अवैध है धन शाकुंतलम कोठी

वैध है धन शाकुंतलम कोठी
Share

अवैध है धन शाकुंतलम कोठी, मेरठ छावनी के वेस्ट एंड रोड बंगला नंबर 210-ए में बनायी गयी कोठी धन शाकुंतलम को पड़ौसियों ने अवैध बताया है। उन्होंने जानकारी दी कि पूर्व में  एक इसमें ध्वस्तीकरण भी किया जा चुका है। कैसल व्यू के एक पार्ट में बनायी गयी इस कोठी का न तो कैंट बोर्ड से कोई नक्शा ही पास बताया जाता है और न ही कैंट बोर्ड से जो अन्य कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जानी चाहिए वो पूरी करायी गयी हैं। जानकारों का कहना है कि अवैध कोठी के अवैध निर्माण की फाइल की यदि कैंट बोर्ड के अफसर धूल झाड़ दें तो हकीकत सामने आने में देर नहीं लगेगी। जिसके चलते कहा जा रहा है कि धन शाकुंतलम नाम से जो आवासीय निर्माण किया गया है, वह भी पूरी तरह से अवैध है। छावनी परिषद मेरठ से उसका कोई नक्शा पास कराया गया हो ऐसी जानकारी नहीं मिली है। फ्लैट के साथ-साथ यह आवासीय भवन धन शाकुंतलम के भी अवैध होने के बावजूद कैंट बोर्ड प्रशासन बजाए इस पर जेसीबी चलाने के चुप्पी साधे बैठा है। ध्वस्तीकरण के सवाल पर इस चुप्पी की वजह क्या है यह तो पता नहीं लेकिन अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का दम भरने व दावा करने वाले कैंट बोर्ड प्रशासन की करनी व कथनी में कितना अंतर है, यह जरूर स्पष्ट हो गया है। कैंट बोर्ड की जेसीबी या फिर हथोड़ा गैंग केवल वहीं पर कार्रवाई करता नजर आता है जहां सेटिंग से गेटिंग न होने के मामले होते हैं। लेकिन जहां सेटिंग के साथ-साथ गेटिंग भी हो जाती है, वहां कार्रवाई करना तो दूर की बात जेसीबी के सवाल पर कैंट प्रशासन के तमाम अफसर भागते नजर आते हैं, वर्ना कोई वजह नजर नहीं आती कि वेस्ट एंड रोड बंगला 210-ए धन शाकुंतल पर बुलडोजर न चले। धन शाकुंतल भी अवैध है और इसके पीछे सर्वेट ह पक्वार्टर तोड़कर बनाए गए  छह फ्लैट भी अवैध हैं, लेकिन इन के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कब होगी यह सवाल कैंट प्रशासन को काटता नजर आता है।  210-ए के छह फ्लैट  की यदि बात की जाए तो करीब तीस साल पहले अवैध रूप से बनाए गए छह फ्लैट जो लगभग सतरह से बीस लाख की कीमत पर बेचे गए थे और जिनकी सर्किल रेट से आज की कीमत अस्सी लाख से एक करोड़ तक आंकी जा रही है,  उन अवैध फ्लैटों को ध्वस्त करना कैंट बोर्ड मेरठ के अफसर भूले बैठे हैं। तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर बनाए गए ये फ्लैट कैंट बोर्ड मेरठ के तत्कालीन अधिकारियों के भ्रष्टाचार और भारत सरकार के बंगलों को खुर्दबुर्द किए जाने का सबसे शर्मनाक सबूत है। नवाब की कोठी के नाम से मशहूर इस बंगले में तीन भूमाफियाओं ने इन छह फ्लैटों का अवैध निर्माण किया, चंद सिक्कों की लालच में यह छह फ्लैट बनाए गए। इसमें जिनका नाम आज ली कैंट बोर्ड का स्टाफ ( जिनमें से ज्यादातर रिटायर्ड हो चुके हैं) बताते हैं कि अनिल जैन, जय प्रकाश अग्रवाल और सुनील सिंहल उर्फ नीलू ने इनका अवैध निर्माण कराया था। तीनों ने एक-एक फ्लैट अपने पास रख लिए थे। बाकि को बेच दिया गया। नवाब के बंगले कैसल व्यू में अवैध रूप से फ्लैट बनाने के इस खेल में कैंट बोर्ड मेरठ के तत्कालीन अफसरों  का खास रोल बताया जाता है। यहां तक सुना जाता है कि इन छह फ्लैट के लिए काफी हैडसम डीलिंग की गयी थी। ऐसा नहीं कि कैंट बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। कार्रवाई कुछ इस अंदाज में की गयी कि दो कदम आगे और चार कदम पीछे। नोटिस भी दिए गए और चालान भी किए गए, लेकिन आरोप है कि बाद में जब सेटिंग के बाद गेटिंग हो गयी तो जैसा कि आमतौर पर इस प्रकार के मामले में होता है, 210-ए के इन अवैध फ्लैटों की फाइल पर धूल चढ़ती चली गयी। कैंट बोर्ड में बतौर अध्यक्ष कई कमांडर आए, सीईओ आए और तब से अब तक इंजीनियरिंग सेक्शन में में आमूलचूक परिवर्तन हो चुका है, लेकिन इस बंगले में अवैध रूप से बनाए गए फ्लैटों की कोई भी धूल झाड़ने की हिम्मत नहीं जुटा  पा रहा है या फिर सवाल यही पूछ लिया जाए कि अवैध फ्लैट बनाने वालों से कैंट बोर्ड के अफसरों का यह रिश्ता क्या कहलाता है।

@Back Home

 


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *