जोर का झटका लगा धीरे से

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जोर का झटका लगा धीरे से, न्यायलय ने दिया प्राइवेट स्कूलों को बड़ा झटका-प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल की 15 % फीस करनी होगी वापस- मेरठ।  कोरोना काल की फीस में राहत के लिये प्रदेश भर के अभिभावको द्वारा सरकार से आंदोलन , प्रोटेस्ट ज्ञापन और ट्वीटर के माध्य्म से भरकस अपील की थी जिसमे जिलाधिकारी कार्यलय पर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की भूखहड़ताल भी शामिल थी जिससे शासन , प्रशासन और प्रदेश सरकार भी हिल गई थी लेकिन प्रदेश के अभिभावको को राहत फीस में नही मिल पाई थी लेकिन अब उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने प्रदेश के अभिभावकों को कोरोना काल की फीस में 15 % की राहत दी है | मुरादाबाद पेरेंट्स ऑफ़ आल स्कूल के द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर फैसला देते हुये वर्ष 2020-2021 कि फीस में 15% फीस कम करने का आदेश 06 जनवरी 2023 को अनुज गुप्ता और 9 अन्य वर्सेज स्टेट ऑफ यूपी और 16 अन्य जनहित याचिका को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की पीठ राजेश बिंदल मुख्य न्यायधीश व जस्टिस श्री जे जे मुनीर के द्वारा सुना गया | अभिभावकों का पक्ष अधिवक्ता श्री शाशवत आनंद जी के द्वारा रखा गया और उन्होंने न्यायालय के समक्ष रखा कि किस तरह स्कूलों के द्वारा अभिभावको से कोरोना काल में पूरी फीस वसूली गयी जबकि स्कूलों के द्वारा कोरोना के समय खर्चे काफी मात्रा में कम हुए थे अधिवक्ता द्वारा यह भी कहा गया कि स्कूलों को केवल टूशन फीस ही लेनी चाहिए थी | इस पर हाई कोर्ट ने मुरादाबाद के अभिभावकों द्वारा दाखिल सभी साक्ष्यो को गहनता से देखा गया और यह निर्णय लिया कि कोरोना काल में स्कूलों के द्वारा ली गयी फीस में 15% की कटौती करनी होगी | जिसका लाभ अभिभावकों को अगले माह/ तिमाही की फीस में दिया जायेगा और जिन छात्रों के द्वारा स्कूल छोड़ दिया है उनको उतनी फीस वापस करनी होगी और जिसके लिए सभी स्कूलों को 60 दिन का समय दिया गया है | मुरादाबाद पेरेंट्स ऑफ आल स्कूल के अध्यक्ष अनुज गुप्ता और गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद का शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने अभिभावकों और छात्रों के हित में अपना फैसला सुनाया । यह जीत अभिभावकों की एकता की जीत हुई है और यह भी कहा कि आगे भी अभिभावकों को एकजुट होकर रहना होगा और अपने हित के लिए हमेशा आवाज उठानी होगी ।

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