बिल्डर से यह रिश्ता क्या कहलाता है

बिल्डर से यह रिश्ता क्या कहलाता है
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बिल्डर से यह रिश्ता क्या कहलाता है, बिल्डर से एमडीए अफसरों का यह रिश्ता क्या कहलाता है, स्टार प्लाजा मोदीपुरम में पार्किंग बेसमेंट में दुकानों का अवैध निर्माण, नक्शे के विपरीत निर्माण के बाद भी हाथ हिलाने को तैयार नहीं अधिकारी।  तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर अवैध कालोनी व कांप्लैक्स बना रहे दौराला शुगर मिल में नौकरी करते-करते रातों रात बिल्डर बने शख्स से मेरठ विकास प्राधिकरण पर इस विशेष कृपा दृष्टि की वजह से एमडीए अफसर ही बात सकते हैं, लेकिन जो कुछ भी जोन बी क्षेत्र में हो रहा है वो सूबे की सीएम योगी की सरकार की मंशा के अनुरूप कतई नहीं माना जा सकता। सीएम योगी बार-बार अवैध निर्माणों पर सख्ती की अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन लगता है कि एमडीए के जोन बी में इस बिल्डर से खास सरोकार रखने वाले जोन अधिकारियों को सीएम की मंशा से कोई सरोकार नहीं रह गया है। इसको लेकर पूर्व में भी प्राधिकरण के उच्च पदस्थ को अवगत कराया जा चुका है। जोन बी के पल्लवपुरम पल्हैडा चौक पर स्थित स्टार प्लाजा का निर्माण स्वीकृत नक्शे के विपरीत किया गया है। दरअसल स्टार प्लाजा के बेसमेंट को बतौर वाहन पार्किंग की बाध्यता का उल्लेख स्वीकृत नक्शे में किया गया है। लेकिन बजाए इसमें वाहनों के लिए  पार्किंग स्थल छोड़ने के वहां भी दुकानें बना कर प्राधिकरण की बाध्यता को ताक पर रख दिया गया है। नियमानुसार ग्राउंड फ्लोर का करीब साठ फीसदी ओपन होना चाहिए, लेकिन यहां 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मौके पर कवर कर दिया गया है। इसके बाद भी एमडीए के इस जोन के अफसरों की ओर से इस बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता। यदि की गयी हो तो प्राधिकरण प्रशासन इस संवाददाता को अवगत करा दें ताकि कार्रवाई को भी प्रमुखता के साथ समाचार पत्र में स्थान दिया जा सके। दरअसल जिस बिल्डर की यहां बात की जा रही है प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शे के विपरीत खासतौर से कांप्लैक्सों में जो स्थान नक्शे में वाहन पार्किं स्थल के लिए निर्धारित होता है, वहां दुकानें बना देना बिल्डर की आदत में शुमार लगता है। इससे पूर्व भी रूड़की रोड पर श्रीराम प्लाजा के नाम से जो कांपलैक्स है, उसमें भी नक्शे के विपरीत कांप्लैक्स के बेसमेंट में स्थान वाहन पार्किंग स्थल के लिए छोडा जाना चाहिए था, वहां भी दुकानें बना कर उनका बिक्रय कर दिया गया है। उक्त मामले की जानकारी भी निगम के इस जोन के अधिकारियों को दी गई, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई अभी तक उक्त बिल्डर के खिलाफ नहीं की गयी है। जिसकी वजह से यह सवाल पूछा जा रहा है कि इस बिल्डर से प्राधिकरण का यह रिश्ता क्या कहलाता है।

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