भाजपा के लिए साइड इफैक्ट फर्स्ट, उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में महापौर पद के प्रत्याशियों के नाम के एलान से पहले भगवा खेमा नफा नुकसान या कहें होने वाले साइड इफैक्ट पर भी मंथन कर लेना चाहता है। जानकारों का कहना है कि आला कमान मान रहा है कि असली मुसीबत तो महापौर प्रत्याशी के नाम के एलान के बाद ही शुरू होनी है। इसी कारण लगातार नाम के एलान में देरी की जा रही है। अन्यथा शुक्रवार की शाम छह बजे हर दशा में महापौर प्रत्याशियों के नाम की सूची आनी तय थी, लेकिन मेरठ समेत वेस्ट यूपी के दूसरे जनपदाें से पहुंच रही खबरों के चलते सूची जारी करने से पहले साइड इफैक्ट समझने की कोशिश की जा रही है। पक्की तौर पर तो सूची आने सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है, लेकिन जहां तक चर्चाओं की बात है तो पूर्व विधायक रविन्द्र भडाना, डा. तनुराज सिरोही, के नाम भी कंसीडर किए गए हैं। इसके अलावा यह भी संभव है कि जिन नामों के कयास लगाए जा रहे हैं उसके इतर भी किसी को प्रत्याशी बनाया सकता है। दरअसल सपा-रालोद गठबंधन की सीमा प्रधान के आने के बाद भाजपा खेमा इसकी काट कैसे की जा सकती है इस पर मंथन कर रहा है। इसके अलावा प्रयास है कि ऐसा प्रत्याशी उतारा जाए जिसके चेहरे पर भाजपा के परंपरागत वोटों के इतर भी कुछ हासिल हो सके। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि सीमा प्रधान को प्रदेश नेतृत्व हल्के में लेकर नहीं चल रहा है। सीमा प्रधान ही नहीं आप की महिला प्रत्याशी रिचा सिंह के बाद अब भाजपा की स्क्रिनिंग कमेटी या कहें प्रदेश नेतृत्व के लिए विकल्प भी सीमित हो गए हैं, जिसके चलते सूची को लेकर देरी की जा रही है। एक उच्च पदस्थ सूत्र की मानें तो आला कमान की पहले पसंद जीताऊ चेहरा है। जिताऊ चेहरे के अलावा सूची तैयार करते वक्त कोई दूसरी बात नहीं है। पूर्व विधायक रविन्द्र भडाना की बात हो या फिर संघ की सिफारिश माने जा रहे डा. तनुराज सिंरोही हों, इनके साथ-साथ यह भी सवाल उठ रहा है कि सीमा प्रधान के साथ-साथ सपा व रालोद से भी मुकाबला करना होगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो उम्मीद की जा रही है कि आज किसी भी वक्त नाम का एलान किया जा सकता है। बताया जाता है कि प्रदेश भाजपाध्यक्ष ने नामों की पैरवी करने वालों को दो टूक कह दिया है कि जीताऊ पर कोई कंप्रोमाइज नहीं।