कैंट बोर्ड: सशर्त थी AE की कुर्सी, मेरठ कैंट बोर्ड के सहायक अभियंता की कुर्सी जब सौंपी गई थी तो कुछ शर्तें भी लगा दी गयी थीं। बतौर सहायक अभियंता पीयूष गौतम को काम से अपनी श्रेष्ठता साबित करनी थी। सहायक अभियंता का प्रमोशन दिए जाते वक्त यह सशर्त लगा दी गयी थी कि प्रत्येक तीन माह के बाद पीयूष गौतम की परफॉरमेंस रिपोर्ट बोर्ड के पटल पर रखी जाएगी, लेकिन जानकारों की मानें तो ऐसा होने नहीं दिया गया। एई की परफाॅरमेंट रिपोर्ट का आज भी पीडी मध्य कमान को इंतजार है, लेकिन कैंट बोर्ड प्रशासन रिपोर्ट को भेजना भूलाए बैठा है। बतौर जेई प्रोजेक्ट पीयूष गौतम ने साल 1994 में मेरठ कैंट बोर्ड ज्वाइन किया था। स्टाफ की सुगबुगाहट की मानें तो साम-दाम-दंड़-भेद वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने साल 2005 में सहायक अभियंता की कुर्सी हासिल कर ली। लेकिन सहायक अभियंता की इस कुर्सी पर आसीन होने के साथ ही कैंट बोर्ड प्रशासन ने प्रत्येक तीन माह में परफॉरमेंस रिपोर्ट प्रधान निदेशक मध्य कमान को भेजने की शर्त भी लगा दी थी, यह बात अलग है कि परफॉरमेंस रिपोर्ट काे कभी भी न तो तैयार किया गया न ही वह रिपोर्ट कभी पीडी इन चीफ तक पहुंची। RTI एक्टिविस्ट संदीप पहल ने इसकी जांच की मांग की है। वहीं स्टाफ की मानें तो सहायक अभियंता की परफॉरमेंस रिपोर्ट न भेजे जाने के पीछे ठोस कारण भी हैं, बतौर सहायक अभियंता पीयूष गौतम ने अब तक जितने भी प्रोजेक्ट तैयार किए गए उनमें सिवाय कैंट बोर्ड को राजस्व हानि पहुंचाने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं किया गया। माल रोड पर सीईओ के सरकारी बंगले के सामने सोलर जेब्रा क्रासिंग इसका सबसे बड़ा सवूत है। जिसको लेकर खूब वाह-वाही लूटी गई थी। सरकारी खजाने से बड़ी रकम खर्च करा दी गयी थी, लेकिन जब सोलर जेब्रा क्रासिंग को लेकर आए दिन फजीहत होने लगी तो नाकामी पर पर्दा डालने के लिए सोलर जेब्रा क्रासिंग पर सड़क बनाकर उसको दफन कर दिया ताकि काबलियत पर सवाल न उठे। (AE की परफॉरमेंस रिपोर्ट अगली बार)