मुख्य कारण अवैध कालोनी के धंधे में उतरने से पहले एक संगठित गिरोह बनाना है। ऐसा गिरोह जिसमें अफसर, नेता, माफिया और बिल्डर शामिल होते हैं। इन सभी की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं। ये लोग एक साथ कई-कई साइट पर काम करते हैं। ऐसा नहीं है कि महज एक ही जगह कालोनी काटते हों। इनके काम कई जगह चलते हैं। अपने काम को अंजाम तक पहुंचने के लिए ऐसे लोग किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं करते। इनका काम सिर्फ और सिर्फ महानगर में अवैध कालोनियों का जाल बिछान होता है और कुछ भी नहीं। और इस काम को ये लोग बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं। लेकिन इनकी इस प्रकार की कारगुजारियों से सबसे बुरा असर संगठन व सरकार की छवि पर पड़ रहा है। ये लोग जो कुछ कर रहे हैं जानकारों का कहना है कि वह सरकार और संगठन के नाम पर ही कर रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही कि मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर कब अपनी डयूटी को अंजाम देंगे।

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