कैंट बोर्ड: महज खतों किताबत, अदालत और कैंट बोर्ड मेरठ के अध्यक्ष/कमांडर सरीखे अफसर के आदेश पर के अवैध निर्माण को सील व ध्वस्त करने के बजाए मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन सीधी कार्रवाई न करते हुए केवल खतो किताबत तक सिमट कर रहा गया है। बोर्ड के स्टाफ में हो रही सुगबुगाहट पर यदि यकीन किया जाए तो ऐसे मामलों में अवैध निर्माण के आरोपियों से भारी भरकम लेन देन करने वाले अफसर यदि अपनी पर आ जाए तो उनके लिए फिर अदालत या कैंट बोर्ड अध्यक्ष सरीखों के आदेश कोई मायने नहीं रखते। ऐसे मामलों में खुद को अदालत व कमांडर सरीखे अफसर की लिखा पढ़ी से महफूज रखने के लिए वो सब किया जाता है जिसमें अवैध निर्माण और उसको कराने वाले कसूरवार भी बचे रहें। अब बात करते हैं अदालत के आदेश पर सील लगी होने के बावजूद बंगला 22B में किए गए अवैध निर्माण और आरोपी द्वारा उसकी सील तोड़कर वहां कारोबार शुरू कर लिए जाने की। बंगला 22B प्रकरण में कैंट बोर्ड के स्टाफ में मौजूद कुछ भ्रष्टों का जिक्र किए बगैर बात अधूरी रह जाएगी। अदालत और कमांडर के आदेश तो बंगला 22B को सील किए जाने के हैं, लेकिन इन आदेशों को लेकर कैंट बोर्ड प्रशासन कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार्रवाई के नाम पर केवल चिट्टी-चिट्टी का खेल खेला जा रहा है ताकि बंगला 22B का अवैध निर्माण सलामत रहे। स्टाफ की सुगबुगाहट की मानें तो ऐसा करना मजबूरी है, क्योंकि यदि कार्रवाई अमल में लायी गयी तो भारी भरकम लेनदेन के बेपर्दा कर दिए जाने किया का डर है। बकौल स्टाफ सफाई दी जा रही है कि पुलिस फोर्स नहीं मिल रहा है, लेकिन फोर्स बजाए एसएसपी मेरठ के जिला प्रशासन से मांगी जा रही है। इसके अलावा स्टाफ का तर्क है कि पूर्व में सेना की मदद से ध्वस्तीकरण व सील सरीखी तमाम कार्रवाइयां अंजाम दी गयी हैं तो फिर बंगला 22B के मामले में सेना की मदद क्यों नहीं ली जा रही।