असौड़ा हाउस मंदिर में श्रीजी का अभिषेक, पर्यूषण महापर्व पर श्री शन्तिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर असौड़ा हाऊस में श्रीजी का अभिषेक हुआ। शान्ति धारा का सौभाग्य जिसमें सौधर्म इंद्र एवं स्वर्ण झारी से शांतिधारा का सौभाग्य राकेश अंकित को मिला, मूलनायक शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा का प्रक्षालन करने का सौभाग्य अतुल सौरभ को मिला एवं रजत झारी द्वारा शांति धारा का सौभाग्य रमाकांत संजीव को मिला।
इस के पश्चात नित्य नियम पूजन एवं वर्धमान स्तोत्र विधान कराया गया। सहयोग में सुभाष, विपिन, रमेश, उमेश, , पंकज, ,राजपियुष, नीरज, श्रीयंस, कपिल, आभा, अनीता, श्वेता, पंकज, अनिल, संजय, सोनिया, रोकेश आदि उपस्थित रहे । इस मौके पर सिद्धांत जी शास्त्री ने प्रवचनों में कहा * उत्तम आकिंचन्य धर्म* दसलक्षण रूप धर्म का नवाँ लक्षण है, उत्तम आकिंचन्य धर्म “न किंचनयस्य स:अकिंचन” जिसके कुछ भी नहीं है, वह आकिंचन्य है। परिग्रह को महादुःख तथा बंध का कारण जानकर छोड़ना ही उत्तम आकिंचन्य धर्म है। अंतरंग और बहिरंग के भेद से चौबीस प्रकार के परिग्रहों और शरीर से ममत्व को त्यागना ही उत्तम आकिंचन्य धर्म है। परिग्रह पदार्थों के प्रति ममत्व का भाव रखना परिग्रह है, संसारी चीज़ों (ज़मीन,मकान, पैसा, पशु, गाड़ियां, कपड़े इत्यादि) को आवश्यकता से अधिक रखना और इन्हे और ज्यादा बढ़ाने/पाने की इच्छा रखना परिग्रह है। कर्मों के उदय से प्राप्त हुए विनाशीक शरीर परिग्रह में मुझे ममताबुद्धि कभी न उत्त्पन्न हो। सांयः 7ः30 बजे परमेष्ठी एवं शांतिनाथ भगवान मंगलज्योति की आरती हुई। तत्वचर्चा एवं प्रश्नमंच सिद्धांत जी शास्त्री द्वारा कराया गया। जो तत्वार्थ वाचन कराया गया उसी पर प्रशन मंच भी कराया जिसमें उत्तर देने वालों को सोनिया जैन द्वारा पुरस्कृत किया गया। जिसके पश्चात् विशेष कार्यक्रम वीर नवयुवती संघ की संपदा,संस्कृति, सौम्या, मुस्कान, शिल्पी, कनिका, परि द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जैन समाज का योगदान पर आकर्षक प्रस्तुति हुई जिसमें हमारे मध्य श्री संजीव जैन सिक्का जी राज्यमंत्री सहपत्नी किरण जैन सहित उपस्थित रहे सभी श्रावक श्राविकाओं ने ताली बजाकर सब युवतियों का उत्साहवर्धन किया। मेरठ के असोड़ा हाउस जैन मंदिर में इस साल का आयोजन बेहद सुंदर व भव्य रहा।