कहीं इंतजार तो कहीं छलकनेको तैयार

कहीं इंतजार तो कहीं छलकनेको तैयार
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कहीं इंतजार तो कहीं छलने को तैयार,

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के लिए दूसरे चरण में हो रहे मतदान के दौरान कहीं इंतजार सरीखा माहौल था तो कही ऐसा लगा मानों छलकने पर उतारू हो। शुक्रवार को संपन्न हुए मतदान के दौरान इस बार महारथी अपने गढ़ में खेत रहे थे। अभेद समझे जाने वाले इलाकों में यदि बैठकर इंतजार करने सरीखी स्थिति का सामना करना पड़े वो भी उस वक्त जब सूरज सिर पर चढ़कर ना बोल रहा हो। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि धूप बहुत ज्यादा तेज है। बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। दोपहर बाद देखी जाएगी। अभी रहने दो बच्चे धूप खा जाएंगे। वक्त था सुबह के करीब दस बजे का और इलाका सदर पुलिस स्ट्रीट। बूथ के समीप टेबल डालकर ऐजेंटों को यदि इंतजार करना पडे़ वो भी सदर सरीखे गढ़ में तो हैरानी तो होगी। कमोवेश रजबन की यदि बात की जाए तो यहां दोनों संतोष की अवस्था में थे तीसरा नजर नहीं आ रहा था, यानि हाथी दूर था। सीएबी से आगे चले तो दोपहर का करीब साढ़े बाहर बजे का वक्त था। वाया मछेरान, केसरगंज, आबू मकबरा होते हुए नगर निगम के सामने से होते हुए जा पहुंचे शहर घंटाघर। यहां का नजरा बिलकुल उलट था। यहां का नजरा देखकर तो लगता था कि वोट देने के लिए शाम का इंतजार नहीं करेंगे। जुम्मे से पहले ही काम निपटा लिया जाए। वहीं सबसे बड़ी बात कि एक दूसरे को मात देने के लिए पुरूष और महिलाओं में होड‍़ थी, ऐसा लगता था कि मानों शर्त लगा ली हो कि इन इलाकों में कौन किस पर भारी पड़ता है।

प्रशासन के माकूल इंतजाम

सबसे अच्छी बात इन इलाकों में प्रशासन के इंतजामों की रही। उसके लिए अफसर को शत प्रतिशत नंबर ना देना नाइंसाफी होगी। तमाम बूथों पर जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम थे। मजिस्ट्रेट भी पास खड़ी गाड़ी में बूथ के पास ही मौजूद थे। एक दिन पहले कयास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है कि मतदान प्रभावित किया जाए, लेकिन मौके पर पहुंचकर जब देखा तो तमाम आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। भीड़ तो भी लेकिन ना कोई शोर ना शरबा, हां इतना जरूर था कि भाई जल्दी करो, काफी अभी भी बाकि हैं।

वोट बाद में पहले कचौरी 

शहर घंटाघर के इलाके से होकर कुछ और आगे बढे़ तो वाया लाला का बाजार होते हुए पहले नंदराम का चौक यहां एक हलवाई की दुकान खुली थी और जलेबी कचौरी बन रही थीं। बाइक पर जनवाणी का स्टिकर देखा तो लोगों ने हाथ देकर रोक लिया। भाई साहब आ जाओ पहले नाश्ता कर लो। हमारे मुंह से अनायास ही निकल गया भाई बारह बजे नाश्ते का क्या टाइम तो एक सराफा कारोबारी जो परिचित थे तो बोले लंच समझ कर कचौरी खा लो। सवाल किया कि वोट डाल आए तो बोले पहले पेट पूजा तो कर लें, वोट कहां भागी जा रही है और हमारी एक वोट से कौन सी सरकार बनते-बनते रहे जाएगी। फिर सरकार किसी की बने हमें तो नून तेल और लकड़ी बस इसमें उलझ कर रह जाना है। यहां रूकना मुनासिब नहीं समझा। शहर सराफा स्थित बाजार बजाजा जूनियर हाई स्कूल मे बने बूथ का जायजा लेने को आगे चले तो कुछ दूरी ओर एक और हलवाई की दुकान पर जलेबी कचौरी के लिए मारामारी नजर आयी। हालांकि फ्री में नहीं मिल रहीं। यहां पर कुछ व्यापारी नेता जो पहचान वाले थे उन्होंने रोक लिया और लगा दी सवालों की झड़ी। कितना फीसदी, कौन आगे चल रहा है, आप अपना आइडिया बताओ। यहां से निकलते तो बजाजा वाले बूथ पर पहुंचे, वहां मतदान कर्मी उंघते नजर आए। गेट पर मुस्तैद सुरक्षा कर्मी मतदान के लिए आए दंंपत्ति की वोटर आईडी चैक कर रहे थे।

दलित बाहुल्य इलाके और हाथी की चाल

बाइक की स्पीड बढायी और जा पहुंचे शहर कबाड़ी बाजार के चौराहे पर। कोटला, वैली बाजार की ओर एक पल रूक कर देखा तो असामान्य सरीखा कुछ नहीं था। आगे बढ गए और शारदा रोड चौराहा, ओडियन, ईश्वरपुरी, भगवतपुरा होते हुए भूमियापुल जा पहुंचे, लेकिन दलित बाहुल्य इन इलाकों में हाथी को घुटने पर देखकर हैरानी जरूर हुई। यहां जा पहुंचे लिसाडी रोड यहां का नजरा पूरे शहर के इतर अलग ही नजर आया। हालांकि जुम्मा पढने का वक्त हो चला था लेकिन ऐसा लगा कि आज ठान लिया है कि जुम्मा तो ठीक है, लेकिन लोकतंत्र के पर्व को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। मतदान को लेकर अभूतपूर्व उत्साह इस पूरे इलाके में देखा। लोगों से बात की तो पता चला कि अब कुछ हलका है क्योंकि जुम्मा पढ़ना है, लेकिन सुबह से दोपहर 12 बजे तक ठीक-ठीक रहा। यहां कोई दूसरा रंग ही नजर नहीं आया।  माहौल देखकर समझ आ गया कि किस का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।

शहर की पुरानी आबादी

लिलसाडीगेट चौकी बनियापाड़ा होते हुए यहां जा पहुंचे गुजरी बाजार। हालांकि बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ था। पूर्व सांसद हाजी शाहिद के आवास पर चहल पहल जैसी कोई बात नहीं थी, ऐसा नजर आया कि सरोकार नहीं रखना चाहते। कोतवाली की ओर जा रहे थे कि अचानक अंदरकोट बूथ की ओर मुड़ गए। बूथ पर सन्नाटा था। एक दो लाेग वोट देने को पहुंचे थे। सुरक्षा कर्मियों से इसकी वजह पूछी तो बोले हो चुका जो होना था। अंदरकोट इलाके से इस्माइल नगर होते हुए कोतवाली सुभाष बाजार आ गए। यहां चटक भगवा रंग खिला था। यहां से बुढानागेट सनातन धर्म वाला बूथ और फिर ईव्ज चौराहा होते हुए एनएएस और आगे बढे तो आरजी इंटर कालेज वाला बूथ।

मेला सरीखा माहौल

शिव चौक छीपीटैक पर जा पहुंचे। यहां भाजपाइयों को मेला लगता था। कैंट विधायक अमित अग्रवाल, वरूण अग्रवाल, अतुल गुप्ता, अश्वनी त्यागी, करुणेश नंदन गर्ग, संजय गोयल ग्लैक्सी, पिंटू सरीखे भाजपा नेता यहां मौजूद थे। सूरज सिर पर था और धूप भी काफी तेज थी। थोड़ी देर बतियाए और फिर चलने लगे। किसी ने कान में फुसफंसाया कि सामने पीले कुर्ते व  सफेद पजामे में जो खडे़ हैं उनसे भी मिल लो। कौन हैं वो उत्तर मिला समधि जी, चौक कर पलटे तो बाेले अरुण गोविल के समधि हैं।

समधि जी हैं इसलिए मिलना बतना है

जा पहुंचे मिलने उन्हें अपना परिचय दिया और अभिवादन करते हुए उनका परिचय लिया। वो बोले मेरा नाम दिनेश मित्तल है। प्रिंटिंग का काम है, यहीं बगल में घर है। अरुण गाेविल से क्या रिश्तेदारी है तो बाेले समधि हैं हमारे। फिर तो काफी आना जाना रहता होगा हमने सवाल उछाला तो बोले बिलकुल भी नहीं। कतई नहीं। पहली और आखिरी बार शादी में मिले थे, अरुण गोविल के भाई के बेटे से हमारे बेटी व्याही है। बेटी व दामाद इन दिनों पूना में हैं। ऐसा लगा कि अरुण गोविल के नाम पर वो ज्यादा बात के मूड में नहीं। ना रूकना चाहते थे। हाथ मिलाया और चल दिए। किसी अन्य ने जानकारी दी कि इनके एक बेटे से सघ के एक बड़े नेता के भाई की बेटी व्याही है। ठीक ठाक परिवार है।

दोपहर में पसर गया सन्नाआ

दोहपर के करीब ढाई बजे शहर के ज्यादातर बूथों पर सन्नाटा सरीखा नजारा था। मेरठ कालेज बूथ पर पेड के नीचे बैठकर पोलिंग ऐजेंट लिम्का के साथ ब्रेड ठंड़े ब्रेड पकड़े जो सख्त हो गए थे उन्हें हलक में उतरने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन चबा नहीं पा रहे थे। यहां से सुभाष नगर होते हुए मोहनपुरी पहुंच जा पहुंचे। वहां भी रौनक नजर नहीं आयी। बातचीत की तो बताया कि काम बढिया हो गया जो थोड़ा बहुत रह गया है कि शाम को पूरा हो जाएगा, हैरानी इस बात की हुई कि यहां हाथी चिंघाड़ता नहीं दिखाई दिया। फूलबाग कालोनी और फिर आगे वाया गढ़ रोड शास्त्री नगर ए ब्लाक में जरूर भगवा का रंग चटक नजर आया।

कंट्रोल रूम में सूचनाओं का इंतजार

साढे़ तीन बजे का वक्त हो गया था। बाइक कलेक्ट्रेट की ओर वापस मोड ली। बचत भवन कलेक्ट्रेट पहुंचे। वहां कुछ कर्मचारी परिचित मिल गए। अपडेट पूछा तो बताया गया कि कुछ ऐसा बड़ा नहीं जो मीडिया की सुर्खी बने । शांति पूर्वक चल रहा है। तीन चार सूचनाएं आयी थीं। कुछ भी खास नहीं है।

-गठबंधन प्रत्याशी सुनीता वर्मा की ओर से भाजपाइयों पर भोजन के पैकेट बांटकर मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप।

-माधवपुरम के एक मतदान केंद्र पर गरमी के कारण मतदान कर्मी की हालात का अचानक बिगड़ जाना। उन्हें अस्पताल ले गए।

-कुछ जगह ईवीएम काे लेकर शिकायतें मिली हैं।

-लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायत बड़ी संख्या में मिली हैं।

इंसेट

फोर्स को देखा तो दुकान छोड़कर भागा

मेरठ। ओडियन वाली रोड पर जाटव गेट की ओर जाने वाले मोड पर एक दुकान खुली हुई थी। यहां पान बीडी सिगरेट और कोल्ड ड्रिंग का मजा लोग ले रहे थे। उसी दौरान अचानक उड़न दस्ता आकर रूका। कई गाड़ियां थी। इनमें अर्ध सैनिक बल थे। इन्हें देखकर लोग तेजी से वहां से भागने लगे। दुकान भी भागने वालों में शामिल था। गाड़ी से उतरा एक पुलिस कर्मी दुकान के सामने जा खड़ा हो गया। दुकानदार वहां था नहीं। वहां काफी देर तक इधर उधर देखता रहा। कोई नजर नहीं आया। एक अधेड सा नजर आने वाला शख्स हाथ जोडते हुए माफी मांगता हुआ आया और बोला साहब गलती हो गई लोगों ने जबरन खुलवाई थी। अभी बंद कर देता हूं। माफ कर दीजिए। पुलिस कर्मी उसकी ओर बढा और कंधे पर हाथ रखते हुए हाथ में सौ का दो सौ का नोट थमाया और कुछ सामान देने को कहा। और यह भी कहा कि उसकी दुकान बंद कराने नहीं आए हैं। सामान दे दो और अपनी दुकान संभालो। इसके बाद इस दुकानदार का चेहरा खिल उठा। शायद उसने कम पैसे काटे थे, डपटते हुए पुलिस कर्मी ने उसको पूरे पैसे काटने को कहा। सामान लेने के बाद यह काफिला आगे बढ़ गया। जो भाग गए थे उनमें से एक आकर बोला अरे चाचा बेकार डर रहे थे, कुछ नहीं होगा आराम से दुकान खोला, हम हैं ना।

सुबह से थे गायब फटकार पड़ी तो अभी आकर है बैठे

मेरठ। भाजपा के प्रभाव वाले एक इलाके में संगठन के कुछ बड़े नेता पेड़ के नीचे कुर्सियां डलवा कर बैठे थे। इनमें से ज्यादा एक ही परिवार के थे। पसीने से तर-बतर हो रहे थे। समर्थकों ने घेरा बनाया हुआ था। हवा को भी आगे जाने की इजाजत नहींं थी। वैसे इनका यहां यूं बैठना कोई नहीं बात नहीं थी, लेकिन जो कुछ बताया गया या कहें पता चला वो जरूर हैरान करने वाला था। उनके किसी करीबी ने ही बताया कि सुबह से यहां नहीं थे। लखनऊ व दिल्ली से फटकार लगायी गयी तो यहां आकर बैठ गए हैं। इससे पहले नजर नहीं आ रहे थे।

वोटर को धकलते नजर आए

मेरठ। कैंट विधानसभा क्षेत्र में दो लोग ऐसे नजर आए जो वोटरों को धकेल रहे थे। इनमें पहला नाम कैंट बोर्ड के निर्वतमान उपाध्यक्ष बीना वाधवा और दूसरा नाम सुनील वाधवा का है। बीना वाधवा ने लालकुर्ती इलाके में मोर्चा संभाला हुआ था। वो लोगों से खासतौर से महिलाओं से घर-घर जाकर आग्रह कर रही थीं। भाजपा के लिए वोट डालने की अपील कर रही थीं। उनके कहने के बाद ही लोग घरों से निकलने भी शुरू हुए। इलाके के बूथ सुनील वाधवा लोगों समझाते देखे गए कहां पर कैसे बटन दबाना है। कैसे वोट की पुष्टि करनी है। वाधवा दंपत्ति दिन भर बगैर दिखावे के डटे रहे। सुनील वाधवा ने बताया कि वो तो दिन निकलते ही घर से निकल गए थे। सोचा था की बाद में नहाने चले जाएंगे, लेकिन यहां से जाने का मौका ही नहीं मिला। अब तो शाम को करीब सात बजे घर जाकर नहाना होगा।

पहले वोट डाल दो नाश्ता होता रहेगा

मेरठ। महानगर भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य गौरव गोयल सदर इलाके में दिन निकलते ही कुर्ता पजामा पहनकर आ डटे। घर-घर जाकर लोगों से वोट डालने का आग्रह करते रहे। उन्होंने लोगों से कहा कि कैंट विधायक अमित अग्रवाल की प्रतिष्ठा इस विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी है। पहले वोट डालने चलिए। कुछ ने उन्हें चाय नाश्ता आफर किया तो बोले चाय व नाश्ता आज उनकी तरफ से होगा। पहले बूथ पर चलो और जब तक लोग घर से बाहर नहीं निकल गए गौरव गोयल वहीं डटे रहे। हालांकि उनके परिवार के सदस्यों ने पहले ही वोट डाल दिया था,। उनके पिता कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश गोयल भी मतदान कर चुके थे। लेकिन गौरव गोयल सदर इलाके में घर-घर जाकर मतदान के लिए आग्रह करते रहे।

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